न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र।हिंदी विश्व की एक प्राचीन, समृद्ध तथा महान भाषा होने के साथ-साथ विश्व की एक महत्वपूर्ण भाषा है। हिंदी भाषा और इसमें निहित भारत की संस्कृति एक वैश्विक धरोहर है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज हिंदी ने भाषा, व्याकरण, साहित्य, कला, संगीत के सभी माध्यमों में अपनी उपयोगिता, प्रासंगिकता एवं वर्चस्व को वैश्विक स्तर पर कायम किया है। हिंदी की यह स्थिति हिंदी भाषियों और हिंदी समाज की देन है। लेकिन हिंदी भाषी समाज का एक तबका हिंदी की दुर्गति के लिए भी जिम्मेदार है। अंग्रेजी बोलने वाला ज्यादा ज्ञानी और बुद्धिजीवी होता है। यह धारणा हिंदी भाषियों में हीन भावना लाती है। जिंदगी में सफलता पाने के लिए हर कोई अंग्रेजी भाषा को बोलना और सीखना चाहता है। हिंदी भाषी लोगों को इस हीन भावना से उबरना होगा, क्योंकि मौलिक विचार मातृभाषा में ही आते हैं।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि विश्व हिंदी दिवस हर साल 10 जनवरी को मनाया जाता है। विश्व हिंदी दिवस का उद्देश्य विश्व भर में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए वातावरण निर्मित करना और हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। दुनिया भर में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए पहला विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया था, इसलिए इस दिन को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है, इस सम्मेलन में 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे, 2006 के बाद से हर साल 10 जनवरी को विश्वभर में विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि भारतीय विचार और संस्कृति का वाहक होने का श्रेय हिन्दी को ही जाता है। आज संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं में भी हिंदी की गूंज सुनाई देने लगी है। भाषा वही जीवित रहती है जिसका प्रयोग जनता करती है। भारत में लोगों के बीच संवाद का सबसे बेहतर माध्यम हिन्दी है। इसलिए इसको एक-दूसरे में प्रचारित करना चाहिये। हिन्दी भाषा भारत के अलावा नेपाल, अमेरिका, मॉरीशस, त्रिनिनाद, न्यूजीलैंड, युगांडा, सिंगापुर, फिजी, दक्षिण अफ्रीका, सूरीनाम, युनाइटेड किंगडम, जर्मनी, भूटान, बंग्लादेश, पाकिस्तान सहित दुनिया के अनेक देशों में हिंदी बोली एवं समझी जाती हैं। अभी विश्व के सैंकड़ों विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है और पूरी दुनिया में करोड़ों लोग हिंदी बोलते हैं। यही नहीं हिंदी दुनिया भर में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली पांच भाषाओं में से एक है।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है जिसे दुनिया भर में समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं। यह विश्व में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है जो हमारे पारम्परिक ज्ञान, प्राचीन सभ्यता और आधुनिक प्रगति के बीच एक सेतु भी है। आज आवश्यकता है कि शिक्षा का माध्यम भी मातृभाषा होनी चाहिए। जिससे देश की युवा पीढ़ी का ज्ञानार्जन अधिक से अधिक हो सके। शिक्षा विचार करना सिखाती है और मौलिक विचार उसी भाषा में हो सकता है जिस भाषा में आदमी जीता है। हमें अहसास होना चाहिए कि हिंदी दुनिया की किसी भी भाषा से कमजोर नहीं है।