कुवि के संगीत विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय ऑनलाईन कार्यशाला का हुआ समापन
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा, ने कहा कि ज्ञान मंथन के इस पवित्र कार्य से ज्ञान की नयी दिशाएँ खुलेंगी जो आप सभी के कला-कौशल एवं व्यावसायिक प्रतिभा को नयी ऊंचाइयां प्रदान करने में सहयोग करेंगी। संगीत एक अद्भुत एवं पवित्र कला है। मानव के जन्म के साथ ही संगीत का जन्म होता है। उसका जीवन संगीत के इर्द-गिर्द घूमता है और संगीत के साथ नाचते गाते हुए वह अपनी खुशी को प्रकट करता है। वे गुरुवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संगीत एवं नृत्य विभाग में सेंटर फॉर ट्रेनिंग इंटर्नशिप एन्ड एम्प्लॉयमेंट के सहयोग से संगीत उद्योग में छात्रों के कला-कौशल और रोजगार क्षमता में वृद्धि विषयक दो दिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा ने कहा कि संगीत के बिना मानव जीवन का सही मायने में कोई अर्थ ही नहीं है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र का संगीत एवं नृत्य विभाग संगीत विषय के प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न स्तरों पर कार्यक्रमों, गोष्ठियों व कार्यशालाओं के माध्यम से सकारात्मक प्रयास करता रहता है। यह संगीत कार्यशाला भी इसी शृंखला की एक अति महत्त्वपूर्ण कड़ी है। प्रदर्शन कला में व्यवसायिक रूप से सफल होने के लिए कौशल विकास में निरन्तरता होनी आवश्यक है और उसके लिए ऐसे कार्यक्रमों से विद्यार्थियों को हर पल नया कुछ करने की प्रेरणा मिलती हैं।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में कार्यशाला से जुड़ीं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की डीन अकेडमिक अफेयर्स प्रो. मंजुला चौधरी ने कहा कि संगीत एक पवित्र कला है इसमें शास्त्र के साथ साथ प्रायोगिक पक्ष भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। संगीत विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में यह कार्यशाला भी एक महत्वपूर्ण कड़ी है जिससे विद्यार्थियों में कौशल विकास के प्रति रुझान बढ़ेगा। प्रातःकालीन सत्र में सुप्रसिद्ध तबला नवाज़् डॉ. विजयशंकर मिश्र ने संगीत के व्यावसायिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। संगीत उद्योग में सफल होने के लिए विद्यार्थियों को बीज मंत्र दिए। उन्होंने व्यवसायिकता से अपना संबंध जोड़ने के लिए रियाज़ की आवश्यकता पर बल दिया।
संगीत चिकित्सा पर भी उन्होंने प्रकाश डाला । कोरोना काल में संगीत की दशा और दिशा पर भी उन्होंने बात की। नवयुवाओं को संगीत में रोजगार पैदा करने के लिए साधना करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि इतना अभ्यास करो कि तुम्हें रोजगार ना तलाशना पड़े बल्कि रोजगार ही तुम्हें तलाश ले। सही मायने में तभी संगीत को व्यवसायिकृत किया जा सकता है। इस सत्र में डॉ. ज्ञान सागर सिंह ने मंच संचालन किया और सत्रांत में संगीत विभाग की प्रोफेसर शुचिस्मिता शर्मा ने डॉ. विजयशंकर मिश्र का और समस्त प्रतिभागियों का धन्यवाद किया।
सत्र में प्रतिष्ठित गायक और हारमोनियम विशेषज्ञ
डॉ. दिनकर शर्मा ने प्रतिभागियों के कला-कौशल में वृद्धि की। उन्होंने विदेशों में संगीत की शिक्षण प्रणाली पर भी प्रकाश डाला और अपनी शिक्षण प्रणाली को अपग्रेड करने पर भी बल दिया। उन्होंने हारमोनियम और गायकी का रियाज करने की तकनीक पर बड़े ही विस्तार से प्रकाश डाला। वाइस कल्चर के द्वारा अपनी आवाज़ को किस प्रकार सुधारा जा सकता है, इस बात पर खुलकर बात की और प्रतिभागियों की तमाम संगीत जिज्ञासाओं का समाधान किया। इस अवसर पर डॉ. दीपक शर्मा ने कार्यशाला का संचालन किया।
कार्यशाला के अन्त में प्रोफेसर शुचिस्मिता शर्मा ने कार्यशाला से जुड़े सभी विशेषज्ञों और प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। इस अवसर पर संगीत एवं नृत्य विभाग की अध्यक्षा डॉ. आरती श्योकन्द ने कहा कि कोरोना काल में ऑनलाइन कक्षाएं लगाने वाले विद्यार्थियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर है कि अपने हुनर को निखार सकते हैं और संगीत उद्योग में अपनी प्रतिभा के बल पर प्रवेश कर सकते हैं और उसमें सफल हो सकते हैं।