न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। भारत विश्व का सबसे प्राचीन राष्ट्र है। भारत के द्वारा ही पूरी दुनिया में ज्ञान-विज्ञान का पोषण हुआ। भारत की एक विश्वगुरु राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठा थी। लेकिन आज भारत का वैश्विक दृष्टि से वह स्थान नहीं है, जो अतीत में था। भारत के प्रत्येक नागरिक का दायित्व था वह राष्ट्र को सर्वोपरि मानते हुए वैदिक सनातन धर्म की पुर्नस्थापना में अपने कर्तव्य का निर्वाह करे। यह विचार अद्वैत वेदांत के संस्थापक आदि गुरु शंकाराचार्य द्वारा स्थापित श्रृंगेरी पीठ परंपरा के वरिष्ठ सन्यासी, वेदांत भारती के संरक्षक श्री श्री शंकर भारती महास्वामी जी महाराज ने मातृभूमि सेवा मिशन आश्रम परिसर में आयोजित सम्मान समारोह में व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ श्री श्री शंकर भारती महास्वामी जी महाराज, मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ.श्रीप्रकाश मिश्र एवं संस्कृत भारती हरियाणा के संरक्षक डॉ. रामनिवास शर्मा ने संयुक्त रूप से भारतमाता, योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण एवं आदि गुरु शंकराचार्य के सम्मुख दीपप्रज्जवलन, माल्यार्पण एवं पुष्पार्चन से किया।
श्री श्री शंकर भारती महास्वामी जी महाराज ने कहा कि वह उत्तर भारत के प्रवास पर है। उत्तर भारत में बढ़ रहे नशे के प्रभाव, कृषि में रासायनों की अधिकता एवं सनातन वैदिक धर्म के प्रति निरंतर ह्रास के प्रति चिंता व्यक्त की। श्री श्री ने कहा कि आज का युग विज्ञान एवं तकनीकि का युग है। भारत को एक आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में वैश्विक जगत में स्थापित होने के लिए आदि गुरु शंकराचार्य के चिंतन एवं शिक्षाओं को आत्मसात करना होगा। आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा प्रणीत अद्वैत वेदांत दर्शन संसार का सर्वश्रेष्ठ जीवन दर्शन है। श्री श्री महाराज ने कहा कि मातृभूमि सेवा मिशन समाज सेवा का एक उत्कृष्ट कार्य कर रहा है। आज ऐसे सेवा प्रकल्पों के द्वारा ही भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। मैं आज इस आश्रम के सेवा प्रकल्पों को देखकर आंनदित हूँ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि आदि शंकराचार्य के समय में अंधविश्वास और तमाम तरह के कर्मकांडों का बोलबाला हो गया था। सनातन धर्म का मूल रूप पूरी तरह से नष्ट हो चुका था और यह कर्मकांड की आंधी में पूरी तरह से लुप्त हो चुका था। शंकराचार्य ने कई प्रसिद्ध विद्वानों को चुनौती दी। दूसरे धर्म और संप्रदाय के लोगों को भी शास्त्रर्थ करने के लिए आमंत्रित किया। शंकराचार्य ने बड़े-बड़े विद्वानों को अपने शास्त्रर्थ से पराजित कर दिया और उसके बाद सबने शंकराचार्य को अपना गुरु मान लिया। आज वर्तमान भारत में आदि गुरु शंकराचार्य के शिक्षाओं के द्वारा ही भारत की समस्त समस्याओं का समाधान हो सकता है।
कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन की ओर से श्री श्री शंकर भारती महास्वामी जी महाराज को स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र भेंट किया गया। कार्यक्रम में आभार ज्ञापन संस्कृत भारती हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष रामनिवास शर्मा ने किया। कार्यक्रम में वेदांत भारती के निदेशक डॉ. श्रीधर हेगड़े, पुष्पेन्द्र शर्मा, भूपेन्द्र शर्मा, संजय चोटानी, गुरप्रीत सिंह, पवन श्योकंद सहित श्रीश्री महाराज के शिष्य एवं अनेक सामाजिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि जन उपस्थित रहे।