Friday, November 22, 2024
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महात्मा गांधी शासन के क्षेत्र में लोकतंत्र, आर्थिक क्षेत्र में समाजवाद और सामाजिक क्षेत्र में समानता के प्रबल पक्षधर थे-डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

by Newz Dex
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न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र। वैश्विक जगत में बढ़ती हिंसा, आर्थिक विषमता, बेरोजगारी, द्वेष और कटुता चिंताजनक है। गांधी दर्शन दुनिया को शांति-सौहार्द की राह पर ले जाने में मददगार बन सकेगा। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आजादी के अमृतोत्सव एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण, भारतमाता एवं महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्चन से हुआ। 

डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि सत्य, अहिंसा, समानता, शांति व मानवीय मूल्यों को महत्व देने वाला महात्मा गांधी का दर्शन ज्यादा प्रासंगिक है। महात्मा गांधी शासन के क्षेत्र में लोकतंत्र, आर्थिक क्षेत्र में समाजवाद और सामाजिक क्षेत्र में समानता के प्रबल पक्षधर थे। महात्मा गाँधी का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था। उन्होंने अपने असाधारण कार्यों एवं अहिंसावादी विचारों से पूरे विश्व की सोच बदल दी। आज़ादी एवं शांति की स्थापना ही उनके जीवन का एक मात्र लक्ष्य था। गांधी जी द्वारा स्वतंत्रता और शांति के लिए शुरू की गई इस लड़ाई ने भारत और दक्षिण अफ्रीका में कई ऐतिहासिक आंदोलनों को एक नई दिशा प्रदान की। 

डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि महात्मा गांधी एक विराट व्यक्तित्व तो थे ही, साथ मे उनकी एक आदर्श जीवन शैली भी थी । बापू ने सत्य के प्रयोग किए। अपने जीवन में सत्य को आत्मसात भी किया। वे कहा करते थे कि- मैंने जीवन भर सत्य का दामन थामा और इसके प्रयोग से अपने जीवन को परिष्कृत किया। भावी पीढ़ी को गांधी के विचारों को पढ़ना चाहिए। उनके सत्य के प्रयोग को समझना चाहिए। यदि गांधी के विचारों को आत्मसात कर लिया जाए, तो विश्व में अमन चैन का वातावरण बन सकता है।

वर्तमान हालात में गांधीवादी मूल्य एक प्रभावी विकल्प के रूप में दिखाई देते हैं। गांधी के सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह और नैतिकता के सिद्धांत तो हमेशा ही उपयोगी रहेंगे। वर्तमान में विश्व के अनेक देशों में आतंकवाद, अस्थिरता और अराजकता फैली हुई है। मनुष्य में सहनशीलता तथा धैर्य की कमी हो गई है। ऐसे में गांधी जी का मानवतावादी दृष्टिकोण बहुत मददगार है। आज महात्मा गांधी के स्वदेशी, स्वराष्ट्र एवं स्ववलंबन की अवधारणा को आत्मसात कर भारत विश्व का सिरमौर बन सकता है। कार्यक्रम में कांइड बिंगस, कुरुक्षेत्र के अध्यक्ष राघव गर्ग, वसुधा, रिया, नव्यम, अंश, रुद्रांशु, रितिका, समृद्धि, ध्रुव, अभी, वंशिका, नमन, मानव सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे। 

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