निधि से करीब 2 हजार निर्माण श्रमिकों को लगभग 5000 करोड़ रुपये
न्यूज डेक्स इंडिया
दिल्ली,16 सितंबर। केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री ने आज कहा है कि कोविड-19 महामारी के दौरान पूरे भारत में प्रवासी श्रमिकों के लिए श्रम कल्याण और रोजगार सहित केंद्र सरकार द्वारा कई अभूतपूर्व कदम उठाए गए हैं। इनकी विस्तार से जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि
श्रम समवर्ती सूची में है और इसलिए केंद्र और राज्य सरकारें दोनों इस मुद्दे पर नियम बना सकती हैं। इसके अलावा, प्रवासी श्रम अधिनियम सहित अधिकांश केंद्रीय श्रम अधिनियमों को राज्य सरकार द्वारा विशेष रूप से लागू किया जा रहा है।
प्रवासी श्रम अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, प्रवासी श्रमिकों का पंजीकरण और उनके डेटा को संबंधित राज्य सरकारों द्वारा तैयार किया जाना है। हालांकि, कोविड-19 के अभूतपूर्व परिदृश्य में, श्रम और रोजगार मंत्रालय ने उन सभी प्रवासी श्रमिकों के डेटा को एकत्र करने के लिए पहल की, जो लॉकडाउन के दौरान अपने गृह राज्यों में जा रहे थे। विभिन्न राज्य सरकारों से एकत्रित जानकारी के आधार पर, लगभग एक करोड़ प्रवासी श्रमिक कोविड-19 के दौरान अपने मूल राज्यों में लौट गए हैं।
श्रम मंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए विभिन्न पहलें की गई हैं।
लॉकडाउन के तुरंत बाद, श्रम और रोजगार मंत्रालय से सभी राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी किए गए थे कि वे भवन निर्माण और अन्य निर्माण श्रमिक उपकर निधि से निर्माण श्रमिकों को वित्तीय सहायता प्रदान करें। यह अनुमान है कि प्रवासी श्रमिकों में से उच्चतम अनुपात निर्माण श्रमिकों का हैं। अब तक, लगभग दो करोड़ प्रवासी श्रमिकों को विभिन्न राज्यों द्वारा पोषित की जा रही भवन निर्माण और अन्य निर्माण श्रमिक उपकर निधि से 5000 करोड़ रुपये सीधे उनके बैंक खातों में प्रदान कर दिए गए हैं।
लॉकडाउन के दौरान, प्रवासी श्रमिकों की शिकायतों के समाधान के लिए, श्रम और रोजगार मंत्रालय ने पूरे देश में 20 नियंत्रण कक्ष स्थापित किए थे। लॉकडाउन के दौरान, श्रमिकों की 15000 से अधिक शिकायतों को इन नियंत्रण कक्षों के माध्यम से हल किया गया था और श्रम और रोजगार मंत्रालय के हस्तक्षेप के कारण दो लाख से अधिक श्रमिकों को लगभग 295 करोड़ रूपए की धनराशि का भुगतान किया गया।
लॉकडाउन के बाद, 1.7 लाख करोड़ रुपये के वित्तीय पैकेज के साथ देश के गरीब, जरूरतमंद और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की मदद के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का शुभारंभ किया गया। इस पैकेज के तहत, 80 करोड़ लोगों को 5 किलोग्राम गेहूं/चावल और 1 किग्रा दालें उपलब्ध करायी गयी हैं। । सभी लाभार्थियों को यह नि:शुल्क खाद्यान्न अब नवंबर, 2020 तक प्रदान किया जाएगा। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इस महामारी और चुनौतीपूर्ण समय के दौरान कोई भी बिना भोजन के न रहे।
मनरेगा के तहत प्रति दिन की मजदूरी 182 रुपये से 202 रूपए तक बढ़ाई गई।
सरकार ने कृषि, मत्स्य पालन और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों के लिए बुनियादी स्तर पर रसद, क्षमता निर्माण, शासन और प्रशासनिक सुधारों को मजबूत करने के उपायों की भी घोषणा की है।
गंगवार ने बताया कि 50 लाख स्ट्रीट वेंडरों को अपने व्यवसाय को फिर से शुरू करने के लिए, एक वर्ष के कार्यकाल के लिए 10,000 रूपए तक के आनुशंगिक नि:शुल्क कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा देने के लिए स्वनिधि योजना का शुभारंभ किया गया है।
अपने गृह राज्य में लौटे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार की सुविधा के लिए, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान को मिशन स्तर पर 116 जिलों में शुरू किया गया है। इस अभियान के तहत, इन प्रवासी श्रमिकों की भागीदारी से ग्रामीण बुनियादी ढ़ांचे का निर्माण किया जाएगा और इस उद्देश्य के लिए लगभग 50,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसी तरह से, प्रवासी श्रमिकों को रोजगार की सुविधा प्रदान करने के लिए, प्रवासी श्रमिकों को परिवहन मंत्रालय द्वारा सड़क, राजमार्ग आदि के निर्माण से जुड़ी कई परियोजनाओं में शामिल करते हुए इनकी शुरूआत की गई है।
आत्म-निर्भर भारत के तहत खासतौर पर प्रवासी श्रमिकों, असंगठित क्षेत्र में रोजगार के अवसरों का सृजन करने के लिए बीस लाख करोड़ का वित्तीय पैकेज की घोषणा की गयी है। इसमें इन सभी क्षेत्रों के लिए पहल को वरीयता दी गई है।
अपने ईपीएफ खाते के माध्यम से श्रमिकों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत, श्रम और रोजगार मंत्रालय ने सभी ईपीएफ सदस्यों को अपने ईपीएफ खाते में जमा कुल भविष्य निधि का 75 प्रतिशत निकालने की अनुमति दी है। अब तक, ईपीएफओ के सदस्य द्वारा लगभग 39,000 करोड़ रुपये निकाले गए हैं।
काम के लिए गंतव्य राज्यों में वापस लौट रहे प्रवासी श्रमिकों की सुविधा के लिए, श्रम और रोजगार मंत्रालय ने 27 जुलाई, 2020 को सभी राज्य सरकारों/संघ शासित प्रदेशों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों के अंतर्गत, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को रोजगार के लिए अपने राज्यों में वापस आने वाले प्रवासी श्रमिकों के कल्याण हेतु विभिन्न उपायों के कार्यान्वयन के समन्वय के लिए एक राज्य स्तरीय नोडल अधिकारी नामित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए प्रोटोकॉल के अनुसार मूल राज्य और गंतव्य राज्य प्रवासी श्रमिकों की स्क्रीनिंग और जांच के लिए भी समन्वय करेंगे। राज्यों को प्रवासी श्रमिकों की आसानी से पहचान और उनके लिए कल्याणकारी उपायों को कार्यान्वित करने हेतु एक उचित डेटा बेस तैयार करने के भी निर्देश दिए गये हैं। यह डेटा उन्हें भारत सरकार की विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में भी नामांकन करने में सुविधा प्रदान करेगा।