मानवतावादी विचारों का निर्माण ही साहित्य का महत्वपूर्ण पहलू है प्रो. ब्रजेश साहनी
कुवि के हिंदी विभाग में गुरु रविदास जयंती के अवसर पर विचार गोष्ठी का हुआ आयोजन
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। गुरु रविदास पीठ, हिन्दी विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र और सत्यशोधक फाउंडेशन, कुरुक्षेत्र के संयुक्त तत्वावधान में गुरु रविदास जयंती के अवसर पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर देस हरियाणा पत्रिका के संपादक और हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुभाष चन्द्र ने शिरकत की तथा कला और भाषा संकाय के अधिष्ठाता और अंग्रेजी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. ब्रजेश साहनी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। डॉ. सुभाष चन्द्र ने अपने वक्तव्य के माध्यम से बताया कि गुरु रविदास भारतीय इतिहास और साहित्य के उन सशक्त हस्ताक्षरों में से एक है जिन्होंने भारतीय चिन्तन परम्परा में अपने ज्ञान और अनुभव की आहुति डाली।
उन्होंने अपने कार्यों में शोषित-पीड़ित-वंचित-दलित जनता की आकांक्षाओं को व्यक्त किया, जो इस जनता को प्रभावित करती रही हैं। अपने समय के मुख्य अंतर्विरोध सामाजिक न्याय, सामाजिक समानता, सांप्रदायिक सद्भाव संत रविदास का मूल स्वर है। धार्मिक संकीर्णता और संस्थागत धर्म की आलोचना की और धर्म के मानवीय पहलू पर जोर दिया। लोकभाषा को अपनाकर सांस्कृतिक वर्चस्व को चुनौती दी। साहित्य को लोगों के कष्टों और संघर्षों से जोड़ा। संत रविदास की महत्ता उनके समकालीन कवि और महान दार्शनिक भी मानते थे जिनमें कबीर ने उन्हें संतों का संत कहा, वहीं गुरुग्रंथ साहिब में गुरू रविदास की वाणी को स्थान मिला।
डॉ. सुभाष चन्द्र ने बताया मध्यकालीन संतो का ज्ञान शास्त्रों पर आधारित नहीं, बल्कि संघर्षों और अनुभवों द्वारा अर्जित ज्ञान था। मध्यकालीन संतों ने मनुष्यता के विकास में बाधा बनने वाले विचारों, कुरीतियों और रूढ़ियों का खुल कर विरोध करके मनुष्य को सहज होने का संदेश दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. ब्रजेश साहनी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण सवाल तो यह है कि हमें साहित्य का अध्ययन ही क्यों करना है? मानवतावादी विचारों का निर्माण ही जीवन की महत्वपूर्ण इकाई है और साहित्य का असली कार्य अच्छे मानव की रचना करना है। संत रविदास के साहित्य में मानव हित का तर्क उनके जीवन-साक्षात्कार में गहराई से समाया हुआ था। मानव के महत्व को स्थापित करने का तर्क सबसे तेज साधन बन गया।
डॉ. जसबीर सिंह ने कार्यक्रम में पहुंचे सभी मुख्य अतिथि और श्रोतागणों का धन्यवाद किया। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी विभाग के प्राध्यापक विकास साल्याण ने किया। इस अवसर पर हिन्दी विभाग के प्राध्यापक ब्रजपाल, वरिष्ठ लेखिका कमलेश चौधरी, जितेन्द्र सिंग्रोहा, नरेन्द्र आजाद, नरेश दहिया, अंजू, प्रदीप समेत हिन्दी विभाग के अनेक शोधार्थी और विद्यार्थी मौजूद थे।