मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में आश्रम परिसर में पार्थिव शिवलिंग पर जलाभिषेक एवं पूजा अर्चना की गई
न्यूज डेक्स संवाददाता
अंबाला। भूतभावन भगवान देवाधिदेव महादेव हैं। भगवान शिव अनंत, अनादि, निर्गुण, निराकार एवं कल्याण स्वरूप हैं। शिव का एक अर्थ कल्याण भी है। शिव विभिन्न कलाओं और सिद्धियों के प्रवर्तक भी हैं। भगवान शिव संगीत, नृत्य सहित अनेक कलाओं के अधिष्ठाता हैं। भगवान शिव सृष्टि के आदि भी हैं और अवशान भी। सृजक भी हैं संहारक भी। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने महाशिवरात्रि के अवसर पर मिशन के फतुहपुर स्थित आश्रम परिसर में पार्थिव शिवलिंग पूजन करते हुए व्यक्त किए। कार्यक्रम में मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों द्वारा पार्थिव शिवलिंग पर जलाभिषेक कर प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया गया। विद्यालय के बच्चों ने प्रार्थिव शिवलिंग के समक्ष वैदिक मंत्रोच्चारण से पूजा अर्चना करते हुए लोक मंगल की प्रार्थना की।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि भगवान शिव की अतिशय प्रिय रात्रि ही शिवरात्रि है। भगवान शिव जिस पर्व को स्वयं उत्सव के रूप में मनाते हैं, वह शिवरात्रि है। भारतवर्ष की मूल प्रकृति में महादेव की पूजा एक ऐसे लोकदेवता की स्थापना है, जो वनवासी हैं, अत्यंत सरल हैं। शिव की आराधना के लिए किसी भी प्रकार के आडंबर की आवश्यकता नहीं। महादेव का संपूर्ण व्यक्तित्व समावेशी है। शिव का सरल, सहज व तपस्वी रूप उन्हें भक्त के और निकट लाता है। वैभव, संपदा व ऐश्वर्य से दूर मृगचर्म ओढ़े और भभूत लपेटे जटाधारी शिव की यही सरलता भक्त को अपने से जोड़ती है। वेदों में एक ही तत्व को अनेक रूपों में ब्रह्मा, परमात्मा, भगवान, ईश्वर या सदाशिव कहा है।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि महाशिवरात्रि जीव को आत्मबोध तक पहुंचाने की रात्रि है। योग परंपरा के अनुसार शिवरात्रि स्वयं के अस्तित्व से एकाकार करने की रात्रि है। योगी और ऋषियों के अनुसार यह एक ऐसा नेर्सिग उत्सव है जब प्रकृति स्वयं मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक ले जाने में सहायक होती है। महाशिवरात्रि का पर्व अज्ञान से ज्ञान, असत्य से सत्य और अधर्म से धर्म पर चलने की प्रेरणा देता है। कार्यक्रम में डॉ. राजीव कवात्रा, गुरप्रीत सिंह, रिंकी, पवन श्योकंद सहित मिशन सदस्य एवं अनेक गणमान्य जन उपिस्थत रहे।