न्यूज डेक्स संवाददाता
रोहतक। कोरोना की तीसरी लहर की समाप्त होते ही ‘सप्तक रंगमंडल, पठानिया वर्ल्ड कैंपस, सोसर्ग और अभिनव टोली द्वारा आयोजित घरफूंक थियेटर फेस्टिवल फिर से शुरू हो गया। फेस्टिवल के तीसरे सत्र की शुरुआत मणिमधुकर के प्रसिद्ध नाटक दुलारी बाई से हुआ। आदि मंच अम्बाला के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत हास्य-व्यंग्य से भरपूर इस नाटक में दुलारी बाई नाम की एक महिला की कंजूसी के किस्सों को बेहद खूबसूरती से दर्शाया गया। अपने खानदानी फटे-पुराने जूतों को पहनकर काम चलाने वाली कंजूस दुलारी बाई के लिए यही जूते किस तरह मुसीबत बन जाते हैं और इनसे छुटकारा पाने के चक्कर में वह कैसे-कैसे ठगी जाती है, नाटक की कहानी इसी के इर्द गिर्द घूमती रही। लंबे समय बाद किशनपुरा चौपाल में जुटे नाट्य प्रेमियों ने प्रस्तुति का खूब आनंद लिया और कलाकारों को भरपूर दाद दी।
मास्टर विनोद के निर्देशन में प्रस्तुत नाटक की मुख्य पात्र दुलारी बाई ब्याज पर पैसे देती है और मोटा मुनाफा कमाती है। इसके बावजूद वह एक पैसा भी खर्च नहीं करना चाहती। पैसा बचाने के लिए वह कई कई दिन खाना नहीं खाती। उसके पास बाप-दादा के समय के काफी फटे-पुराने जूते हैं। वह उन्हीं को पहनकर गुजारा करती है और उन्हें ठीक तक करवाने से गुरेज करती है। उसके ये जूते पूरे गांव में मशहूर हैं। कल्लू भांड साधु का वेश बनाकर उसे डरा देता है कि इन जूतों के कारण उसे बहुत नुकसान उठाना पड़ेगा और अगर वह इन से छुटकारा पा लेगी तो उसकी शादी राजा से हो जाएगी। अब दुलारी बाई जूतों को बाहर फैंकने, जमीन में दबाने व नदी में बहाने की कोशिश करती है, पर हर बार जूते उसके पास वापिस लौट आते हैं। इस कड़ी में उसे जुर्माना भी देना पड़ता है और फर्जीलाल की ठग्गी का शिकार भी होना पड़ता है। अंत में कल्लू भांड राजा का वेश बनाकर उससे शादी कर लेता है। शादी के बाद उसे सपना आता है कि वह जिस चीज को छुएगी, वह सोने की बन जाएगी। दुलारी बाई खुश होकर चीजों को छूती जाती है और वे सोने का बन जाती हैं। पर, जब भूख लगने पर उसका खाना भी सोने का बन जाता है तोउसके सिर से लालच का भूत उतर जाता है और वह खुशी-खुशी कल्लू के साथ साधारण जीवन जीने को राजी हो जाती है।
नाटक में दुलारी बाई की मुख्य भूमिका में राधिका शर्मा ने दर्शकों की खूब वाहवाही बटोरी। नितीश पोसला ने कल्लू भांड , जगदीश शर्मा ने कटोरी मल, देवेंद्र चौहान ने ईश्वर, सुखमन ने चिमना मांझी, चंदर मोहन ने फर्जी लाल, हरीश कुमार ने पटेल, उमंग ने गंगा राम व ननकू मोची के किरदारों को जीवंत किया, जबकि विदुषी और दिव्या ने पुतलियों की भूमिका अदा की। अरुण कुमार और भगवान दास की अगुवाई में रोशनी और सुमेधा ने नाटक के गीतों को आवाज़ देकर प्रस्तुति को चार चांद लगा दिए। सौरभ ने सूत्रधार की भूमिका निभाई। मंच सुजाता ने मंच संचालन किया। अविनाश सैनी ने पौधा देकर कलाकारों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में पंजाब नेशनल बैंक के एजीएम इंद्रजीत भयाना व चीफ मैनेजर यशपाल छाबड़ा, डॉ. राजीव मनचंदा, अजय गर्ग, शक्ति सरोवर त्रिखा, अविनाश सैनी, विकास रोहिल्ला, जगदीप जुगनू, यतिन वधवा मन्नी, रिंकी बतरा, एंकर प्रिंस, राहुल हुड्डा सहित सुपवा के विद्यार्थी व अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।