नंदा जी के आदर्शों को अपने आचरण में अपनाने की जरूरत: प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा
कुवि के भारत रत्न श्रीगुलजारी लाल नंदा केन्द्र में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत् ‘श्रीगुलज़ारी लाल नंदा द्वारा सम्पादित श्रेष्ठ कार्य’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानन्द जी महाराज ने कहा है कि गीता की अवतरण स्थली पर वास्तविक स्वरूप के पुरोधा भगवान् श्रीकृष्ण थे। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ व्यक्ति जैसा आचरण करते हैं, वैसा ही अन्य लोग भी आचरण करते हैं। वे मंगलवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के भारत रत्न श्रीगुलजारी लाल नंदा केन्द्र में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत् ‘श्रीगुलज़ारी लाल नंदा द्वारा सम्पादित श्रेष्ठ कार्य’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित किया गया। स्वामी ज्ञानानन्द जी महाराज ने कहा कि भारत रत्न स्वर्गीय गुलजारी लाल नंदा को कुरुक्षेत्र का निर्माता कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। उन्होंने कुरुक्षेत्र में म्यूजियम स्थापित करना, ब्रह्मसरोवर का निर्माण करना और कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की स्थापना कर धर्मनगरी के विकास का अनोखा कार्य किया। उन्होंने कहा कि नन्दा जी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा कि पद, प्रतिष्ठा, प्राप्ति के तीन प की चर्चा में स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने बताया कि नन्दा जी में यह बात सटीक थी। इसके साथ ही प्रथम पूज्य भगवान कृष्ण ने राजसूय यज्ञ में भंडारे में पत्तले स्वयं उठायी तथा द्वारकाधीश की जय-जयकार हुई। उसी परिधि पर नन्दा जी का व्यक्तित्व घटित होता है। कार्यक्रम में कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि नंदा जी के आदर्शो को अपने आचरण में अपनाने की जरूरत है। यदि हम अपने जीवन में सदाचार अपनाकर आगे बढ़े तो हमें निश्चित की सफलता मिलेगी। कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि गीता में उक्त सत्, सम, सत्ता एवं अस्मिता अर्थ के यथार्थ स्वरूप को नन्दा जी ने अपने त्यागपूर्ण जीवन में उतारा था। उन्होंने कहा कि यदि मनुष्य अपने अंदर व्यापकता की सोच लाए जो विश्व का कल्याण संभव है। कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने भारत रत्न स्वर्गीय नंदा जी के मार्ग पर चलकर कुरुक्षेत्र के विकास में योगदान देने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत रत्न नंदा जी ने सारी उम्र राष्ट्र एवं समाज के लिए जिए और कुरुक्षेत्र के विकास के लिए उल्लेखनीय योगदान दिया।
इससे पूर्व केन्द्र के निदेशक प्रो. एलके गौड़ ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा ने नन्दा जी द्वारा किए हुए ब्रह्म सरोवर तथा तीर्थों का उद्धार का वर्णन किया। उन्होंने नन्दाजी को राजर्षि की संज्ञा दी। उन्होंने बताया कि कैथल से आकर नन्दा जी ने ब्रह्मसरोवर में स्नान किया, कीचड़ देखकर तभी जीर्णाोंद्धार का प्रण लिया और ब्रह्मसरोवर पक्का बनाकर आस्था के केन्द्र के रूप में विकसित किया। वरिष्ठ पत्रकार विजय सभ्रवाल ने नन्दा जी के बारे में बताया कि कुरुक्षेत्र के विकास में उनका अहम योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि वे अपने पिताजी के साथ नन्दा जी के पास जाते थे।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बताया कि 1959 से नन्दा जी ने जीर्णोद्धार प्रारम्भ कर दिया था। 1970 से चहल-पहल प्रारम्भ हुई। गुलजारी लाल नन्दा केन्द्र के निदेशक प्रो. एलके गौड़ ने सभी आभार जताया व धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर कार्यक्रम में डॉ. कुलदीप सिंह, डॉ. सुनील, प्रो. कृष्णा देवी, प्रो. विभा अग्रवाल, प्रो.जया तिवारी, डॉ. विशम्बर, डॉ. मनीष कुमार शर्मा, डॉ. अनीता, डॉ. संध्या रानी, डॉ. रामचन्द्र, पूर्व प्राचार्या डॉ. सीमा शर्मा, राजेन्द्र सिंह राणा, बलवान सिंह, व प्रदीप सहित संस्कृत विभाग, पंजाबी विभाग के शोध छात्र तथा विद्यार्थी ऑनलाइन कार्यक्रम से उपस्थित रहे।