मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आजादी के अमृतोत्सव एवं शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में दो दिवसयीय कार्यक्रम संपन्न
मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में अवकाश प्राप्त सूबेदार मेजर रविन्द्र कौशिक को अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। भारतीय आजादी के आंदोलन में अपना सर्वस्व अर्पित करने वाले वीर शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव भारत माता के सच्चे सपूत थे। जिन्होंने अपनी देश भक्ति और स्वदेश प्रेम को अपने प्राणों से भी अत्यधिक महत्व दिया और अपनी मातृभूमि के लिए प्राण न्यौछावर कर दिए। इन वीर सपूतों की स्मृति में न केवल देश के प्रति सम्मान और हिन्दूस्तानी होने का गौरव अनुभव कराता है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आजादी के अमृतोत्सव एवं वीर भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव के बलिदान दिवस पर आयोजित दो दिवसयीय कार्यक्रम के समापन दिवस पर मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किए।
कार्यक्रम का शुभारंभ अति विशिष्ठ अतिथि थल सेना के अवकाश प्राप्त सूबेदार मेजर रविन्द्र कौशिक, एस. डी. कॉलेज, पानीपत की वरिष्ठ प्रो. संगीता गुप्ता एवं मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने वीर क्रांतिकारियों के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलन से संयुक्त रूप से किया। इस उपलक्ष्य में वीर क्रांतिकारियों के जीवन पर आधारित चित्रकला एवं निबंध लेखन, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसमें मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा संचालित मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने चित्रकला प्रतियोगिता में प्रथम अंकित, द्वितीय मनजोत एवं तृतीय स्थान कृष्णा ने प्राप्त किया वहीं निबंध लेखन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान आकाश, द्वितीय गौरव एवं तृतीय स्थान दीपक ने प्राप्त किया। मिशन की ओर से प्रतिभागी विद्यार्थियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। प्रतियोगिता में राघव गर्ग, सुश्री रिंकी, रवि प्रतियोगिता न्यायिक मंडल के सदस्य रहे। शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन की ओर से थल सेना के अवकाश प्राप्त सूबेदार मेजर रविन्द्र कौशिक को अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि वीर भगत सिंह अपने साहसी कार्यों के कारण युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। वीर शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव भारतीय आजादी आंदोलन के महान क्रांतिकारी एवं राष्ट्रभक्त थे। सरदार भगत सिंह ने 8 अप्रैल 1929 को अपने साथियों के साथ इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगाते हुए केंद्रीय विधानसभा में बम फेंके। सेंट्रल असेंबली में बम विस्फोट करके उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ खुले विद्रोह को बुलंदी प्रदान की। इन्होंने असेंबली में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया। भगत सिंह करीब 2 साल जेल में रहे। इस दौरान वे लेख लिखकर अपने क्रान्तिकारी विचार व्यक्त करते रहते थे। जेल में रहते हुए भी उनका अध्ययन लगातार जारी रहा। फांसी पर जाने से पहले वे लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे और जब उनसे उनकी आखरी इच्छा पूछी गई तो उन्होंने कहा कि वह लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे और उन्हें वह पूरी करने का समय दिया जाए। माँ भारती के इन महान सपूतों का बलिदान देश की हर पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा। डॉ. मिश्र ने कहा कि जब तक देश के आम व्यक्ति तक को रोटी, कपड़ा एवं मकान जैसी मूलभुत आवश्यकताएं नहीं प्राप्त होगी, तब तक शहीद भगत सिंह का स्वप्न अधूरा है। वीर सुखदेव एवं राजगुरु के त्याग, समर्पण एवं बलिदान का भारत सदैव ऋणी रहेगा।
कार्यक्रम में अति विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित अवकाश प्राप्त सूबेदार मेजर रविन्द्र कौशिक ने कारिगल युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों के पराक्रम और शौर्य का बहुत की मार्मिक वर्णन किया। उन्होंने कहा कि सेना का जीवन अनेक विपरीत परिस्थतियों का समाना करने वाला जीवन है। देश का सैनिक अपने तिरंगे की आन मान और शान के लिए बिना कुछ सोचे अपना सर्वस्व अर्पित कर देता है। कार्यक्रम में अति विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित एस. डी. कॉलेज पानीपत की वरिष्ठ प्रो. संगीता गुप्ता ने कहा कि सरदार भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव आज हमारी वर्तमान युवा पीढ़ी के लिए नायक हैं। देश की युवा पीढ़ी को भारत के आजादी आंदोलन में अपना सर्वस्व अर्पित करने वाले क्रांतिकारियों के जीवन से प्रेरणा लेनी होगी, तभी भारत एक समृद्ध एवं सशक्त राष्ट्र बन पाएगा। आजादी अमृत महोत्सव पर देश के प्रत्येक नागरिक को देश सेवा का संकल्प लेना चाहिए। कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का आभार ज्ञापन मातृभूमि सेवा मिशन के वरिष्ठ सदस्य जसबीर राणा बाहरी ने किया और मंच संचालन सुश्री रिया ने किया। कार्यक्रम में कांइड बिंगस, कुरुक्षेत्र के सदस्यों सहित अनेक सामाजिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि जन उपस्थित रहे।