राम में गीता, गीता में राम पर अयोध्या में आयोजित हुआ सत्संग समारोह
अयोध्या धाम, 25 मार्च
महामण्डलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने अयोध्या में आयोजित चार दिवसीय दिव्य गीता सत्संग में उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि विश्वास और अहंकार के बीच टकराव हुआ तो विजय हमेशा विश्वास की होती है। अयोध्या की मनीराम छावनी में जीओ गीता व कृष्ण कृपा परिवार द्वारा आयोजित सत्संग का शुभारम्भ श्री राममंदिर तीर्थ न्यास के अध्यक्ष महन्त नृत्य गोपालदास जी महाराज ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। गीता मनीषी ने राम भक्तों के विश्वास का उल्लेख करते हुए कहा कि आज आयोध्या में राम मंदिर का निर्माण राम भक्तों के विश्वास की ही विजय है। उन्होंने कहा कि भगवद् गीता व अवध धाम में अनेक समानताएं है। गीता में राम और राम में गीता के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत की जनता का विश्वास अतुल्य है। उन्होंने कहा कि अयोध्या का भरत त्याग की मूर्ति और शकुन्तला का पुत्र भरत कर्मयोग का प्रतीक था और जड़ भरत भी श्रद्धा भाव की प्रति मूर्ति था। उन्होंने कहा कि हस्तिनापुर का सिंहासन दो भाईयों के बीच महाभारत का कारण बना। दूसरी ओर अवध का सिंहासन भरत के प्रेम व त्याग का प्रतीक है। भारत में संकट के बीच अनेक अवतारों पर दिव्यता प्रकट होती है। ऐसा ही कुछ महाभारत में हुआ। इस युद्ध के बीच विश्व को श्रीमद्भगवद् गीता की प्राप्ति हुई। उन्होंने कहा कि गीता आलौकि प्ररेणा देती है। भक्ति कर्म व ज्ञान की पराकाष्ठा है। अवतार परम्परा भारत का एक अमूल्य गौरव है जोकि दुनिया में कहीं देखने को नहीं मिलता। सनातन परम्परा में जब-जब आवश्यकता पड़ी तब-तब भगवान प्रकट होते हैं। यही बात रामायण में भी कही गई है। उन्होंने कहा कि राम और कृष्ण दोनों एक ही तत्व हैं। आयोध्या को बैकुंठ की संज्ञा देते हुए गीता मनीषी ने राम जन्म भूमि को बड़ा बताते हुए कहा कि भगवान राम ने जिस धरा पर जन्म लिया वह सबसे श्रेष्ठ है। जिन-जिन भक्तों ने भगवान पर अटूट विश्वास प्रकट किया। उनकी कभी हानि नहीं हुई। द्रोपदी ने जब भगवान कृष्ण में विश्वास प्रकट किया तो भगवान ने वस्त्रावतार लेकर उसकी लाज रखी। गीता मनीषी ने कहा भारत विश्वास की धरा है। उन्होंने कहा कि अवध धाम से सम्पूर्ण सृष्टि से जुड़ी हुई है। इसी प्रकार भगवद् गीता के उपदेश की दिव्यता अयोध्या भूमि से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि गीता उपदेश में व अयोध्या धाम में काफी समानता है। इस अवसर पर रामजन्म भूमि न्यास के महामंत्री चंपत राम ने रामजन्म भूमि निर्माण कार्य के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर महन्त कमल नयन दास, महन्त सुरेशदास, श्रीधराचार्य जी महाराज सहित अयोध्या भूमि के अनेक संत इस समारोह में उपस्थित थे।