राम में गीता, गीता में राम विषय पर सत्संग का आयोजन
न्यूज डेक्स संवाददाता
अयोध्या धाम। महामण्डलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने आयोध्या की मनीराम छावनी में आयोजित सत्संग समारोह ‘‘राम में गीता और गीता में राम’’ विषय पर अमृत वर्षा करते हुए कहा कि भगवान कृष्ण ने अर्जुन से पहले सृष्टि के प्रारम्भ में सूर्य को उपदेश दिया था और मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम सूर्य वंश से ही संबंधित हैं। इससे पूर्व सांसद महंत राम बिलास वेदांती जी महाराज द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके सत्संग का शुभारम्भ किया गया। गीता मनीषी ने कहा कि भारत परम्पराओं का देश है। तीर्थ परम्परा का अपना एक विशेष महत्व है। तीर्थ यात्रा से अनेक लाभ मिलते हैं।
गृहस्थ आश्रम में रहकर तीर्थ यात्रा करने से जहां तीर्थ परम्परा का ज्ञान होता है वहीं मानव शरीर में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा की अनुभूति होती है। उन्होंने कहा कि तीर्थ परम्परा से मानसिक शांति मिलती है और यह अतीत से जोड़ने का काम करती है। सनातन धर्म पर बोलते हुए स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में अनेक दिव्यताएं हैं। सनातन परम्पराएं वैज्ञानिक आधार पर आधारित हैं। हिन्दू संस्कृति में भारत की भूमि पर मानव के रूप में जन्म होना गौरव एवं स्वाभिमान की बात है।
उन्होंने प्रेरणा देते हुए कहा कि व्यक्ति को अपने मूल को नहीं भूलना चाहिए। हम सब भगवान राम व कृष्ण के वंशज हैं व ऋषियों की संतान हैं। उन्होंने कहा कि सत्संग से विवेक मिलता है और विवेक से ज्ञान प्रकट होता है। अज्ञानता को दूर करने के लिए सत्संग बहुत जरूरी है। उन्होंने खेद प्रकट करते हुए कहा कि आज हमारे बच्चों को राम व कृष्ण से दूर करने की कुचेष्ठा की जा रही है। हमें इससे सावधान रहना चाहिए। इस अवसर पर महंत कमल नयन दास, राम किशोर दास व अयोध्या के अन्य संतों ने भी सम्बोधित किया। संतों का स्वागत ब्रह्मचारी शक्ति, ब्रह्मचारी केशव, वासुदेव शरण व गोपेश बाबा ने किया।