जय-जय श्यामा, जय-जय श्याम, जय-जय-जय श्रीवृंदावन धाम भजन सुन मंत्रमुग्ध हुए श्रद्धालु
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के सान्निध्य में शनिवार की देर रात्रि गीता ज्ञान संस्थानम् में नव संवत के उपलक्ष्य में भजन संध्या का आयोजन किया गया। प्रमुख व्यवसायी एवं प्रमुख समाजसेवी महेंद्र सिंगला परिवार के सदस्यों विष्णु स्वरूप सिंगला, विनोद सिंगला, लाजपत सिंगला, डा. अनूप सिंगला और अश्वनी सिंगला द्वारा अपने पिता स्वर्गीय धनीराम भारती की याद में आयोजित इस भजन संध्या में हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर, थानेसर के विधायक सुभाष सुधा, शाहाबाद के विधायक रामकरण काला सहित अनेक गणमान्य लोगों तथा भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और भजन संध्या का आनंद उठाया। भजन सम्राट सर्वमोहन सिंह (टीनू सिंह) ने अपनी वाणी से कन्हैया का गुणगान करते हुए जब जय-जय श्यामा, जय-जय श्याम, जय-जय-जय श्रीवृंदावन धाम…भजन गाया तो श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए।
इस अवसर पर अपने आशीर्वचन में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि नव वर्ष भारतीय सनातन धर्म की परंपरा की दिव्यता है। नव संवत के दिन से ही नवरात्र प्रारंभ होते हैं। हमारी यह परंपरा अंधेरे से प्रकाश की ओर जाने की प्रेरणा देती है। नवरात्र मां भगवती की उपासना का प्रतीक है जो कि सबके मंगल की कामना करते हैं। नवरात्र के दिनों में ही रामनवमी का त्योहार आता है, जोकि भगवान राम का प्रकटोत्सव है। नवरात्र से ही फसल की कटाई की प्रारंभ होती है और किसानों व मजदूरों के घर में धन-धान्य आने से खुशहाली होती है। इस प्रकार यह पर्व सुख समृद्धि और खुशहाली का पर्व है। गीता मनीषी ने कहा कि भारतीय परंपरा का नववर्ष नव संवत से शुरू होता है, जोकि भारतीय संस्कृति की दिव्यता का परिचायक है। गीता मनीषी ने कहा कि हमें अपनी सनातन परंपराओं को नहीं भूलना चाहिए और नव संवत को ही नव वर्ष के रूप में मनाना चाहिए। आने वाली पीढ़ी को अपनी सनातन परंपराओं का ज्ञान देना अति आवश्यक है।