Friday, November 22, 2024
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आखिर दुलारी बाई ने धन की लालसा छोड़ समझे इंसानी रिश्ते, हास्य नाटक में कलाकारों ने छोड़े हंसी के फव्वारे

by Newz Dex
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हास्य-व्यंग्य के साथ लालच के परिणाम से रुबरु करवा गया नाटक दुलारी बाई

न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र। हरियाणा कला परिषद द्वारा 27 मार्च विश्व रंगमंच दिवस से प्रारम्भ हुए नाट्य मेला में गुरुवार को मणि मधुकर का लिखा चर्चित नाटक दुलारी बाई मास्अर विनोद के निर्देशन में मंचित किया गया। नाटक मंचन के दौरान कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय स्थित धरोहर के क्यूरेटर डा. विवेक चावला बतौर मुख्यअतिथि पहुंचे। हरियाणा कला परिषद के कार्यालय प्रभारी धर्मपाल गुगलानी ने पुष्पगुच्छ देकर मुख्यअतिथि का स्वागत किया। मंच संचालन मीडिया प्रभारी विकास शर्मा ने किया। नाटक दुलारी बाई थिएटर का एक लोकप्रिय नाटक है जिसका अलग-अलग रंग निर्देशक अपने-अपने अंदाज में मंचन करते आए हैं। लोक शैली में लिखे गए नाटक को नाटक निर्देशक अपने ढंग से संगीत और गायन से सजाकर दर्शकों के लिए मंचित करते हैं, तो वहीं अभिनेता उत्तर भारत की भाषा या बोली का समावेश करते हुए नाटक को नयापन प्रदान करते हैं। ऐसा ही कुछ देखने को मिला आदि मंच, अम्बाला के कलाकारों द्वारा अभिनीत 2 घण्टे की अवधि वाले नाटक दुलारी बाई में।

हास्य व्यंग्य से भरपूर नाटक दुलारी बाई में लोक रंगों और परिवेश से जुड़ी लोक कथा को संगीत, स्थानीय बोली और अभिनय के साथ कलाकारों ने लोक परिवेश का खूबसूरत चित्रण किया।  दुलारी बाई गांव की एक कंजूस औरत है। नाटक की कहानी इसी कंजूस औरत के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। दुलारी बाई के लिए धन और सोने की लालसा जिंदगी में सर्वोपरि है। पुरखों की दौलत कहीं शादी के बाद पति के पास नहीं चली जाए इसलिए वो शादी भी नहीं करती है। लेकिन कल्लू भांड नामक व्यक्ति बहरूपिया बनकर उसे अपने जाल में फंसा लेता है और उसे तरह-तरह के लालच देकर अपने वश में करना शुरु कर देता है। इसी नासमझी का शिकार होकर दुलारी बाई गांव के कल्लू भांड से शादी रचा बैठती है।

अंत में उसे अहसास होता है कि सोने और धन की लालसा से ज्यादा महत्व इंसानी रिश्तों और प्रेम का होता है। दो घण्टे की अवधि वाले नाटक में होने वाली घटनाओं और संवादों से उपजे हास्य ने दर्शकों को खूब हंसाया। कलाकारों का अभिनय और संगीत नाटक को एक अलग ही रंग दे रहा था। कलाकारों ने नाटक के जरिए जरूरत से ज्यादा धनसंचय और खर्च न करने की प्रवृत्ति पर कटाक्ष किया। नाटक में दुलारी बाई की भूमिका दिव्या जाखड़ तथा कल्लू भाण्ड की भूमिका नितिश कुमार पोसला ने निभाई। अन्य कलाकारों में सहायक निर्देशक जगदीश शर्मा, चंद्र मोहन, सुखमनप्रीत सिंह, देवेंद्र कुमार चौहान, सौरभ, गुरविंद्र, संजीव भाटिया, मनीश विज, उमंग शर्मा रहे। संगीत राजीव मोहन शर्मा व भगवान दास का रहा। गायन में राधिका धिमान व रोशनी ने अपनी प्रतिभा को दिखाया। प्रकाश व्यवस्था मोनिका गौड़ ने सम्भाली। अंत में धर्मपाल गुगलानी व शिवकुमार किरमच ने मुख्यअतिथि डा. विवेक चावला व नाटक के सहायक निर्देशक जगदीश शर्मा को स्मृति चिन्ह भेंट किया। 


अगले सप्ताह नाटक मिट्टी दा बावा व लुक्का छुप्पी का होगा मंचन
हरियाणा कला परिषद के मीडिया प्रभारी विकास शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि आगामी सप्ताह ब्रहमसरोवर स्थित कला कीर्ति भवन में 15 व 16 अप्रैल को दो नाटकों का मंचन किया जाएगा। जिसमें 15 अप्रैल को नाटक मिट्टी दा बावा तथा 16 अप्रैल को लुक्का छुप्पी का मंचन होगा। समय सायं साढ़े छह बजे रहेगा। 

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