Friday, November 22, 2024
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क्रांतिकारी मंगल पांडे भारत की आजादी के लिए शहीद होने वाले प्रथम सेनानी थे-डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

by Newz Dex
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मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा भारतीय आजादी के अमृतोत्सव एवं शहीद मंगल पांडे की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में कार्यक्रम संपन्न

न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र। शहीद मंगल पांडे को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का जनक कहा जाना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मंगल पांडे के योगदान को स्पष्ट दर्शाता है। मंगल पांडे द्वारा भड़काई गई विरोध की चिंगारी ने देखते ही देखते क्रांति का जन्म लिया और ब्रिटिश सरकार का सिंहासन हिला के रख दिया। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने भारतीय आजादी के अमृतोत्सव एवं शहीद मंगल पांडे की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में मिशन के फतुहपुर स्थित आश्रम परिसर में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यार्थियों द्वारा भारतमाता एवं शहीद मंगल पांडे के चित्र पर पुष्पार्चन से हुआ। इस अवसर पर मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा संचालित मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों के लिए निबंध लेखन एवं चित्रकला प्रतियोगताओं का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागी बच्चों को मिशन की ओर से स्टेशनरी देकर सम्मानित किया गया। 

डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि शहीद मंगल पांडे भारतीय स्वाधीनता संग्राम में अग्रणी योद्धा थे। मंगल पांडे की शहादत ने भारत में प्रथम क्रांति के बीज बोए थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मंगल पांडे जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। क्रांतिकारी मंगल पांडे भारत की आजादीक के लिए शहीद होने वाले प्रथम सेनानी थे। मंगल पांडे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अंतर्गत 34वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री में एक सिपाही थे। सन 1857 की क्रांति के दौरान मंगल पांडे ने एक ऐसे विद्रोह को जन्म दिया जो जंगल में आग की तरह सम्पूर्ण उत्तर भारत और देश के दूसरे भागों में भी फैल गया। अंग्रेजी हुकुमत ने उन्हें गद्दार और विद्रोही की संज्ञा दी पर मंगल पांडे प्रत्येक भारतीय के लिए एक महानायक हैं। 

डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि मंगल पांडे, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पहले ऐसे क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया। मंगल पांडे का यूं तो फांसी देने की तारीख 18 अप्रैल 1857 तय की गई थी। लेकिन अंग्रेजी शासनों को इस बात का डर सताने लगा कि अगर मंगल पांडे को फांसी नहीं दी गई तो लगाई स्वतंत्रता आंदोलन की चिंगारी पूरे भारत में फैल जाएगी। इसी वजह से डर से अंग्रेजों ने 18 अप्रैल की जगह मंगल पांडे को 8 अप्रैल को ही फांसी दे दी थी। पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में मंगल पांडे को फांसी दी गई थी। मंगल पांडे के शहीद होने के पश्चात देश में आजादी पाने की लहर सी दौड़ पड़ी। इस घटना के पश्चात कई नए क्रांतिकारियों ने जन्म लिया। शहीद मंगल पांडे ने अपना सर्वस्व मातृभूमि भारत को समर्पित कर दिया। 
कार्यक्रम में मिशन के सदस्य एवं अनेक सामाजिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि जन उपस्थित रहे। 

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