न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र, 21 सितम्बर। हरियाणा के एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन ने कहा है कि सीखना एक जीवन पयन्त क्रिया है। इस तरह के कोर्स में मानव जीवन व समाज के विषय में बहुत कुछ सीखने से मानव जीवन व समाज के विषय में बहुत कुछ सीखने को मिलता है। वे सोमवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पंचवर्षीय विधि संस्थान तथा यूजीजी मानव संसाधन विकास केंद्र के संयुक्त तत्वाधान में विधिक नियम व सामाजिक बदलाव विषय पर आयोजित आनलाईन अंतः विषय रिफ्रेशर कोर्स के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
उन्होंनें कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को बधाई दी व इस महामारी के दौर में भी इस तरह के महत्वपूर्ण विषयों पर कोर्सो का संचालन करने के लिए सराहना की। कोर्स के विषय के बारे में बोलते हुए उन्हांने कहा कि विधिक नियम व सामाजिक बदलाव एक दूसरे से जुड़े हैं क्योंकि समाज से नियम व नियम से समाज ही प्रासंगिक है।
मुख्य वक्ता पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ की प्रो. पैम राजपूत ने विधिक नियमों से हो रहे सामाजिक बदलाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस तरीके से संवैधानिक नियमों विशेष तौर पर अनुच्छेद 14, 17 व 21 ने हमारे सामाजिक परिवेश को बदला है। उन्होंने तीन तलाक, धारा 377 को हटाना भी समयकालीन सामाजिक बदलाव बतालाया। महिला सशक्तिकरण भी सामाजिक बदलाव से संभव है जिस पर एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अब पूरे विश्वभर में लगभग 1.4 मिलियन महिलाएं राजनैतिक प्रतिनिधित्व को हिस्सा है, जो बहुत बड़ा बदलाव है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीता खन्ना ने कहा कि समयकालीन सामाजिक बदलाव के दो तरीके हैं, पहला की नए विधान लाए जाएं और वो समाज को बदले अर्थात् देश का कानून समाज को तदनुसार बदलने के लिए बाध्य करता है। दूसरा जहां समाज कानून का बदलाव करता है अर्थात् कानून समाज द्वारा लोकतांत्रिक संस्थाओं की आवश्यकताओं के अनुसार बनाया जाए। कुलपति ने बताया कि कोर्स में हर दिन देश व विदेश के विभिन्न उच्च समझ व ख्याति प्राप्त शिक्षाविद अपने अनुभव व ज्ञान को प्रतिभागियों से सांझा करेंगे जिससे निंसदेह उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
यूजीसी-मानव संसाधन विकास केन्द्र की निदेशिका डॉ. नीरा वर्मा ने सभी का औपचारिक स्वागत किया तथा बताया कि अभी तक लगभग 346 रिफ्रेशर कोर्स सम्पन्न हो चुके हैं। इस सत्र में यह चौथा कोर्स है जिसका विषय सामाजिक ताने-बाने से जुड़ा है।
पंचवर्षीय विधि संस्थान के निदेशक प्रो. राजपाल शर्मा ने बताया कि विधिक नियम व सामाजिक बदलाव एक दूसरे के पूरक हैं। विधिक नियम समाज को बदलते हैं और समाज आवश्यकता अनुसार नियमों को जिसके परिणामस्वरूप् एक सुयोजित समाज की संरचना होती है।
अंत में कोर्स कोर्डिनेटर डॉ. नीरज बातिश ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस कोर्स में हर रोज 4 सत्र होंगे जिसमें देश व विदेश से अति उच्च समझ व ख्याति प्राप्त शिक्षाविद् व हाईकोर्ट के जस्टिस बतौर वक्ता अपने अनुभव व ज्ञान को सांझा करेंगे जिससे निःसंदेह सभी प्रतिभागियों को बहुत कुछ जानने व सीखने को मिलेगा।