न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र, 22 सितंबर। नेशनल एकेडमी फार लीगर स्टडीज एंड रिसर्च(नालसार), हैदराबाद के कुलसचिव डॉ. वी बालासिकता रेड्डी ने कोविड-19 के बाद बदलते वैश्विक स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वैश्विकरण के लिए सभी देशों ने अपने-अपने दरवाजे व सीमाएं खोल रखी थी। परन्तु किस तरह से कोविड-19 महामारी की वजह से मजबूरन अपनी सीमाओं व नागरिकों की आवाजाही को बंद करना पड़ा।
वे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र में चल रहे द्विसाप्ताहिक अंतर्विषय रिफ्रेशर कोर्स के दूसरे दिन के कार्यक्रम के प्रथम सत्र में वैश्विकरण व कोविड-19 विषय पर बोल रहे थे। दूसरे सत्र में जेएनयू की प्रो. अनुपमा राय ने नागरिकता के बदलते संदर्भ के बारे में अवगत करवाया। नागरिकता असल में किसी देश की सदस्यता है जिसके आधार पर एक मानव को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं। इन अधिकारों की प्राप्ति ही उसे नागरिक व गैर-नागरिक के बीच में फर्क बतलाती है। उन्होंने संविधान, नागरिक बिल, प्रवासी भारतीय नागरिक स्कीम व नागरिक संशोधन बिल पर भी चर्चा की।
सांयकालीन सत्र में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की डॉ. अनुरेखा शर्मा ने अपने व्यक्तव्य में ई-टूल का शिक्षण व शोध में उपयोग के बारे में बताया, जो आज के दौर में बेहद महत्वपूर्ण है। कोविड-19 महामारी के दौर में ई-उपकरणों की उपयोगिता बहुत बड़ी है। इसलिए ई- उपकरणों का उपयोग करना बेहद जरूरी है। इसी चरणबद्ध तरीके से चल रहे रिफ्रेशर कोर्स में कल के सांयकालीन सत्र में विषय विशेषज्ञ प्रो. एसपी श्रीवास्तव, केन्द्रीय विश्वविद्यालय बिहार व प्रो. वीके कौशिक, पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला थे।
कोर्स के सभी प्रतिभागियों ने सभी सत्रों में बेहद रूचि दिखाई। डॉ.गगनदीप, डॉ. अंकिता शर्मा, डॉ. मंजू सैनी, सुरेन्द्र जागलान, डॉ. विजय कुमार ने विभिन्न सत्रों की रिपोर्ट दी व विषय विशेषज्ञों से सवाल-जवाब भी किया। सभी प्रतिभागियों ने डॉ. नीरज बातिश के सहज संचालन पर खुशी व सहमति जताई।