न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। हरियाणा कला परिषद द्वारा आजादी का अमृतमहोत्सव के अंतर्गत विश्व रंगमंच दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित नाट्य मेला की पांचवी शाम में संजीवनी रंगमंच के कलाकारों द्वारा नाटक लुक्म्का छुप्पी का मंचन किया गया। 27 मार्च से प्रारम्भ हुए नाट्य मेला में कला कीर्ति भवन की भरतमुनि रंगशाला में प्रत्येक सप्ताह अलग-अलग नाटक मंचित किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में रत्नाकर मतकरी का लिखा और नीरज शर्मा के निर्देशन में नाटक लुक्का छुप्पी के माध्यम से यमुनानगर के कलाकारों ने अपने अभिनय के कौशल दिखाते हुए एक मंदबुद्धि बच्चे की कहानी को दर्शाया। इस अवसर पर रंगकर्मी शिवकुमार किरमच, रमेश सुखीजा तथा हरियाणा कला परिषद के कार्यालय प्रमुख धर्मपाल गुगलानी ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।मंच का संचालन मीडिया प्रभारी विकास शर्मा द्वारा किया गया।
नाटक लुक्का छुप्पी में दिखाया गया कि एक मंदबुद्धि बच्चा, जिसके जन्म होते ही उसकी मां का देहांत हो जाता है, उसे उसका बाप पालने से इंकार कर देता हैै। जिसके बाद लड़के का दादा उस बच्चे को पालता है। बच्चे का नाम विलास रखा जाता है और सभी प्यार से उसे विलकू कहने लग जाते हैं। विलकु गांव के स्कूल में ही पड़ना शुरु कर देता है। लुक्का छुप्पी उसका पसंदीदा खेल होता है। अक्सर लुक्का छुप्पी के दौरान उसके दोस्त उसे सताते रहते है, जो विलकू को अंदर ही अंदर खोखला करना शुरु कर देता है। कई सालों बाद उसके पिता का खत आत है कि वो उसको लेने आ रहा है और मुंबई के किसी अच्छे स्कूल में पड़ाएगा। वहीं से उसकी मुंबई जाने की इच्छा जाग जाती है। गांव में उसके दोस्त उसके मंदबुद्धि होने की वजह से उसका मजाक उड़ाने लगते हैं। जिस वजह से उसकी बुराई उस पर हावी होने लगती है।
विलकू का दोस्त राघव बार बार उसको ताना मारता है कि उसी ने उसकी माँ को मारा है। विलकू इस कदर परेशान हो जाता है कि एक दिन लुक्का छुप्पी के खेल में राघव को संदूक के अंदर बंद करके मार देता है। तबसे विलकू की बुराई सामने आनी शुरु हो जाती है और जो कोई भी उसे मंदबुद्धि कहकर चिढ़ाता है विलकू उसे मार देता है। एक दिन उसके दादा को संदूक से बदबू आनी शुरु हो जाती है और जब वो संदूक खोल के देखते हैं तो अंदर राघव की लाश देखकर विलकू को लताड़ना शुरु कर देते हैं। इस बात से विलकू और परेशान हो जाता है और अपने दादा का भी खून कर देता है। इस प्रकार विलकू की बुराई उसके बालपन को खत्म कर उसे एक दरिंदे की तरह बना देती है। अंत में जब सब खत्म हो जाता है तो विलकू स्वयं को अकेला पाकर परेशान हो जाता है और अपने आप से बाते करता हुआ कहता है कि उसने सभी को मार दिया लेकिन अपनी मां को उसने नहीं मारा था। इस प्रकार नाटक में लोगों की तानाकशी से एक भोले-भाले बच्चे के दिमाग में शैतान के घर करने की कहानी को दिखाया गया नाटक लुक्का छुप्पी में। नाटक के अंत में हरियाणा कला परिषद की ओर से कलाकारों को सम्मानित किया गया।
14 मई तक चलने वाले नाट्य मेला में 22 अप्रैल को नाटक जब मैं सिर्फ एक औरत होती हूं तथा 23 अप्रैल को नाटक चरणदास चोर मंचित किया जाएगा। यह जानकारी हरियाणा कला परिषद के मीडिया प्रभारी विकास शर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि कला कीर्ति भवन में मंचित होने वाले नाटकों का समय सायं साढ़े छह बजे रहेगा।