प्रेरणा वृद्धाश्रम में कवियों ने बुजुर्गों के संग जमाया रंग
प्रेरणा वृद्धाश्रम सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बना
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। अपनों से नकारे गए और परिवारों से निकाले गए बुजुर्गों की धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में आश्रय स्थली प्रेरणा वृद्धाश्रम अब कुरुक्षेत्र की संस्थाओं के लिए ही नहीं बल्कि राज्य के अन्य शहरों की संस्थाओं के लिए भी सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बन चुका है। प्रेरणा के संस्थापक जय भगवान सिंगला के प्रयासों से प्रेरणा वृद्धाश्रम में केवल वृद्धों की सेवा और आर्थिक तौर पर कमजोर परिवारों के बच्चों को शिक्षित एवं सक्षम बनाने के लिए संस्कार केंद्र ही नहीं चल रहा है। अब तो समाज को एक नई दिशा देने के लिए प्रतिदिन कोई न कोई गतिविधियां यहां होती रहती हैं।
समाजसेवी राजेश सिंगला ने कहा कि अगर किसी के दिमाग में प्रेरणा शब्द का ज़िक्र आता है तो जयभगवान सिंगला के मार्गदर्शन में संचालित कुरुक्षेत्र के प्रमुख प्रेरणा वृद्धाश्रम का चित्र साक्षात प्रकट हो जाता है। आज पूरे राज्य के लोगों के लिए भी यह वृद्धाश्रम नई नई सुविधाओं के साथ आकर्षित कर रहा है। इसी दिशा में जयभगवान सिंगला के प्रयासों से बनाए गए लाला रामस्वरूप सभागार का योगदान भी समाज के लिए सराहनीय और अनुकरणीय है। प्रेरणा की इसी भावना से प्रेरित होकर एक सांस्कृतिक संस्था एसआरपी मंच जोकि पानीपत से मूलतः है ने वृद्धाश्रम में बुजुर्गों के लिए एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया।
कार्यक्रम में शहर के और दूर-दूर से आए कवियों ने अपनी प्रस्तुतियां दी और बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया। ऐसे मौके पर सभी बुजुर्गों के चेहरे पर खुशी देखने लायक थी। करीब 3 घण्टे तक चले इस कार्यक्रम में भारतीयता एवं राष्ट्रीयता के रंग के कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से बुजुर्गों संग भावनाओं को साझा किया। इस खूबसूरत मौके पर कार्यक्रम के शुरुआत में सभी बाहर से आए मेहमानों ने प्रेरणा वृद्धाश्रम का अवलोकन करके परम्परा अनुसार मंदिर में माँ के दर्शन किए फिर शहीद स्मारक पर शहीदों को श्रद्धा पुष्प भेंट कर उन्हें स्मरण किया। तत्पश्चात कार्यक्रम का विधिवत रूप से आगाज़ हुआ।
सर्वप्रथम एसआरपी मंच ने प्रेरणा संस्था के संस्थापक जय भगवान सिंगला, रिटायर्ड आई जी हरियाणा हरीश रंगा, अनीता रामपाल, युवा कवि वीरेंद्र राठौर और मंच संचालक डा. बलवान को गमला भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम की शुरुआत हरीश रंगा की प्रस्तुति से हुई। इस अवसर पर युवा शायर प्रकाश ने कहा :- “उम्मीद में था फूल कि पत्थर मिला मुझे, एक तेजधार पीठ पर खंजर मिला मुझे”। डा. बलवान ने अपनी प्रस्तुति में कहा :- “पुरवाई के झोंको से फिर उस विरहन का मन डोला, बूढी बदली ऐसा बरसी बादल भी हैरान हुए, अपनी प्यास बुझाने हेतु पपीहे ने था मुख खोला”। सूबे सिंह सुजान ने कहा :-“उसने कहा कि फूलों,बहारों को देखना, फिर पेड़ और नदी के किनारों को देखना, मैंने कहा कि फूल, कभी आते तो करीब, हम सीख जाते,खूब नजारों को देखना”। इसी अवसर पर जय भगवान सिंगला ने अपनी हास्य प्रस्तुति में कोरोना के समय में मास्क लगाने से हुए महिलाओं के नुकसान और शादी ब्याह के नुकसान फायदों को व्यंग्य के माध्यम से प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा :- दब्बू पति सबसे सुखी, नित पिटने से बच जाए, ऐसे भी देखे बहुत, सिर पर बाल ना पाए”। युवा कवि वीरेंद्र राठौर ने कहा:- जो जोड़े जीवन को जीवन से, वह जीवन जीवन हो जाएगा, जो आंसू नयनों की पीड़ा को, पी लेगा पावन हो जाएगा”। इस्माइलाबाद से पहुंची दिव्या कोचर ने कहा : दो चार पलो में ही एक उम्र बितानी है, चुपके से तेरी मैंने एक शाम चुरानी है, तहजीब की चूनर है ओढू तो दमकती हूँ, मेरे पास बुजुर्गों की ये एक निशानी है। कवि सुधीर ढांडा ने माँ को याद करते हुए कहा:- “माँ डाँटे तेरी सुन सुनकर हुआ हूँ मैं जवान, माँ बाप की छाया मैं चलता था सीना तान, आपके के ही दम से, है मेरी पहचान यहॉं,
फिर जाने किस जन्म में तू मिलेगी मेरी माँ। इस अवसर पर कवियों की रचनाएँ सुनकर आश्रम के बुजुर्ग भी अपने आप को रोक ना पाए। आश्रम में ही आश्रय लिए हुए माता सुधा गुप्ता ने आराध्य देव श्री कृष्ण जी पर छंद पढ़कर सब का मन मोहा। एक अन्य बुजुर्ग ने अपनी प्रेरक शायरी के माध्यम से कहा :- “दिल के कुछ अरमान थे, एक तरफ थी झाड़ियां एक तरफ श्मशान थे, चलते चलते एक हड्डी पैर में चुभी, उस हड्डी के ये बयान थे, ए चलने वाले संभल कर चल, हम भी कभी इंसान थे”।