न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र,22 सितंबर।” आधुनिक शिक्षा का छात्रों को मौजूदा वातावरण और वास्तविक सामाजिक जीवन से कहीं कोई संबंध नहीं दिखता है ,न ही सुरक्षित भविष्य की आश्वस्ति है ,और न ही व्यवसायपरक व्यक्तित्व का आत्मविश्वास है।”यह कहना है समाजसेवी एवं शिक्षाविद शोभा शर्मा का। उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा प्रणाली नौजवानों के भविष्य को सुनिश्चित नहीं कर पा रही है जिसके चलते वह किसी को अपनी ओर आकर्षित करने में पूरी तरह से सफल सिद्ध नहीं हो पा रही है।
इसके अलावा परीक्षा प्रणाली ने शिक्षा के प्रति जो अनास्था बढ़ाई है, वह कोई छोटा खतरा नहीं है। व्यापकता और वस्तुनिष्ठता के बावजूद संदिग्ध मूल्यांकन पद्धति छात्रों में आत्मविश्वास पैदा करने में सफल नहीं हो पा रही है।शिक्षाविद शोभा शर्मा ने कहा कि कृत्रिमता के चलते पूरा स्कूली जीवन बच्चों को उनके जीवन से जोड़ने में असफल सिद्ध हो रहा है। विद्यालयों के प्रति विद्यार्थियों का होता मोहभंग और कोरोना संकट के चलते शिक्षा पद्धति के प्रति छात्रों का मोह घटता जा रहा है।
उन्होंने इस बात पर खेद जताया की स्वाधीनता के बाद शिक्षा व्यवस्था में जिन परिवर्तनों की उम्मीद थी उन्हें सरकार पूरा नहीं कर पाई इसलिए शिक्षा ने भी समाज को गंभीरता से लेना छोड़ दिया। शिक्षा का व्यक्ति समाज और राष्ट्रीय संबंध शिथिल हो गया है। विषयों के जीवन से जुड़ाव का दूर-दूर तक कोई सूत्र मौजूदा शिक्षा प्रणाली में नहीं दिखता है।
पढ़ाई के प्रति मोहभंग के कारणों की चर्चा करते हुए शिक्षाविद शोभा शर्मा ने ने कहा कि पाठ्यक्रमों का विद्यार्थियों की रुचिओं से दूर-दूर तक ताल्लुक न होना ,बदलते दौर में शिक्षक -शिक्षार्थी के मध्य समरसता का भाव उतनी बसों में पाठ्यक्रमों का रुचि न होना,पाठ्यक्रमों का नीरस, बोझिल और एक ही ढर्रे पर बने रहना ,शिक्षार्थी में समरसता का अभाव इसके मुख्य कारण प्रतीत होते हैं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति -2020 से कुछ ऐसी उम्मीदें बंधी हैं जिसमें विद्यार्थी नीरसता को तोड़ने के प्रयास में जुड़ते नजर आ रहे हैं।