कर्मयोगी के लिए कुछ भी असम्भव नहीं : राज्यपाल आचार्य देवव्रत
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। ईमानदारी के साथ कठिन परिश्रम करने वाले कर्मयोगी दुनिया में सबकुछ प्राप्त कर सकते हैं, अर्थात् कर्मयोगी के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है। साफ नियत, कर्मयोग और ईश्वर पर विश्वास, ये तीन चीजें व्यक्ति को प्रगति के पथ पर निरन्तर आगे लेकर जाती है। उक्त शब्द गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आज गुरुकुल कुरुक्षेत्र के जिम्नेजियम हॉल में छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी जीवन में छात्र को ज्यादा से ज्यादा ज्ञान अर्जित करते हुए अपने लक्ष्य की प्राप्ति की ओर बढ़ना चाहिए, यह बहुमूल्य समय दोबारा लौटकर नहीं आता इसलिए खूब परिश्रम करें।
उन्होंने हाल ही में गुरुकुल के 4 छात्रों के एनडीए का एसएसबी इन्टरव्यू पास कर लेफ्टिनेंट के पद पर चुने जाने पर खुशी व्यक्त की। इस अवसर पर गुरुकुल के मुख्य अधिष्ठाता राधाकृष्ण आर्य, प्रधान राजकुमार गर्ग, निदेशक व प्राचार्य कर्नल अरुण दत्ता, सह प्राचार्य शमशेर सिंह, मुख्य संरक्षक संजीव आर्य सहित समस्त अध्यापकवृन्द एवं संरक्षक मौजूद रहे। मंच का सफल संचालन दिनेश राणा द्वारा किया गया।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि जो छात्र गुरुकुल के नियमों का पालन करते हुए कठिन परिश्रम करता है, वह जीवन में उतनी ही ऊंचाइयों पर जाता है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी को समय का सदुपयोग करते हुए एक-एक क्षण विद्यार्जन के लिए लगाना चाहिए और हमेशा ऊंचा लक्ष्य रखना चाहिए। गुरुकुल परिसर पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यहां प्रवेश पाने वाले छात्र और उनके अभिभावक सौभाग्यशाली है जो इतना अच्छा पवित्र परिसर, प्राकृतिक खेती से उत्पादित भोजन, देशी गाय का अमृत तुल्य दूध, पूर्ण समर्पित अध्यापक और संरक्षकों का संरक्षण यहां विद्यार्थियों को प्राप्त है। उन्होंने कहा कि निश्चय ही गुरुकुल कुरुक्षेत्र जैसा दूसरा संस्थान पूरे भारतवर्ष में नहीं है, यही कारण है कि यहां के छात्र शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक स्तर पर दूसरे छात्रों से एक कदम आगे हैं।
दसवीं के छात्र का ऊंचा कद देख हुए प्रसन्न
इस दौरान मंच पर अपनी प्रस्तुति देने आए गुरुकुल के एक छात्र के ऊंचे कद को देख राज्यपाल आचार्य देवव्रत बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा कि यह गुरुकुलीय दिनचर्या और प्राकृतिक खेती से उत्पादित खाद्यान्न का ही असर है जो 10वीं के छात्र का कद 5 फीट 6 इंच है। उन्होने छात्र को अपने पास बुलाकर उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीर्वाद और शुभकामनाएं दीं। प्राचार्य कर्नल अरुण दत्ता ने राज्यपाल को बताया कि वह बालक छठी कक्षा से गुरुकुल में रहकर विद्यार्जन कर रहा है और बहुत प्रतिभावान छात्र है।
प्रधानमंत्री मोदी का रोचक संस्मरण सांझा किया
राज्यपाल आचार्य देव्रवत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गुजरात प्रवास के एक संस्मरण को सांझा करते हुए बताया कि विगत 19 अप्रैल को जब मोदी गुजरात आए तो प्रोटॉकॉल के तहत सबसे पहले मैंने ही उनका स्वागत किया। जब अन्य अतिथियों ने उनका अभिनन्दन-सत्कार कर लिया तब उन्होंने पुनः मुझे अपने पास बुलाया और हंसते हुए कहा ‘आपके घर जाना है, आइए मेरे साथ गाड़ी में बैठिए और रास्ता बताइए’। आचार्य देवव्रत ने कहा कि देश का प्रधानमंत्री होते हुए भी मोदी जी के पास आज तक अपना कोई घर नहीं है और इतने बड़े पद पर होते हुए भी वे हमेशा प्रसन्न रहते हैं।
हमेशा खुश रहने के सवाल पर मोदी जी ने उन्हें बताया कि वे जिस समय जहां पर होते हैं, मानसिक और शारीरिक दोनों रूपों में वहीं होते है, अन्यत्र नहीं। यही उनके प्रसन्नचित्त रहने का मूलमंत्र है। उन्होंने कहा कि हमें देश के प्रधानमंत्री के आदर्श व्यक्तित्व से प्रेरणा लेनी चाहिए जिनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और दूरदर्शी सोच के कारण आज हमारा देश दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने में सफल हुआ है। अन्त में उन्होंने सभी छात्रों को कठोर परिश्रम करते हुए जीवन में निरन्तर आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित किया। निदेशक व प्राचार्य कर्नल अरुण दत्ता ने गुरुकुल परिवार की ओर से राज्यपाल आचार्य देव्रवत का आभार व्यक्त किया और राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।