न्यूज डेक्स संवाददाता
रोहतक। आल हरियाणा पावर कारपोरेशनज वर्कर यूनियन ने हरियाणा कौशल रोजगार निगम को भंग करने और डीसी रेट अनुबंध कर्मियों को सीधे निगम के पे रोल पर लेकर सेवा सुरक्षा प्रदान करने की मांग की। यूनियन ने हितधारकों से बातचीत किए बिना एकतरफा बनाए गए इस निगम को कर्मचारी विरोधी करार देते हुए प्रदेशव्यापी आंदोलन करने का फैसला लिया है। आंदोलन की धोषणा करने के लिए 30 अप्रैल को यूनियन की राज्य कार्यकारिणी की बैठक रोहतक में बुलाई गई है। यह निर्णय मंगलवार को सुखपुरा चौक स्थित कर्मचारी भवन में आयोजित एएचपीसी वर्कर यूनियन की वार्ता समिति व डीसी रेट अनुबंध कर्मियों की सब कमेटी की आयोजित बैठक में लिया गया।
बैठक में 21 हजार वेतन पार कर चुके ईएसआई से बाहर हो चुके कर्मचारियों के मेडिकल बिलों की प्रतिपूर्ति न होने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की और तूरंत मसले का समाधान करने की मांग की। बैठक की अध्यक्षता राज्य प्रधान सुरेश राठी ने की और बैठक में यूनियन के चेयरमैन देवेन्द्र हुड्डा व सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष एवं एएचपीसी वर्कर यूनियन के उपाध्यक्ष सुभाष लांबा भी मौजूद थे। नेताओं ने कहा कि यूनियन ने निगम प्रबंधकों व सरकार को 15 अप्रैल को पत्र लिखकर हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड कंपनी के गठन का विरोध किया था। लेकिन सरकार व निगम प्रबंधकों ने पत्र का जबाव नहीं दिया। सरकार व निगम प्रशासन इस मुद्दे पर बातचीत करने को भी तैयार नहीं है। इससे ठेका कर्मियों में अनेक प्रकार की शंकाएं और बैचैनी है।
यूनियन के उक्त वरिष्ठ नेताओं ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने हितधारकों ( ठेका कर्मियों व उनके प्रतिनिधियों ) से बातचीत किए बिना ठेका कर्मियों पर हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड कंपनी थोप दी है। उन्होंने कहा कि ठेका कर्मियों की मांग ठेकेदार को बीच से हटकर सीधे विभागों, बोर्डों, निगमों, विश्वविद्यालयों, नगर निगमों, परिषदों, पालिकाओं के पे रोल पर लेने और रेगुलराइजेशन पालिसी बनाकर पक्का करने, पक्का होने तक समान काम समान वेतन व 58 साल तक सेवा सुरक्षा प्रदान करने की थी। लेकिन सरकार ने इस मांग को कमजोर करने के लिए हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड कंपनी बना दी गई है। जो ठेका प्रथा का स्थाई रूप है।
उन्होंने कहा कि कंपनी बनाने का फैसला विधानसभा से पारित नहीं किया गया है और ना ही अभी तक इसके नियम बनाए गए हैं। बावजूद इसके डीसी रेट अनुबंध कर्मियों का डीडीओ जबरन हरियाणा कौशल रोजगार निगम में रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं। हरियाणा एक हरियाणवी एक का नारा देने वाली सरकार ने एक प्रदेश में तीन प्रकार का वेतन निश्चित कर दिया है। जिससे अनेक जिलों में कर्मचारियों का दो से पांच हजार रुपए वेतन कम हो गया है और प्रबंधक जबरन ठेका कर्मियों से इस पत्र को स्वीकार करने का दबाव बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पुरे प्रदेश में वेतन एक समान होता है, एचआरए तो अलग अलग हों सकता है। उन्होंने कहा कि क्लर्क व डाटा एंट्री ऑपरेटर के लिए ( स्टेट इलीजीबलटी टेस्ट आफ कंप्यूटर (एससीटीसी ) टेस्ट की शर्त लगा दी गई है। जिसके कारण एलडीसी व डीईओ की नौकरी पर खतरा पैदा हो गया है। कई श्रेणी के पदनाम नहीं होने के कारण उन पदों पर कार्यरत कर्मचारियों पर भी नौकरी का खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कहा कि 11 महीने बाद सर्विस की समीक्षा करने के बाद ही सेवा विस्तार किया जाएगा। जिसमें कई प्रकार की शर्तें थोप दी गई है। जिससे सेवा विस्तार आसान नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार अंतरराष्ट्रीय वित्तीय पूंजी द्वारा संचालित नव उदारवादी आर्थिक नीतियों को लागू करते हुए जन सेवाओं का तेजी से निजीकरण कर रही है। कम से कम वेतन तथा बिना सेवा सुरक्षा दिए कर्मियों एवं मजदूरों से ज्यादा से ज्यादा काम लेना लेने के लिए कानून बनाए जा रहे हैं। हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड कंपनी भी उसी की संगति में एक ओर कदम है। बैठक में राज्य कमेटी के पदाधिकारी लोकेश,समून खान, मनोज जाखड़, अभिषेक शर्मा, मंजीत बजाड़, डालचंद शर्मा, राहुल गौड, जसबीर, बलजिंदर सिंह, विकास कुमार, राकेश सिंधु, राजपाल, बलजीत सिंह, राकेश कुमार,मनुज बामनिया आदि ने संबोधित किया और एक स्वर में हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड कंपनी को भंग करने की मांग की।