पिछले 15 सालों में समय से पहले भीषण गर्मी की आहट बिजली की अधिक मांग का एक कारण
न्यूज डेक्स हरियाणा
चंडीगढ़। हरियाणा के बिजली मंत्री चौधरी रणजीत सिंह ने कहा कि प्रदेश में पिछले वर्ष गर्मी के मौसम में अधिकतम मांग 12125 मेगावाट प्रतिदिन थी, जो इस वर्ष पीक समय में लगभग 15000 मैगावाट की रहने का अनुमान है। इस 2500 से 3000 मैगावाट के अंतराल को पाटने के लिए बिजली निगमों ने पुख्ता प्रबन्ध कर दिए हैं। आगामी 10 दिनों में लगभग 1500 मैगावाट अतिरिक्त बिजली मिलनी आरम्भ हो जाएगी। आज यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए बिजली मंत्री ने कहा कि वर्तमान में पानीपत में 250-250 मेगावाट की तीन इकाइयां, खेदड़ में 600-600 मेगावाट की दो इकाइयां तथा यमुनानगर में 300-300 मेगावाट की दो इकाइयां संचालित हैं। इसके अलावा, अदानी पावर से 1400 मेगावाट बिजली ली जा रही है। उन्होंने कहा कि अदानी से 1000 मैगावाट, छत्तीसगढ़ से 350 मैगावाट व मध्य प्रदेश से 150 मैगावाट अतिरिक्त बिजली ली जाएगी। यदि पीक समय में जरूरत हुई तो बाजार से और बिजली ली जाएगी और ‘पीक समय’ में भी बिजली की किल्लत नहीं होने दी जाएगी।
समय से पहले गर्मी आना भी मांग बढ़ने का एक अहम कारण
बिजली मंत्री ने कहा कि आमतौर पर हरियाणा में गर्मी का पीक समय 15 जून से माना जाता है और जून व जुलाई में बिजली की अधिक मांग होती है। यदि हम पिछले 15 वर्ष की तुलना करें तो इस बार अप्रैल में ही गर्मी तेज हो गई है, जिससे मांग बढ़ना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि इस समय जगमग योजना के तहत प्रदेश के 6503 गांवों में से लगभग 5600 गांवों में 24 घण्टे बिजली आपूर्ति की जा रही है । इसी प्रकार लाइन लोसिस, जो कांग्रेस सरकार के समय 37 प्रतिशत था, उसे अब 13.4 प्रतिशत तक लाया गया है। कांग्रेस के समय बिजली निगमों का घाटा लगभग 37,000 करोड़ रुपये था, उसकी भरपाई की गई है और बिजली निगम पहली बार लगभग 2000 करोड़ रुपये के मुनाफे में है। देश की 46 डिसकॉम कम्पनियों में गुजरात व कर्नाटक को छोड़कर हरियाणा की दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम 5वें स्थान पर तथा उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम 6वें स्थान पर है।
उन्होंने कहा कि तकनीकी कारणों के चलते खेदड़ थर्मल प्लांट की एक इकाई बंद की गई है, इसका रुटर बदला जाना है, जिसे चीन से लाया जाना है, परंतु चीन में लॉकडाउन के चलते यह सम्भव नहीं हो पाया था। अब किसी भी समय यह रूटर आ सकता हैं और एक सप्ताह में इसे बदलने का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बढ़ते शहरीकरण व दिल्ली से उद्योगों के बाहर शिफ्ट होने के कारण बिजली की मांग 1000 से 1500 मेगावाट प्रतिदिन तक बढ़ी है। दिल्ली से लक्कड़ मंडी, सब्जी मंडी, वेयरहाउसिस व अन्य औद्योगिक इकाइयां हरियाणा के एनसीआर क्षेत्र में शिफ्ट हुई हैं, इसलिए भी बिजली की मांग बढ़ी है। एनसीआर में बढ़ते शहरीकरण के कारण बहुमंजिले फ्लेट्स बने हैं, जिनमें भी बिजली की अधिक खपत हो रही है।
उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में प्रदेश में बिजली की कमी नहीं होने दी जाएगी। यहां तक कि सरकार द्वारा 12 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी जा रही है । उन्होंने कहा कि स्वाभाविक है कि गर्मी के दौरान तकनीकी कारणों से जब कोई खराबी आ जाती है तो उसे ठीक करने में कुछ समय तो लगता ही है।