26 अप्रैल को मंडल आयुक्त द्वारा जारी आदेश में इस धारा का उल्लेख तक नहीं किया गया
न्यूज डेक्स हरियाणा
चंडीगढ़। बीते मंगलवार 26 अप्रैल को अम्बाला मंडल की आयुक्त (डिविजनल कमिश्नर ) रेणु फुलिया, आईएएस, द्वारा अम्बाला नगर निगम के वार्ड नंबर 14 से एचडीएफ (हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट ) के टिकट पर दिसंबर, 2020 में निर्वाचित महिला नगर निगम सदस्य (पार्षद ) रूबी सौदा के विरूद्ध हरियाणा नगर निगम 1994 कानून की धारा 34 (1 ) (डी) में दायर शिकायत, जिनमें उनकी नगर निगम सदस्यता रद्द करने का मामला बनता था चूँकि वह नगर निगम सदन की लगातार तीन बैठकों से अनुपस्थित रही थी, को फाइल (ख़ारिज ) करने का आदेश पारित किया गया.
मंडलायुक्त द्वारा जारी आदेश में यह भी उल्लेख किया गया कि सम्बंधित फाइल में उपलब्ध दस्तावेजों, रूबी की उनके समक्ष निजी सुनवाई में दिए गए बयानों और अम्बाला के जिला अटॉर्नी (न्यायवादी ) की इस मामले में दो बार ली गयी कानूनी राय से यह स्पष्ट हो जाता है कि रूबी को नगर निगम की बैठकों के सम्बन्ध में नगर निगम सचिव/कार्यकारी अधिकारी (ई.ओ.) द्वारा जारी नोटिस ही तामील नहीं हो सका था. इस कारण उनके विरूद्ध उपरोक्त धारा 34 (1 ) (डी) में अर्थत नगर निगम सदन की बैठकों में अनुपस्थित रहने के फलस्वरूप निगम की सदस्यता समाप्त करने की कोई कार्रवाही ही नहीं बनती.
लिखने योग्य है कि गत वर्ष फरवरी, 2021 में रूबी को एक मर्डर ( क़त्ल ) के मामले में आरोपी के तौर पर नामजद किया गया था जिसके बाद वह भूमिगत (अंडरग्राउंड ) हो गयीं थी जिस कारण वह 25 फरवरी 2021 , 16 अगस्त 2021 और 17 नवंबर 2021 अर्थात अम्बाला नगर निगम सदन की लगातार 3 बैठकों से अनुपस्थित रहीं जिस कारण अम्बाला नगर आयुक्त (कमिश्नर ) द्वारा जनवरी, 2022 में उन्हें हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 34 (1 ) (डी) में उनके पद से हटाने सम्बन्धी पत्र अम्बाला मंडलायुक्त को भेजा गया था जिस पर आगे कार्यवाही हुई एवं अंतत: 26 अप्रैल को यह मामला मंडलायुक्त के आदेश के बाद ख़ारिज कर दिया गया.
बहरहाल, इस विषय पर शहर निवासी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने एक और रोचक पहलु उजागर करते हुए बताया कि वो हैरान हैं कि अम्बाला की मंडलायुक्त द्वारा 26 अप्रैल को जारी किये गए आदेश में उक्त 1994 कानून की धारा 34 ए के बारे में कोई उल्लेख क्यों नहीं किया गया. यहाँ नहीं जनवरी , 2022 में अम्बाला नगर निगम कमिश्नर ने भी जब रूबी सौदा के बारे में मंडलायुक्त को पत्र लिखा, तो उसमें भी धारा 34 ए का उल्लेख नहीं था.
हेमंत ने बताया कि धारा 34 ए में स्पष्ट उल्लेख है कि मंडलायुक्त ऐसे मेयर और नगर निगम सदस्य (पार्षद ) को उनके पद से सस्पेंड (निलंबित ) कर सकता है जिसके विरूद्ध कोई आपराधिक मामले में जांच, अन्वेषण/अनुसन्धान या ट्रायल चल रहा हो या लंबित हो बशर्ते मंडलायुक्त को यह प्रतीत हो कि जो चार्ज (आपोप ) उस मेयर या नगर निगम सदस्य के विरूद्ध लगाए गए हैं या उसके विरूद्ध जो कानूनी कार्यवाही चल रही है, उस सब के चलते सम्बंधित दागी मेयर या दागी नगर निगम सदस्य द्वारा उसके कर्तव्यों के निर्वहन में शर्मिंदगी होगी अथवा नैतिक अधमता (मोरल टर्पीट्यूड ) अथवा चरित्र पर दोषारोपण होगा. उक्त धारा 34 ए में भी उल्लेख है कि ऐसे दागी मेयर या दागी नगर निगम सदस्य की सस्पेंशन (निलंबन ) की अवधि हालांकि सामान्य तौर पर 6 माह से अधिक नहीं होगी परन्तु उसे कुछ गंभीर आपराधिक मामलों में आगे भी बढ़ाया जा सकता है. निलंबन की अवधि के दौरान दागी मेयर या दागी नगर निगम सदस्य सदन की किसी बैठक में भाग नहीं लेगा एवं न की कोई और आधिकारिक कार्य कर सकेगा. उसे उसके पास उपलब्ध सारा रिकॉर्ड, धनराशि और निगम की संपत्ति भी निगम कार्यालय के में जमा करवाना होगा.
हालांकि हेमंत ने बताया की मंडल आयुक्त द्वारा दागी मेयर या दागी नगर निगम सदस्य के विरूद्ध पारित किये गए निलंबन के आदेश के विरूद्ध 30 दिनों के भीतर प्रदेश सरकार को अपील की जा सकती है. हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 2 (19 ) के अनुसार सरकार का अर्थ होता है हरियाणा राज्य की सरकार अर्थात सम्बंधित विभाग का प्रशासनिक सचिव. इस प्रकार मौजूदा मामले में सरकार का अर्थ होगा हरियाणा के शहरी स्थानीय निकाय विभाग के मौजूदा प्रशासनिक सचिव यहाँ तक कि शहरी स्थानीय निकाय विभागविभाग का डायरेक्टर (निदेशक ) भी प्रदेश सरकार नहीं हैं।