राष्ट्रहित में पुत्र बलिदान की कहानी दीप दान
नाटकों में राष्ट्रीय बलिदान की कहानियों का मंचन : नायब सिंह सैनी
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। राष्ट्र के प्रति कर्तव्य पुत्र प्रेम से भी अधिक मूल्यवान होता है। पन्ना धाय ने मेवाड़ के कुंवर उदय सिंह को बचाने के लिए अपने पुत्र चंदन की बलिदानी दे देती है। यही कहानी दीप दान नाटक के माध्यम से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पांच दिवसीय नाट्य उत्सव के तीसरे दिन ऑडिटोरियम के मंच पर प्रस्तुत की गई। उल्लेखनीय है कि महाराणा साँगा की मृत्यु के बाद उनका पुत्र राज सिंहासन का उत्तराधिकारी था, पर वह अभी केवल 14 वर्ष का था इसलिए महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज के दासी पुत्र बनवीर को राज्य की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया। धीरे-धीरे बनवीर राज्य को पूरी तरह हड़प लेने की योजना बनाने लगा।
उसने एक रात्रि में दीप दान के आयोजन के बहाने नृत्य का आयोजन करवाया तथा प्रजाजनों को इस नृत्य में व्यस्त रखकर कुँवर उदय सिंह की हत्या की योजना बनाई, परंतु कुँवर की देखभाल करने वाली धाय माँ पन्ना को बनवीर के षड्यंत्र का पता चल गया। वह अत्यंत सावधानी तथा चतुराई से कुंवर को बारी- कीरत के टोकरे में छिपाकर राजभवन से बाहर भेज देती है तथा कुंवर की शैय्या पर अपने इकलौते पुत्र चंदन को सुला देती है। बनवीर ने पहले महाराणा विक्रमादित्य की हत्या की तथा बाद में कुंवर उदयसिंह को मारने के उद्देश्य से उदय सिंह के कक्ष में प्रवेश किया। बनवीर ने शैय्या पर सोए चंदन को उदयसिंह समझकर उसकी हत्या कर दी। इस प्रकार पन्ना ने अपने पुत्र की बलि चढ़ाकर मेवाड़ के सिंहासन के उत्तराधिकारी की रक्षा की।
इस अवसर पर मुख्यातिथि लोकसभा सांसद नायब सिंह सैनी ने अपने संबोधन में कहा कि नाटकों में जो कहानियां प्रस्तुत की जाती हैं वह जीवन की सच्ची घटनाओं पर आधारित होती हैं। दीप दान भी ऐसी ही देश के प्रति पन्ना धाय के त्याग, समर्पण और बलिदान की कहानी है। इससे पूर्व मुख्यातिथि नायब सिंह सैनी सांसद कुरुक्षेत्र, प्रो. सोमनाथ सचदेवा कुलपति कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस मौके पर विभाग के निदेशक डॉ. महासिंह पूनिया ने मुख्यातिथि एवं सभी मेहमानों का स्वागत किया। इस अवसर पर नाटक निदेशक अभिषेक शर्मा सहित उनकी पूरी टीम को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने सम्मानित किया। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा, प्रो. शुचिस्मिता, प्रो. सुनील ढीगड़ा, डॉ. नीलम ढांडा, प्रो. परमेश, डॉ. ब्रजेश साहनी, डॉ. दीपक राय बब्बर, डॉ. अशोक शर्मा, डॉ. संजय शर्मा, डॉ. गुरचरण, डॉ. मधुदीप सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।