31
कुरुक्षेत्र,25 सितंबर। 14 साल से कम उम्र के बच्चों में कैंसर के लगभग 40 हजार से 50 हजार मामले हर साल सामने आते हैं। हालांकि ,बच्चों में कैंसर बहुत आम नहीं है, कुछ पश्चिमी देशों में 10 लाख बच्चों में 110 से 130 बच्चों में इसकी शिकायत मिली है । यह जानकारी लोकनायक जयप्रकाश जिला नागरिक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. शैलेंद्र ममगाईं शैली ने चाइल्डहुड कैंसर अवेयरनेस मंथ के अवसर पर अस्पताल परिसर में आयोजित कार्यक्रम में दी। गौरतलब है कि सितंबर मास को चाइल्डहुड कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है। कार्यक्रम में भाग लेने वालों में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. विमल कुमार, डॉ. मेज पाल, मनोरोग विशेषज्ञ, डॉ. सुरेंद्र मढ़ान के अलावा रोगी, उनके परिजन अस्पताल के कर्मचारी और अधिकारी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि कैंसर भारत के अलावा पूरे विश्व में एक ऐसी बीमारी बन चुका है और जागरूकता के प्रयासों के बावजूद यह तेजी से फैल रहा है। ऐसे में कैंसर और उसके कारणों के प्रति लोगों को जागरूक किए जाने की जरूरत है, ताकि वे इस बीमारी के लक्षणों और इसके भयावह खतरों के प्रति जागरूक रहें। अगर कैंसर का सही समय पर पता लगा लिया जाए तो इसका उपचार संभव है। कैंसर के लक्षणों की चर्चा करते हुए डॉक्टर शैली ने बताया कि कैंसर के लक्षणों को पहचानना मुश्किल होता है ,क्योंकि इनके लक्षण सामान्य बीमारी की तरह होते हैं जिनमें सिर दर्द ,भूख न लगना ,वजन घटना ,पेट में सूजन ,पेट दर्द कब्ज ,लगातार खांसी सुस्ती ,कमजोरी चक्कर आना, पीठ- पैर -जोड़ों में दर्द ,असामान्य रक्तस्राव ,मसूड़ों से खून आना, लगातार खांसी ,सांस लेने में कठिनाई ,पीठ दर्द, पुतली के पीछे सफेद रंग आदि शामिल हैं। उन्होंने बताया कि एेसे कोई भी लक्षण होने पर अस्पताल में विशेषज्ञ से जांच जरूरी है और थोड़ा भी शक होने परअस्पताल में जांच करवाई जानी चाहिए । डॉ. ममगाईं ने बताया कि आबादी के आधार पर भारत में इस तरह के मामलों का पूरी तरह अनुमान लगाना संभव नहीं है। बच्चों में होने वाले कैंसर में सबसे आम ल्यूकीमिया(ब्लड कैंसर), लिंफोमा और मस्तिष्क या पेट में ट्यूमर है। बच्चे में होने वाले कैंसर के प्रकार व्यस्कों की तुलना में अलग तरह के होते हैं जिनमें ल्यूकीमिया, मस्तिष्क एवं अन्य केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के ट्यूमर- न्यूरोब्लास्टोमा, लिंफोमा, रेब्डोमायोसारकोर्मा, रेटिनोब्लास्टोमा और हड्डी का कैंसर आदि मुख्य तौर पर शामिल है। आमतौर पर इसके अलावा अन्य प्रकार के कैंसर बच्चों में नहीं देखे जाते।डॉ. शैली नेजनता से अपील की कि वे कैंसर से डरे नहीं, बल्कि उसका विशेषज्ञों से उपचार कराएं। |