न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र,26 सितंबर। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी )कुरुक्षेत्र के कंप्यूटर एप्लिकेशन्स विभाग द्वारा ‘सिमेंटिक इंटेलिजेंस एप्लिकेशन्स एंड पर्सपेक्टिवस’ विषय पर पांच दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम का आयोजन शनिवार को संस्थान में ऑनलाइन किया गया। 26 सितम्बर से 30 तक चलने वाले इस संकाय विकास कार्यक्रम में देश भर से 200 के करीब आईआईटी, एनआईटी, इसरो और टीसीएस के विशेषज्ञ भाग ले रहे है।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य अनुसंधान विद्वानों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और चिकित्सकों को सिमेंटिक प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाते हुए वास्तविक दुनिया में आने वाली समस्याओं को हल करने में ज्ञान पर आधारित प्रणालियों की भूमिका के बारे में जानकारियां प्रदान करवाना है। पांच दिवसीय यह कार्यक्रम वास्तविक दुनिया के लिए अर्थिक बुद्धिमत्ता के विभिन्न पहलुओं के बारे में प्रत्येक भागीदार को जानकारी देगा और शोध करने वाले समुदाय को एकजुटता से काम करने के लिए प्रेरित करेगा।
पांच दिवसीय इस संकाय विकास कार्यक्रम का शुभारंभ संस्थान के निदेशक पद्मश्री डॉ सतीश कुमार द्वारा किया गया। इस अवसर पर उन्होंने अपने ऑनलाइन सम्बोधन में बताया कि इस तरह की कार्यशाला शुरू करने के लिए यह उचित समय है और इसके अवोदन दुनिया भर के शिक्षा निर्देशों में नए पाठ्यक्रम में प्रवेश कर रहे हैं। उन्होंने कार्यशाला की समन्वयक डॉ सारिका जैन को उनके द्वारा किए गए प्रयासों के लिए बधाई दी।
इसके पश्चात उन्होंने बताया कि हम जिस दुनिया में रहते हैं, वह बहुत ही आकर्षक है और डिजिटल क्रांति के दौर से गुजर रही है। डिजिटल क्रांति विभिन्न तरंगों की एक श्रृंखला से आई है। उन्होंनें कहा कि पहली लहर 1960 के दशक में शुरू हुई जब निगमों ने बुनियादी कम्प्यूटेशनल प्रदर्शन करने में सक्षम बड़े कम्प्यूटेशनल सिस्टम का उपयोग किया।
वहीं दूसरी लहर 1980 के दशक के आसपास शुरू हुई जब डेस्कटॉप और व्यक्तिगत कंप्यूटरों ने तेज प्रसंस्करण की अनुमति दी। तीसरी लहर 1990 के दशक के मध्य में शुरू हुई जब इंटरनेट ने लोगों के संचार, उपभोग और सांझा जानकारी को पूरी तरह से बदल दिया। 2000 के दशक तक इंटरनेट वायरलेस हो गया था और यह 24/7 कनेक्टिविटी के लिए चरण निर्धारित करता है।
अब हम अपने आप को चौथी लहर के रूप में वर्णित कर सकते हैं। हम इस तरह के कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, क्लाउड कंप्यूटिंग, बिग डेटा एनालिटिक्स, रोबोटिक्स, 3 डी प्रिंटिंग, नैनो टेक्नोलॉजी, और कई अन्य जैसे अनुप्रयोगों के साथ नवीन तकनीकी प्रवृत्तियों के उद्भव को देख रहे हैं। इन तकनीकी सफलताओं का हमारे जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने वाला है।
कार्यक्रम की समन्वयक डॉ सारिका जैन ने उपस्थित प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए बताया कि पांच दिनों तक चलने वाले इस संकाय विकास कार्यक्रम में आईआईटी दिल्ली से डॉ राघव मुथराजु व डॉ माया रामनाथ, आईबीएम रिसर्च लैब से डॉ सुमित भाटिया,टीसीएस रिसर्च लैब से डॉ हिरण्मय घोष व डॉ सी.अनंतराम,आईआईटी दिल्ली से डॉ माया रामनाथ आईआईटी मद्रास से डॉ पी. श्रीनिवास कुमार व डॉ गंधम फणिकुमार, सिमेंटिक वेब इंडिया से डॉ आशा सुब्रमण्यम, विप्रो लिमिटेड से डॉ अरिंदम चटर्जी, इसरो केरला से डॉ उमा संकरी एस.एस. तथा एनआईटी कुरूक्षेत्र के पूर्व प्रोफेसर डॉ पी.जे. फिलिप अपने विशेष व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे।
साथ ही उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम ऑल इंडिया कौंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) द्वारा प्रायोजित किया गया है। इसके पश्चात उन्होंने बताया कि देशभर से करीब 3000 से अधिक आवेदन इस कार्यक्रम के लिए प्राप्त हुए थे जिनमें से 200 प्रतिभागियों को पहले आओ पहले पाओ के आधार पर संकाय विकास कार्यक्रम में भाग लने की अनुमति प्रदान की गई है।
संस्थान के डीन (शोध व परामर्श) प्रो. महेश पाल ने देश के विभिन्न् हिस्सों से ऑनलाइन जुड़े प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए उनके उत्साह की सराहना की। कंप्यूटर एप्लिकेशन्स विभागाध्यक्ष प्रो. आशुतोष कुमार सिंह ने एआई और सिमेंटिक वेब के उपयोग के बारे में व्यावहारिक दृष्टिकोण को प्रतिभागियों के साथ सांझा किया।