तीन दिवसीय कार्यशाला में देशभर के अनेक राज्यों से शिक्षाविद् कर रहे हैं प्रतिभागिता
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र, 15 मई। विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान में ‘‘संस्कृति बोध परियोजना अखिल भारतीय कार्यशाला’’ का शुभारंभ आज संस्थान के संगठन सचिव श्रीराम आरावकर ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर उनके साथ संस्थान के सह सचिव वासुदेव प्रजापति, संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह, संस्कृति बोध परियोजना के राष्ट्रीय संयोजक दुर्ग सिंह राजपुरोहित रहे। कार्यशाला में अखिल भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा हेतु प्रश्नपत्र एवं संस्कृति महोत्सव के लिए आयोजित होने वाले संस्कृति ज्ञान प्रश्नमंच हेतु प्रश्न संच निर्माण किया गया। कार्यशाला में देशभर के अनेक राज्यों से 59 शिक्षाविदों ने प्रतिभागिता की। इस अवसर पर श्रीराम आरावकर ने कहा कि भारतीय संस्कृति का ज्ञान बालकों में छात्र जीवन से हो, इस हेतु संस्कृति ज्ञान परीक्षा का आयोजन देशभर में किया जाता है। विगत दो वर्षों से परिस्थितियां अनुकूल न होने के बाद भी गत वर्ष इस परीक्षा में 9 लाख परीक्षार्थियों ने सहभागिता की, यह सुखद है। इसके अतिरिक्त अभिभावकों एवं समाज तक भी भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को जानने का अवसर प्राप्त हो, इसके लिए ‘प्रवेशिका’ के रूप में आयोजित की गई। इसमें 1.5 लाख शिक्षकों, अभिभावकों एवं समाज के अन्य वर्गों ने भाग लिया है। उन्होंने कहा कि प्रश्नमंच की तैयारी के लिए विद्यालयों में कुछ बच्चों को चयनित कर उन्हें ही ऐसी प्रतियोगिताओं में निपुण बनाया जाता है। ऐसा न करके विद्यालयों में छात्रों की अधिकाधिक प्रतिभागिता रहे, इसके लिए नीचे स्तर (वर्ग स्तर) से अवसर प्रदान करना चाहिए, जिससे कि सभी इसमें सहभागी हो सकें। उन्होंने यह भी कहा कि अधिकांश बच्चों में संस्कृति ज्ञान के प्रति रुचि उत्पन्न करने के लिए सभी को प्रश्नमंच से संबंधित पुस्तकें पढ़ने का अवसर दिया जाना चाहिए। आचार्य निबंध प्रतियोगिता में निबंध रटना नहीं अपितु मन के विचारों को, अपनी अभिव्यक्ति को व्यक्त करना है, इसमें सभी अध्यापकों एवं छात्रों को भाग लेना चाहिए।
कार्यशाला में संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने अधिकारियों का परिचय करवाते हुए एवं देशभर से आए शिक्षाविद्ों का स्वागत करते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र ज्ञान की भूमि है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का संदेश यहीं से दिया। अतः ज्ञान की धारा पूरे देश में निरन्तर बहती रहे, इसके लिए कुरुक्षेत्र की विशेष भूमिका है। इस हेतु विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान संस्कारयुक्त शिक्षा की अलख को पूरे देश में जलाए रखने को कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि संस्थान की सांस्कृतिक विचारधारा पूरे देश में जाए इस नाते अधिकारियों का मार्गदर्शन निरंतर मिलता रहता है।
संस्थान के सहसचिव वासुदेव प्रजापति ने संस्कृति ज्ञान परीक्षा के प्रश्न पत्र बनाने एवं प्रश्न संच निर्माण करते हुए ध्यान में रखने वाली अनेक बारीकियों को समझाया। उन्होंने प्रश्नों की भाषा, उनके प्रकार, प्रश्नों का स्तर, आसान, कठिन, अति कठिन प्रश्न निर्माण में महती कार्यों पर प्रकाश डाला। 17 मई तक चलने वाली कार्यशाला में संस्कृति बोध परियोजना के राष्ट्रीय संयोजक दुर्ग सिंह राजपुरोहित ने कार्यशाला में आए सभी प्रतिभागियों के वर्गानुसार (शिशु, बाल, किशोर, तरुण) वर्ग बनाकर प्रश्नपत्र एवं प्रश्नसंच निर्माण कार्य आरंभ करवाया। कार्यशाला में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, विदर्भ, उत्तराखण्ड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, झारखंड, देवगिरी, कोंकण से आए शिक्षाविद, क्षेत्र संयोजकों एवं प्रान्त संयोजक भाग ले रहे हैं।