न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से संत हरे राम शरण महाराज तथा अन्य संतों के सानिध्य में श्री जयराम विद्यापीठ के मुख्य सत्संग भवन में बुधवार को श्री राम कथा प्रारंभ हुई। श्री राम कथा के शुभारंभ से पूर्व व्यासपीठ पर मंत्रोच्चारण के साथ रामायण की स्थापना की गई और यजमान परिवार राकेश शर्मा, सिमरन, उर्मिला शर्मा, दिव्यांश, सतीश चंद्र गुलाटी, सतीश चंद्र, किरण गुलाटी, राधा रानी, गुलशन, रिंकू शर्मा, शिरडी मामा व स्वीटी अरोड़ा इत्यादि द्वारा विधिवत पूजन किया गया। कथा के पहले दिन कथावाचक आचार्य रणबीर भारद्वाज ने बताया कि श्रीराम कथा हमें मर्यादा में रहना सिखाती है। साथ ही यह मानव का सही मार्गदर्शन भी करती है। जो मनुष्य सच्चे मन से श्रीराम कथा का श्रवण कर लेता है, उसका लोक ही नहीं परलोक भी सुधर जाता है। मानव जीवन बहुत ही दुर्लभ है और बहुत सत्कर्मों के बाद ही मानव का जीवन मिलता है।
डा. रणबीर भारद्वाज ने कहा कि मानव को जीवन का सदुपयोग करना चाहिए और राम नाम का जप करते हुए अपने लोक व परलोक को सुधारना चाहिए। कलियुग में मनुष्य का सबसे बड़ा सहारा राम नाम ही है। कथा में उन्होंने कहा कि हमें अपने दाम्पत्य जीवन में गंभीर होना चाहिए। पति-पत्नी, भाई- बहन, भाई-भाई का प्रेम, पिता-पुत्र, सास-बहु सभी को अपनी मर्यादा में रहना चाहिए। रामायण हमें मर्यादा सिखाती है। डा. रणबीर ने कहा कि रामायण को प्रतिदिन श्रवण करने से मानसिक संतुलन ठीक रहता है। दुराचारी रावण की नकारात्मक सोच ने उसके पूरे कुल का विनाश कर दिया। जो मनुष्य तुलसीदल की शरण आएगा वह हर प्रकार के दल-दल से बच जाएगा। तुलसी की माला भगवान की पहचान है।
उन्होंने कथा में कहा कि गुलाब का फूल दिखने में सुंदर है पर चखने में मीठा नहीं होता, गन्ना दिखने में सुंदर नहीं पर चखने में मीठा होता है। किंतु हमें अपना स्वभाव सुंदर और मीठा बनाना है तो भगवान राम की कथा कहना व सुनना चाहिए। इससे हमारा स्वभाव मधुर, मनोहर और मंगलकारी हो जाएगा। कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। कथा के पहले दिन समापन पर यजमान परिवार ने आरती की।