रंगमंच क्षेत्र में अग्रणीय भूमिका के लिए भारतेंदू नाट्य अवार्ड से संजय भसीन हुए सम्मानित
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। हरियाणा कला परिषद और सांस्कृतिक सोसायटी फॉर आर्ट एण्ड कल्चरल डिवेल्पमेंट के संयुक्त सहयोग से आयोजित 5वें हरियाणा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के समापन अवसर पर कला के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी अग्रणीय भूमिका निभाने वाले कलाकारों को सम्मानित किया गया। इसी कड़ी में हरियाणा कला परिषद के निदेशक संजय भसीन को रंगमंच के क्षेत्र में दिए गए योगदान के लिए भारतेंदू नाट्य अवार्ड से सम्मानित किया। यह जानकारी हरियाणा कला परिषद के मीडिया प्रभारी विकास शर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि कला कीर्ति भवन में 18 मई से शुरु हुए फिल्म महोत्सव के समापन अवसर पर कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग हरियाणा के निदेशक महाबीर कौशिक मुख्यअतिथि के रुप में उपस्थित रहे।
वहीं अध्यक्षता मुख्यमंत्री हरियाणा के सलाहकार व पूर्व सीआईडी चीफ अनिल राव ने की। इसके अलावा फिल्म अभिनेता गोविंद नामदेव, पंकज बेरी व यशपाल शर्मा ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की। गौरतलब है कि संजय भसीन युवा अवस्था से ही रंगमंच के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रहे हैं। विभिन्न नाटकों में अभिनय तथा निर्देशन के कारण उन्होंने हरियाणा के रंगमंच को विस्तार देने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। रंगमंच क्षेत्र दिए गए योगदान के लिए विभिन्न संस्थाओं द्वारा समय-समय पर संजय भसीन को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता रहा है। इसी श्रृंख्ला में भारतेंदू नाट्य अवार्ड भी शामिल हुआ है। संजय भसीन के अलावा हरियाणा कला परिषद के अतिरिक्त निदेशक महाबीर गुड्डू को हरियाणा फोक आईकोन अवार्ड से नवाजा गया।
लोक कला को हरियाणा सहित देश के विभिन्न राज्यों में पहुंचाते हुए विदेशों तक हरियाणवी छटा को बिखेरने में दिए गए सहयोग के कारण ही महाबीर गुड्डू को फोक आईकोन अवार्ड प्रदान किया। कला परिषद के दो अधिकारियों को मिले सम्मान के कारण कलाकारों में भी हर्ष की लहर है। सम्मान मिलने पर संजय भसीन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उनका पूरा जीवन कला को समर्पित रहा है। कला और संस्कृति के विस्तार के लिए सदैव तत्पर रहते हुए हरियाणा के हुनर को अन्य प्रदेशों के मुकाबले ऊंचाईयों तक पहुंचाना ही उनका ध्येय है। वर्तमान में हरियाणा कला परिषद के निदेशक का दायित्व निभाते हुए विभिन्न कार्यक्रमों तथा कार्यशालाओं के माध्यम से आमजनमानस को संस्कृति से रुबरु करवाए जाने तथा युवा पीढ़ी में कला के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए भरसक प्रयास किये जा रहे हैं।