जयराम विद्यापीठ में श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन बाल व्यास ब्रह्मरात हरितोष ने भागवत श्रवण की विधि एवं महत्व बताया
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र।देश के विभिन्न राज्यों में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से ब्रह्मसरोवर के तट पर श्री जयराम विद्यापीठ में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन 16 वर्षीय बाल व्यास ब्रह्मरात हरितोष (एकलव्य) महाराज ने व्यासपीठ से कहा कि मानव जीवन के लिए भागवत पुराण का जो महत्व है, उस से यह जानना जरूरी है कि किस तरह श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कथा को श्रवण करते समय जिस आसन पर बैठे है उसी में बैठे रह कर सुने (आसन को जीतें) व इंद्रियां को जीतने का प्रयास करें।
उन्होंने कहा कि कथा में हरि नाम जाप में लगे रहे। इसके लिए हरी के चरणों का ध्यान लगाएं। मंगलवार को कथा प्रारम्भ से पूर्व यजमान राम चरण मित्तल, देवी राम मित्तल, सुरेश मित्तल, पवन मित्तल, राज मित्तल, राम विलास मित्तल, नरेश, त्रिलोक मित्तल एवं परिवार के अन्य सदस्यों ने व्यासपीठ पर पूजन किया। बाल व्यास ब्रह्मरात हरितोष ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य में मानवीय गुणों का समावेश कर उसे चरित्रवान व संस्कारवान बनाती है। जिससे व्यक्ति स्वयं को सबल बनाता है और अपनी उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि कथा श्रवण करने का अवसर सौभाग्यशाली व्यक्ति को प्राप्त होता है।
यह विद्या का अक्षय भण्डार है। बाल कथा व्यास पं. ब्रह्मरात हरितोष (एकलव्य) साक्षात भगवान शुकदेव के रूप में श्रीमद् भागवत कथा का रसपान कराकर श्रद्धालुओं के कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। इस अवसर पर के. के. कौशिक, खरैती लाल सिंगला, कुलवंत सैनी, राजेश सिंगला, श्रवण गुप्ता, सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक व यशपाल राणा इत्यादि भी मौजूद थे।