न्यूज डेक्स हरियाणा
चंडीगढ़। हरियाणा में विधानसभा चुनाव 2024 में है,मगर इससे पहले हरियाणा में अगली सत्ता की पारी कौन खेलेगा,इसे लेकर जातीय समीकरण साधने का खेला चल रहा है। अभी तक जो भाजपा अपने प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पर अंतर्कलह और गुटबाजी के तीर छोड़ती थी,अब वैसे ही कुछ हालात हरियाणा में भाजपा के लिए उनके सांसद अरविंद शर्मा के आरोपों के बाद पैदा हो गए हैं। अरविंद शर्मा पिछले पांच दिन में हरियाणा में भाजपा की सरकार,मुख्यमंत्री और भाजपा के एक बड़े नेता पर गंभीर आरोप लगा चुके हैं।
मजेदार बात है कि सोनीपत,करनाल और रोहतक से चार बार सांसद रह चुके अरविंद शर्मा राजनीति के अखाड़े के पुराने धुरंधर हैं। कब कौन सा सियासी वार किया जाए, उनकी इस टाइमिंग में का कोई सानी नहीं है और उनके विरोधी भी अरविंद शर्मा की इस कला के कायल है। आजाद उम्मीदवार के रुप में सोनीपत लोकसभा में चुनाव जीत कर जो कमाल अरविंद शर्मा कर चुके हैं, हरियाणा के राजनेता इस बात से अवगत हैं। इसके बाद करनाल लोकसभा सीट से दो बार कांग्रेस के उम्मीदवार बनकर जीत दर्ज करने वाले अरविंद शर्मा साल 2019 में भाजपा के रोहतक से उम्मीदवार बने थे और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ में उनके ही पुत्र दीपेंद्र हुड्डा को पराजित कर चौथी बार सांसद बने थे। भले अरविंद शर्मा हरियाणा भाजपा सरकार पर हमलावर हो रहे हों,लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय नेतृत्व की सराहना भी लगाता कर रहे हैं।
हरियाणा में भाजपा की सरकार पर हमलावर होने के बाद से ही अरविंद शर्मा की राजनीतिक समझ और उनका अगला कदम क्या हो? इसके मायने सियासी मायने राजनीतिक पंडित निकाल रहे हैं। बेशक अरविंद शर्मा खुले तौर पर पहरावर गांव में ब्राह्मण सामुदाय की जमीन को लेकर दो चार करने अखाड़े में उतरे हों,मगर अपने भाषण में वह लगातार 36 बिरादरी,पंजाबी,बनिया,जाट,राजपूत व अन्य समाज के लोगों के हित की बात को भी उठा रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनके भाषण के नीचे जो कमेंट किया जाए रहे हैं,उनमें अरविंद शर्मा का अगला पड़ाव आम आदमी पार्टी में माना जा रहा है। कुछ राजनीतिक पंडितों ने अरविंद शर्मा को वर्तमान में हरियाणा का बड़ा ब्राह्मण नेता और आम आदमी पार्टी में हरियाणा में मुख्यमंत्री पद का संभावित दावेदार कहना शुरु कर दिया है। इसे यह कह कर पुख्ता किया जा रहा है कि उनका वर्चस्व सोनीपत,रोहतक और करनाल में सांसद रहते हुए और आसपास क्षेत्र में 30 से अधिक विधानसभा सीटों पर सीधे असर को भी माना जा रहा है।
कांग्रेस भी अरविंद शर्मा के सियासी खेल का पूर्वानुमान लगाते हुए राज्यसभा में हरियाणा से ब्राह्मण चेहरे के रुप में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पंडित कुलदीप शर्मा को उम्मीदवार बनाने पर मंथन कर रही है। उनकी पैरवी कुलदीप शर्मा के करीबी पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा कर रहे हैं। बताया जाता है कि पिछले दिनों में कुलदीप शर्मा दिल्ली दरबार में सोनिया गांधी से मिल चुके हैं और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की भी इस मुलाकात हुई है। माना जा रहा है कि कुलदीप शर्मा को राज्यसभा का उम्मीदवार इसलिए बनाया जा सकता है,ताकि अगले विधानसभा चुनाव में ब्राह्मणों को साधा जा सके। हुड्डा के शासनकाल में भी उपेक्षा का आरोप ब्राह्मण समाज लगा चुका है।
पंजाबी वर्ग को साधने के लिए राज्यसभा में उम्मीदवारी अशोक अरोड़ा की भी हो सकती है। अरोड़ा भी हुड्डा के काफी करीबी है। इनेलो में लंबी पारी खेलने के बाद अरोड़ा ने हुड्डा के कहने पर कांग्रेस ज्वाइन की थी। इनेलो में 14 साल तक प्रदेशाध्यक्ष,चौटाला सरकार में विधानसभा अध्यक्ष,कैबिनेट मंत्री जैसे पदों पर रहे अशोक अरोड़ा को उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा भी मीडिया रिपोर्ट में हो रही है। बेशक अरोड़ा इससे साफ इंकार कर रहे हों,मगर चर्चा का आधार पिछले दिनों उन्हें हरियाणा में कांग्रेस प्रभारी विवेक बंसल द्वारा अशोक अरोड़ा को बुलाकर उनसे हुई बातचीत को बताया जा रहा है। यह चर्चा राज्यसभा में उम्मीदवारी को लेकर हुई या किसी अन्य पद को लेकर इस पर अभी आधिकारिक रुप से कोई पुष्टि नहीं की गई है।
हरियाणा में पंजाबी वर्ग के मनोहर लाल खट्टर 2014 से मुख्यमंत्री हैं। कांग्रेस में पंजाबी नेतृत्व सामने लाने और इस वर्ग को साधने के लिए अशोक अरोड़ा का नाम आगे बढ़ाया जा सकता है। कांग्रेस की ओर से यह दो नाम पिछले दिनों से चर्चा में है,इसके बाद भी राज्यसभा में मजबूत दावेदारी पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा की मानी जा रही है। कुमारी शैलजा का पक्ष सिर्फ इसलिए कमजोर दिख रहा है,क्योंकि हाल ही में दलित वर्ग को साधने के लिए हरियाणा कांग्रेस कमेटी की कमान चौधरी उदयभान को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर सौंपी गई। उदयभान के साथ जिन चार वर्गों से कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष बनाए गए हैं,उनमें पिछड़ा,ब्राह्मण,जाट और अग्रवाल सामुदाय के नेता शामिल हैं। इसमें पंजाबी वर्ग की भरपाई अशोक अरोड़ा राज्यसभा में भेज कर किए जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।