कलयुग में ईश्वर नाम ही काफी है, सच्चे मन से सुमिरन मात्र से कल्याण संभव है : बाल व्यास ब्रह्मरात हरितोष
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र।देश के विभिन्न राज्यों में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से ब्रह्मसरोवर के तट पर श्री जयराम विद्यापीठ में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन 16 वर्षीय बाल व्यास ब्रह्मरात हरितोष (एकलव्य) महाराज ने व्यासपीठ ने भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न बाल लीलाओं और रासलीला का भावपूर्ण वर्णन किया। कथा में श्रद्धालुओं ने भगवान श्री कृष्ण की मनोरम झांकी का अवलोकन किया। ब्रह्मरात हरितोष ने भगवान श्री कृष्ण जन्म कथा के बाद कथा को आगे बढ़ाते हुए पूतना वध, यशोदा मां के साथ बालपन की शरारतें, भगवान श्रीकृष्ण का गौ प्रेम, कालिया नाग मान मर्दन, माखन चोरी, गोपियों का प्रसंग सहित अन्य कई प्रसंगों का वर्णन किया।
उन्होंने बताया कि कंस का आमंत्रण मिलने के बाद भगवान श्री कृष्ण बड़े भाई बलराम जी के साथ मथुरा को प्रस्थान करते हैं। श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कथा वाचक बाल व्यास ब्रह्मरात हरितोष तथा प. रोहित कौशिक द्वारा बीच-बीच में सुनाए गए मधुर भजनों पर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। उन्होंने बताया कि भागवत कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। कलयुग की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि कलयुग में मानस पुण्य तो सिद्ध होते हैं। कलयुग में हरी नाम से ही जीव का कल्याण हो जाता है।
कलयुग में ईश्वर का नाम ही काफी है सच्चे हृदय से हरि नाम के सुमिरन मात्र से कल्याण संभव है।ब्रह्मरात हरितोष ने कहा कि कठिन तपस्या और यज्ञ आदि करने की आवश्यकता नहीं है। जबकि सतयुग, द्वापर और त्रेता युग में ऐसा नहीं था। यजमान राम चरण मित्तल, देवी राम मित्तल, सुरेश मित्तल, पवन मित्तल, राज मित्तल, राम विलास मित्तल, नरेश, त्रिलोक मित्तल एवं परिवार के अन्य सदस्यों ने व्यासपीठ पर पूजन एवं आरती की। इस अवसर पर श्रवण गुप्ता, के. के. कौशिक, खरैती लाल सिंगला, कुलवंत सैनी, राजेश सिंगला, सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक व यशपाल राणा इत्यादि भी मौजूद थे।