औषधीय पौधों से भरपूर जनजातीय क्षेत्रों में हर्बल मेडिसिन को आजीविका मिशन का हिस्सा बनाया जाए: अर्जुन मुंडा
जनजातीय अनुसंधान संस्थानों द्वारा जनजातीय समुदायों, जनजातीय संस्कृति, जनजातीय ज्ञान और परंपरा से संबंधित ज्ञान का विस्तार करने के लिए जनजातीय अध्ययन भी किए जाने चाहिए: अर्जुन मुंडा
जनजातीय लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है ताकि जनजातीय लोग सरकार द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें : बिशेश्वर टुडू
न्यूज डेक्स इंडिया
दिल्ली। केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने आदिवासी कल्याण और विकास के क्षेत्र में मंत्रालय और पतंजलि के बीच साझेदारी की प्रगति की समीक्षा के लिए कल शास्त्री भवन में पतंजलि योगपीठ के प्रबंध निदेशक एवं सह-संस्थापक आचार्य बालकृष्ण व उनकी टीम के साथ बैठक की। पतंजलि ने मंत्रालय के “उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) के समर्थन के लिए वित्तीय सहायता योजना” के तहत जनजातीय कार्य मंत्रालय के साथ भागीदारी की है।इस बैठक में पतंजलि द्वारा संचालित परियोजनाओं की प्रगति रिपोर्ट, अनुसंधान एवं जनजातीय लोगों के कल्याण से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चा की गई।इस अवसर पर केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री बिशेश्वर टुडू, पूर्व राज्य मंत्री प्रताप चंद्र सारंगी और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
पतंजलि की टीम ने बैठक में बताया कि जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा सौंपे गए प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में, उसने उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले औषधीय पौधों की प्रामाणिकता के साथ पहचान और दस्तावेजीकरण के लिए व्यापक सर्वेक्षण किया है। टीम ने बताया कि वे सर्वेक्षण किए गए क्षेत्रों में क्षमता निर्माण भी कर रहे हैं ताकि पारंपरिक जनजातीय चिकित्सक अच्छे तौर-तरीकों का पालन करते हुए अधिक पेशेवर तरीके से हर्बल औषधियों का इस्तेमाल कर सकें। इसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों द्वारा ज्ञान का आदान-प्रदान हुआ है और मंत्रालय की सौंपी गई परियोजना के अनुसार दस्तावेजीकरण के लिए बहुमूल्य जानकारी प्रदान की गई है। अब तक, पतंजलि को 65,000 पौधों के दस्तावेजीकरण का अनुभव है और उसने कुल मिलाकर 200 जनजातीय समुदायों के साथ काम किया है।