नाटक पंचलाईट ने खूब गुदगुदाया, कलाकारों के अभिनय के कायल हुए दर्शक
नाटक पंचलाईट ने किया अशिक्षा पर प्रहार, कुरुक्षेत्र के कलाकारों की मची धूम
पंचलाईट की रोशनी से गोधन को मिला मुनरी का प्यार
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। आजादी का अमृतमहोत्सव के अंतर्गत हरियाणा कला परिषद व आदि मंच के संयुक्त सहयोग से अम्बाला में वरिष्ठ रंगकर्मी स्वर्गीय मास्टर विनोद की स्मृति में दो दिवसीय नाट्य पर्व के शुभारम्भ अवसर पर हास्य नाटक पंचलाईट का मंचन किया गया। फणीश्वर नाथ रेणू की कहानी पर आधारित नाटक का निर्देशन रंगकर्मी विकास शर्मा द्वारा किय गया। इस मौके पर हरियाणा कला परिषद के निदेशक संजय भसीन बतौर मुख्यअतिथि पहुंचे। वहीं विशिष्ट अतिथि के रुप में एसडी विद्या स्कूल की प्राचार्या नील इंद्रजीत कौर संधू, नवीन गुलाटी, नागेंद्र शर्मा उपस्थित रहे।
सनातन धर्म विद्या स्कूल के सभागार में कुरुक्षेत्र के न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप के कलाकारों द्वारा नाटक पंचलाईट को बहुत ही रोचक ढंग से मंचित किया गया। नाटक में बिहार के एक छोटे से गांव की कहानी को दिखाया गया। गांव में बिजली नहीं होने के कारण गांव की पंचायत मिलकर पंचलाईट खरीद लेती है। जब शहर से पंचलाईट गांव में आती है तो खूब खुशियां मनाई जाती हैं। लेकिन बाद में पता चलता है कि गांव के किसी भी व्यक्ति को पंचलाईट जलानी नहीं आती। गांव का एक आवारा लड़का गोधन जो पढ़ा-लिखा है, उसे ही पंचलाईट जलानी आती है। लेकिन गोधन को पंचायत कुछ दिन पहले गांव से बाहर निकाल चुकी होती है, क्योंकि गोधन गांव की ही लड़की मुनरी से प्यार करता है। लेकिन मुनरी से प्यार करने वाले कल्लू को ये अच्छा नहीं लगता और वह मुनरी की अम्मा को सब बता देता है। मुनरी की अम्मा पंचायत बुला लेती है, जिसमें फैंसला होता है कि गोधन का हुक्का पानी बंद कर दिया जाए। इस प्रकार गोधन और मुनरी का मिलना-जुलना बंद हो जाता है, और गोधन गांव से बाहर रहने लग जाता है। अब पंचलाईट आने पर मुनरी सबको बताती है कि गोधन को पंचलाईट जलानी आती है।
सरपंच गोधन को बुलवाकर पंचलाईट जलाने के लिए कहता है, लेकिन गोधन शर्त रखता है कि यदि मुनरी से उसकी शादी करवाई जाए, तभी वह पंचलाईट जलाएगा। पंचायत उसकी बात मान लेती है और गोधन की मुनरी से शादी करवाने का वादा करती है। गोधन पंचलाईट जला देता है और पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ पड़ती है। इस प्रकार नाटक अशिक्षा पर कटाक्ष करता है। नाटक में सूत्रधार और बिलवा के किरदान में नाटक निर्देशक विकास शर्मा रहे। गोधन का किरदार राजीव कुमार तथा मुनरी का किरदार मनू महक माल्यान ने निभाया। अन्य कलाकारों में पारुल कौशिक, शिवकुमार किरमच, मनीष डोगरा, जैकी शर्मा, आकाशदीप, ज्योति बांकुरा, अनूप कुमार, चंचल शर्मा, निकेता शर्मा, पार्थ, चमन, गोविंदा, साहिल खान रजनीश शर्मा रहे। नाटक में जहां एक ओर सभी कलाकारों का अभिनय दमदार रहा, वहीं दूसरी ओर नाटक के संगीत तथा विषय वस्तु ने भी सभी को अपनी ओर आकर्षित करने में अहम भूमिका निभाई।
अंत में संजय भसीन ने दर्शकों को सम्बोंधित करते हुए कहा कि नाट्य पर्व में प्रसिद्ध साहित्यकार फणीश्वर नाथ रेणू की रचना को नाट्य रुपांतरित कर प्रस्तुत करना वास्तव में कलाकारों द्वारा किया गया सराहनीय काम है। हास्य के साथ नाटक को प्रस्तुत कर लोगों को बांधे रखकर अपनी बात दर्शकों तक पहुंचाने में पंचलाईट के कलाकारों ने सफलता हासिल की है। वहीं प्राचार्या नील इंद्रजीत कौर संघू ने भी नाटक मंचन के संदर्भ में बताते हुए कहा कि भोजपुरी बोली में नाटक दिखाते हुए कलाकारों ने बिहार का दृश्य ही मंच पर प्रस्तुत कर दिया। बहुत कम नाट्य सामग्री के माध्यम से केवल अभिनय के दम पर कलाकार दर्शकों को पुराने दौर में ले जाने में सफल हुए। इस अवसर पर आदि मंच के प्रधान जगदीश शर्मा, अमोद जोशी, संजीव भाटिया, कमलेश, मोनिका गौड़, मनीष विग, अशोक चड्डा, राजेश वर्मा, रुपक धीमान, प्रमोद पब्बी, अनिल दत्ता, भारत सोपोरी, भाजपा के अम्बाला के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ रामकुमार सरोहा, राहुल कुमार आदि उपस्थित रहे।