नाटक के माध्यम से इंसान की स्वार्थी प्रवृत्ति पर किए करारे कटाक्ष
न्यूज डेक्स संवाददाता
रोहतक।‘जिस गरीब को इंसान तक का दर्जा नहीं देते, पैसे के लालच में लोग उसके पांव धो कर भी पीने को तैयार हो जाते हैं लोग!’ इसी सच को चुटीले अंदाज़ में पेश किया घरफूंक थियेटर फेस्टिवल के इस बार के नाटक ‘बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया’ ने। सप्तक रंगमंडल और पठानिया वर्ल्ड कैंपस के संयुक्त तत्वावधान में हुए इस नाटक में दिखाया गया कि आज के समय में पैसा किस तरह दुनिया में सबसे बड़ी चीज बन गया है, सभी मानवीय मूल्यों पर भारी पड़ गया है। एक परिवार के लोग अपने भोले भाले गरीब रिश्तेदार को नौकर बनाकर रखते हैं और खूब प्रताड़ित करते हैं, लेकिन जब उन्हें पता चलता है कि उसकी लॉटरी लग गई है तो वे सब उसकी सेवा में जुट जाते हैं।
संजय अमन पोपली द्वारा लिखित और निर्देशित इस नाटक की कहानी प्यारे नामक युवक के इर्द गिर्द घूमती है। उसके दूर के रिश्तेदार धनी राम ये कहकर उसे गांव से शहर ले आते हैं कि वे उसे कुछ काम धंधा खुलवा देंगे, या कोई नौकरी लगवा कर देंगे। लेकिन यहां वे प्यारे को अपने घर का नौकर बना देते हैं और उसको वेतन भी नही देते। इतना ही नहीं, धनीराम की बीवी रानी, बेटा मनी और बेटी लक्ष्मी मौके-बेमौके उस पर जुल्म करते रहते हैं, बात-बात पर मारते पीटते हैं। प्यारे हमेशा प्रार्थना करता है कि भगवान उसकी लॉटरी लगवा दे और उसे अमीर बना दे, ताकि उसे इस जलालत भरी जिंदगी से छुटकारा मिल जाए।
इस घर का एक किरायेदार बलदेव बाबू, प्यारे से काफी सहानभूति रखता है। वह प्यारे को एक लॉटरी का टिकट लाकर देता है और प्यारे का 10 करोड़ का इनाम निकल जाता है। इसके बाद घर के सभी सदस्यों का व्यव्हार प्यारे के प्रति बदल जाता है। धनीराम प्यारे को 10 करोड़ में अपना मकान खरीदने की बात करता है, तो मनी उसे एक फिल्म बनाने के लिए कहता है और रानी जेवर व बीएमडब्ल्यू कार खरीदने की इच्छा जताती है। जब प्यारे इन सबके लिए मना कर देता है, तब सब मिलकर लक्ष्मी की शादी प्यारे से कराने को तैयार हो जाते हैं, ताकि पैसा उन्हीं के पास रहे। नाटक में मोड़ तब आता है, जब बलदेव बाबू बताते हैं कि नम्बर गलत होने के कारण प्यारे को लॉटरी का पैसा नहीं मिलेगा। इस पर सब गुस्से में आ जाते हैं और प्यारे को पीटते हैं। लेकिन तभी लॉटरी कम्पनी से फोन आ जाता है कि प्यारे की लॉटरी का नंबर ठीक है और 10 करोड़ का ईनाम उसी को मिलेगा। तब प्यारे खूब हंसता है और हंसते हंसते रो पड़ता है।
भव्य कल्चरल सोसायटी की इस प्रस्तुति में मंजीत सिंहने धनीराम, पिंकी गौतम ने रानी, विक्रांत गौतम ने मनी,महिमा भाटिया ने लक्ष्मी, कविंदर देवगन ने बलदेव, राजेश शर्मा ने चंपक लाल, भूपेंद्र भाटिया ने लल्लू लाल, विजय शर्मा ने सुभाष दही और संजय पोपली ने प्यारे का केंद्रीय किरदार निभाया। कार्यकारी निदेशक मंजीत सिंह, फोटोग्राफर विक्रम आनंद और कांसेप्ट कविंदर देवगन का रहा। इस अवसर पर पीएनबी के चीफ मैनेजर यशपाल छाबड़ा, फिल्म अभिनेता राघवेंद्र मलिक, आकाशवाणी के पूर्व निदेशक एवं लेखक रामफल चहल, सप्तक के अध्यक्ष विश्वदीपक त्रिखा, सचिव अविनाश सैनी, सुभाष नगाड़ा, शक्ति सरोवर त्रिखा, अनूप सैनी, विकास रोहिल्ला, रिंकी बतरा, अनंत, राहुल और अनिल सैनी सहित अनेक नाट्य प्रेमी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन रिंकी ने किया।