विश्व हृदय दिवस पर विशेष
न्यूनतम 7 घंटे की नींद जरूरी है स्वस्थ हृदय के लिए: डॉ. शैलेंद्र ममगाईं शैली
न्यूज डेक्स हरियाणा
कुरुक्षेत्र,29 सितंबर। कोरोना संक्रमण काल में दिल की बीमारियों में लापरवाही न बरतें ,जिससे धड़कने सेहतमंद बनी रहें ,बेहतर स्वास्थ्य के लिए वजन नियंत्रित रखें ,गलत आदतें छोड़ें और अच्छा कोलेस्ट्रोल बनाने वाली चीजों का सेवन करें और समय पर दिल की जांच जरूर कराएं। यह सलाह लोकनायक जयप्रकाश ज़िला नागरिक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक और हृदय एवं छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. शैलेंद्र ममगाईं शैली ने आज विश्व हृदय दिवस की पूर्व संध्या पर दी।
उन्होंने बताया कि कोरोना के कुल मरीजों में करीब 5 फ़ीसदी को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है लेकिन यदि मरीज उच्च रक्तचाप ,मधुमेह, मोटापा, दिल की बीमारियों या अन्य पुरानी बीमारियों से पीड़ित है तो उनमें 15 से 20 फीसदी की जान जाने का खतरा बना रहता है। ऐसे में इन मरीजों को कोरोना काल में बहुत संभाल कर रहने की जरूरत है।
डाक्टर का कहना है कि दिल के पुराने रोगी कोरोना के डर से आजकल इलाज के लिए नहीं पहुंच पा रहे हैं, लेकिन उन्हें चाहिए कि अगर उन्हें इस तरह की समस्या है तो इसकी कतई अनदेखी न करें ,भले ही वह घर में ब्लड प्रेशर और रक्त में शुगर जांचने की मशीन रख लें , इसके साथ-साथ जो दवाई पहले से चल रही हैं उन्हें बिल्कुल भी बंद न करें और अचानक कोई तकलीफ बनने पर नजर अंदाज करने की बजाय तुरंत अस्पताल पहुंचकर फिजिशियन से अपनी जांच और उपचार कराएं।
नींद और हृदय रोग के संबंधों की चर्चा करते हुए डॉ. शैली ने बताया कि रोजाना न्यूनतम 7 से 8 घंटे की नियमित अच्छी नींद लेने से हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है। सोने से पहले कैफीन न लेना, सोने और जागने के लिए लगभग समान समय बनाए रखना सोने से एक घंटा पहले सभी गैजेट्स को डिस्कनेक्ट करना ,सोने के समय हल्का संगीत सुनना या पढ़ना अच्छी गुणवत्ता युक्त नींद लाने में मददगार साबित होता है।
उन्होंने बताया कि स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखना शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। 5 घंटे से कम की नींद को चयापचय संबंधी बीमारियों के लिए और हृदय की बीमारियों के लिए 7:30 घंटे से कम की नींद को टिगर माना जाता है । नींद की कमी, अनियमित भोजन, पेट की अत्यधिक चर्बी और एक समग्र गतिहीन जीवन शैली ने लोगों को काफी हद तक हृदय लोगों की चपेट में ले लिया है।
डॉ.शैली के मुताबिक लोगों के दिल की बीमारियों से पीड़ित होने के अनेक कारण हैं और उन्हें अपने दिल की अतिरिक्त देखभाल करने की जरूरत है ।सामान्य स्थिति में किसी व्यक्ति की हृदय गति 70 से 80 प्रति मिनट होती है लेकिन जब शरीर तनाव रहित हो जाता है तो हृदय की बीमारी के जोखिम को कम करते हुए हृदय गति 40 से 50 प्रति मिनट पर आ जाती है। आजकल निष्क्रिय जीवनशैली के चलते युवा लोग भी हृदय रोगों की चपेट में आ रहे हैं जो चिंता का विषय है।
डॉक्टर शैली ने बताया दुनिया में प्रतिवर्ष 17.3 मिलियन लोग कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के शिकार होकर दुनिया से कूच कर जाते हैं और पीछे रह जाते हैं बिलखते परिजन। वर्ल्ड हार्ट फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 80 फ़ीसदी लोग विकासशील देशों के हैं।सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बड़ी उम्र में होने वाला दिल का रोग 30 से 40 साल के युवाओं को भी अपने गिरफ्त में लेता जा रहा है ।
देश में होने वाले हृदयाघात के मामलों में अब आधे मामले 45 वर्ष से कम आयु में होने लगे हैं और इनमें से भी 25 फ़ीसदी हृदयाघात के मामले 30 से 40 साल के युवाओं में सामने आने लगे हैं।बदलते सामाजिक आर्थिक ताने-बाने के कारण पहले तो मां-बाप बच्चे को पढ़ाई के बोझ में दबा देते हैं और उसके बाद ऊंचे पैकेज के चक्कर में नौकरी की तलाश में युवा जूझने लगते हैं। पति-पत्नी दोनों के कामकाजी होने की स्थिति में परिवार कहीं पीछे छूट जाता है घर-घर नहीं रहकर तनाव या प्रति स्पर्धा का केंद्र बन जाता है कार्यस्थल पर साथियों से प्रतिस्पर्धा ,काम का बोझ और घर पर पत्नी भी यदि नौकरी पेशा है तो परस्पर समझ के अभाव की स्थिति में एक दूसरे से आगे बढ़ने की ललक जीवन को प्रभावित करती है।
दिल के दौरे के लक्षणों की चर्चा करते हुए डॉ. शैली ने बताया कि सीने में अति बेचैनी, दबाव, दर्द, जकड़न और भारीपन होता है एकदम सांस फूलने लगती है हालांकि डायबिटीज के मरीजों में कई बार दर्द नहीं होता लेकिन सांस फूलती है। एसिडिटी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं ,जी मचलने लगता है। इस तरह के लक्षण दिखने पर अस्पताल पहुंचने तक डिस्प्रिन की गोली चबाकर खा सकते हैं ।
ऐसी स्थिति में सीढी न चढ़ें और आराम से बैठ जाएं, जितनी जल्दी हो सके,नजदीकी अस्पताल जाएं। अपनी ईसीजी छाती के एक्सरे के साथ-साथ पेट का अल्ट्रासाउंड भी करवाएं, क्योंकि पित्त की थैली में पथरी के लक्षण भी हृदय रोग से मिलते -जुलते हैं।
डॉ. शैली ने बताया कि दिल की बीमारियों का खतरा महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा रहता है ,हालांकि महावारी चलने तक महिलाओं में खतरा कम रहता है लेकिन उसके बाद उन्हें भी पुरुषों के बराबर ही खतरा रहता है ।ऐसे में 50 की उम्र के बाद महिला -पुरुष दोनों को बहुत सतर्कता रखनी चाहिए।
हृदय रोगों से बचाव के उपायों की चर्चा करते हुए डॉ. ममगाईं ने बताया कि प्रतिदिन 2 से 3 ग्राम यानी आधी छोटे चम्मच से कम नमक खाना चाहिए, उच्च रक्तचाप और 40 साल से ज्यादा आयु के लोगों को रोज सिर्फ डेढ़ ग्राम नमक खाना चाहिए। हालांकि काला या सेंधा नमक सामान्य नमक से कम नुकसान दायक है। इसके अलावा सप्ताह में 5 दिन आधे घंटे तक तेज चलें, प्राकृतिक आहार लें, फास्ट फूड और बाजार की चीजें खाने से बचें, संस्कार युक्त जीवन शैली और संयुक्त परिवार प्रणाली को अपनाएं और धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें।