Monday, November 25, 2024
Home International News भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष 14 जून को मंगोलिया के बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर 11 दिवसीय प्रदर्शनी के लिए भारत से ले जाया जाएगा

भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष 14 जून को मंगोलिया के बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर 11 दिवसीय प्रदर्शनी के लिए भारत से ले जाया जाएगा

by Newz Dex
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किरेन रिजिजू के नेतृत्व में एक 25 सदस्यीय शिष्टमंडल पवित्र अवशेषों के साथ जाएगा

यह भारत-मंगोलिया के संबंधों में एक और ऐतिहासिक मील का पत्थर है तथा यह दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और अध्यात्मिक संबंधों को और बढ़ावा देगा :किरेन रिजिजू

भगवान बुद्ध के उपदेश मानवता को और अधिक शांति, सद्भाव तथा समृद्धि की ओर ले जाएंगे : किरेन रिजिजू

सरकार बौद्ध धर्म को न केवल देश के भीतर बढ़ावा देने के सभी प्रयास कर रही है बल्कि पूरे विश्व में भगवान बुद्ध के शांति तथा करुणा के संदेशों को फैलाने का प्रयास कर रही है : जी. किशन रेड्डी

न्यूज डेक्स इंडिया

दिल्ली। मंगोलिया के लोगों के प्रति एक विशेष भावना प्रदर्शित करते हुए, भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को 14 जून, 2022 को पड़ने वाले मंगोलियाई बुद्ध पूर्णिमा के समारोहों के हिस्से के रूप में 11 दिवसीय प्रदर्शनी के लिए भारत से मंगोलिया ले जाया जाएगा। कानून एवं विधि मंत्री किरेन रिजिजू के नेतृत्व में पवित्र अवशेषोंके साथ एक 25 सदस्यीय शिष्टमंडल 12 जून, 2022 को मंगोलिया के लिए रवाना होगा। पवित्र अवशेषों का प्रदर्शन गंदन मठ के परिसर में बटसागान मंदिर मेंकिया जाएगा।  बुद्ध के पवित्र अवशेष वर्तमान में राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे गए हैं जिन्हें ‘ कपिलवस्तु अवशेष ‘ के नाम से जाना जाता है क्यांकि वे पहली बार बिहारमें खोजे गए एक स्थल से हैं जिसे कपिलवस्तु का प्राचीन शहर माना जाता है।

भारत मंगोलिया के साथ सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक संबंधों का एक लंबा इतिहास साझा करता है और मंगोलिया की सरकार के आग्रह पर इस साझीदारी को आगेले जाने के लिए केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने एक विशेष अपवाद के रूप में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को 11 दिनों तक के लिए मंगोलिया के गंदनमठ के भीतर बटसागान मंदिर में प्रदर्शित किए जाने की अनुमति दी।

आखिरी बार इन अवशेषों को वर्ष 2012 में देश से बाहर ले जाया गया था जब श्रीलंका में उनकी प्रदर्शनी आयोजित की गई थी और श्रीलंका के कई स्थानों पर उन्हेंप्रदर्शित किया गया था। बहरहाल, बाद में दिशानिर्देश जारी किए गए तथा इन पवित्र अवशेषों को उन पुरावशेषों तथा कला खजाने की ‘‘एए‘‘ श्रेणी के तहत रखा गया जिन्हें  उनकी नाजुक प्रकृति को देखते हुए देश से बाहर नहीं ले जाया जाना चाहिए।

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