Monday, November 25, 2024
Home haryana घरफूंक थियेटर फेस्टिवल : ‘बलि और शम्भू’ नाटक ने दिखाया वृद्धजनों का दर्द

घरफूंक थियेटर फेस्टिवल : ‘बलि और शम्भू’ नाटक ने दिखाया वृद्धजनों का दर्द

by Newz Dex
0 comment

न्यूज डेक्स संवाददाता

रोहतक।सप्तक कल्चरल सोसाइटी एवं पठानिया वर्ल्ड कैंपस के साप्ताहिक घर फूंक थियेटर फेस्टिवल में इस बार दिल्ली के नाट्यकांडी थियेटर ग्रुप द्वारा ‘बलि और शम्भू’ नाटक का मंचन किया गया। मानव कौल के लिखे इस नाटक का निर्देशन कृष्णाचार्य सोनी और यामिनी गोयल ने किया। नाटक ने बुढ़ापे के अकेलेपन और बेचारगी को दिखाने के साथ-साथ बुजुर्गों के दिल में पनपने वाली इच्छाओं और उम्मीदों को भी बहुत ही अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया।

स्थानीय आईएमए हाल में हुआ नाटक दो वृद्ध लोगों शंभू और बलि की दास्तान है, जो विपरीत हालात से जूझते हुए एक वृद्धाश्रम में रह रहे हैं। शंभू अपनी मृत बेटी तितली की याद में खोया रहता है जबकि बलि वृद्धाश्रम की डॉक्टर के कथित प्रेम मे पड़कर हास्यास्पद स्तिथियों को जन्म देता है। शंभू वृद्धाश्रम के अपने कमरे में अकेला रहता है लेकिन उस कमरे के दूसरे बेड पर जब बलि का आना होता है तो उसे बड़ी परेशानी हो जाती है। वह उसे बर्दाश्त नहीं कर पाता लेकिन जब उसे पता चलता है कि उसके और बलि के हालात एक जैसे हैं, तो उसे बलि से हमदर्दी होने लगती है। यही नहीं, कुछ दिनों पश्चात तो वे दोनों एक दूसरे के इतने करीब आ जाते हैं कि अपने दिल की बातें और अपने घर के हालात भी सांझा करने लगते हैं। नाटक वर्तमान दौर के टूटते पारिवारिक परिवेश से जूझते वृद्ध लोगों की मनोवैज्ञानिक स्थिति को उजागर करने में कामयाब रहा।

नाटक का शुभारंभ आकाशवाणी रोहतक के पूर्व निदेशक रामफल चहल, समाजसेवी विनोद कुमार, राघवेंद्र मलिक, कृष्णाचार्य, यामिनी और विश्वदीपक त्रिखा ने ने दीप प्रज्वलित कर के किया। नाटक में शम्भू (कृष्णाचार्य) का किरदार बेहद अन्तर्मुखी और चिड़चिड़े स्वभाव का है। वह अपनी बेटी तितली (शकीमा) से बहुत प्यार करता था, लेकिन वह अपनी मर्जी से शादी कर लेती है और इसके बाद उड़की मृत्यु हो जाती है। शम्भू इससे टूट जाता है। वह अपने दामाद को बेटी की मौत का कारण मानता है और उसकी लाख कोशिशों के बावजूद न उससे मिलने को तैयार होता है, न उसके पत्र पढ़ता है। जब बातूनी स्वभाव का बलि (योगेश) उसके कमरे में रहने आता है तो शम्भू उस पर खूब गुस्सा होता है और बात बात पर धमकाता है। पर बलि धीरे-धीरे उसके मन में जगह बना लेता है, जिससे शम्भू भी खुलने लगता है। वह अपनी बेटी की कहानी बलि को सुनाता है। बलि और वृद्धाश्रम की डॉक्टर झिलमिल (यामिनी गोयल) उसे अपने दामाद से मिलने के लिए तैयार कर लेते हैं लेकिन उसके आने के रक रात पहले ही अवसाद में उसकी मृत्यु हो जाती है। जब दामाद आता है तो वह बलि को ही शम्भू समझ लेता है और बहुत भावुक हो जाता है। ऐसे में बलि फैसला करता है कि वह भी इंसानियत और दोस्ती का फर्ज निभाएगा तथा शम्भू बनकर उसके गम को बांटेगा।

इस अवसर पर बैंक अधिकारी इंद्रजीत सिंह भयाना, डॉ. आर एस दहिया, सुरेन्द्र अरोड़ा, विश्वदीपक त्रिखा, विनोद कुमार, रामफल चहल, राघवेंद्र मलिक, श्रीभगवान शर्मा, विष्णु मित्र सैनी, गुलाब सिंह खांडेवाल, सुभाष नगाड़ा, शक्ति सरोवर त्रिखा, अविनाश सैनी, यतिन वधवा, सिद्धार्थ भारद्वाज, राहुल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम का संयोजन गुलाब सिंह ने किया। 

You may also like

Leave a Comment

NewZdex is an online platform to read new , National and international news will be avavible at news portal

Edtior's Picks

Latest Articles

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00