राज्य सरकार किसान हितैषी योजनाओं और नीतियों को लागू करने का कर रही है काम
धान के स्थान पर अन्य फसलों की बुवाई पर दी जा रही है प्रति एकड़ 7 हजार प्रोत्साहन राशि
हरियाणा में 14 फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है खरीद
बागवानी की 21 फसलों को भी भावांतर भरपाई योजना में किया गया है शामिल
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। सांसद नायब सिंह सैनी ने कहा कि हरियाणा प्रदेश कृषि क्षेत्र में फसल विविधीकरण एक बड़ा गेम चेंजर बन गया है। मेरा पानी-मेरी विरासत योजना भी इस क्षेत्र में काफी अहम भूमिका निभा रही है। हरियाणा सरकार की इस अनूठी योजना के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। किसानों का रुझान धान जैसी अधिक पानी से तैयार होने वाली फसलों की बजाय अन्य फसलों की ओर बढ़ा है। राज्य सरकार किसान हितैषी योजनाओं और नीतियों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में विभाग की आईटी टीम को मजबूत किया जा रहा है ताकि किसानों की विभिन्न समस्याओं पर नजर रखने के साथ ही उनका जल्द से जल्द समाधान निकाला जा सके।
सांसद नायब सिंह सैनी ने बातचीत करते हुए कहा कि राज्य में लगभग 37 लाख एकड़ में धान की खेती की जाती है जो गिरते भू-जल स्तर का मुख्य कारण है। हालांकि हरियाणा सरकार की मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत वर्ष 2021 में 32196 किसानों ने 51874 एकड़ क्षेत्र में धान के स्थान पर अन्य फसलों की बुआई की और 7 हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का लाभ लिया। इस योजना के तहत धान के स्थान पर कम पानी से तैयार होने वाली अन्य वैकल्पिक फसलों को अपनाने पर किसानों को प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाती है। राज्य के किसानों को फसलों के विविधीकरण के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में हरियाणा ने निवेश बढ़ाने, अनुसंधान और विकास प्रणाली, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, सिंचाई विकास, भूमि अधिग्रहण नीति, ऋण और बिजली के उपयोग के लिए सब्सिडी, सड़क, बाजार, बिजली उत्पादन और आपूर्ति जैसे बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देकर कृषि को मजबूत करने का काम किया है।
भारत से बासमती चावल का 60 फीसदी से अधिक निर्यात हरियाणा से होता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के दूरदर्शी नेतृत्व में हरियाणा सरकार द्वारा की गई इन पहलों का यह परिणाम है कि हरियाणा उन शीर्ष तीन राज्यों में से एक बन गया है, जहां किसानों की आय 20,000 रुपये प्रति माह से अधिक हो गई है। हरियाणा एक ऐसा राज्य है जो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं, धान, जौ, बाजरा, मूंग, मूंगफली, सरसों, मक्का, उड़द, तिल, चना, अरहर, कपास और सूरजमुखी सहित 14 फसलों की खरीद करता है। पिछले चार साल में सिर्फ गेहूं और चावल बेचकर यहां के किसानों ने 102436 करोड़ रुपए कमाए हैं, जो काबिले तारीफ है। हरियाणा देश के पहले राज्यों में है जहां बागवानी के लिए भावांतर भरपाई योजना जैसी विभिन्न किसान कल्याण योजनाएं लागू की गई है। कई बार कृषि उपज की कम कीमतों के कारण किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इस समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार ने 21 बागवानी फसलों को भी भावांतर भराई योजना में शामिल किया है। फलों और सब्जियों के दाम बाजार में कीमत से कम होने पर किसानों को नुकसान नहीं होगा और सरकार उस कमी की योजना के तहत भरपाई करेगी। राज्य के किसानों को कपास, सरसों और गेहूं के लिए लाभकारी मूल्य मिल रहे है।