Friday, November 22, 2024
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सनातन परंपराओं और कृतज्ञता का पर्व है व्यास पूजा : स्वामी ज्ञानानंद

by Newz Dex
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गीता ज्ञान संस्थानम् में श्रद्धा एवं धूमधाम से मनाया गया व्यास पूजा उत्सव


न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र। जीओ गीता, श्री कृष्ण कृपा परिवार द्वारा गीता ज्ञान संस्थानम् में व्यास पूजा उत्सव बड़े ही श्रद्धा व धूमधाम के साथ मनाया गया। प्रातः काल से ही गीता ज्ञान संस्थानम् के सभागार में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के दर्शनों हेतु श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखने को मिली। व्यास पूजा के अवसर पर आसपास के क्षेत्रों के श्रद्धालु भी अपने गुरु जी को नमन कर उनका आशीर्वाद लेने पहुंचे। व्यास पूजा कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन करके किया गया। सर्वप्रथम रतन रसिक व पवन गुंबर ने गुरु वंदना के साथ प्रारंभ कर सुंदर भजनों के माध्यम से सभागार में उपस्थित श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।

व्यासपीठ से प्रवचन करते हुए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि व्यास पूजा परंपराओं और कृतज्ञता का पर्व है। महर्षि व्यास ने जहां गीता ज्ञान से जनमानस को अवगत करवाया वहीं चारों वेद पुराण और उपनिषद को कलमबद्ध करके जन-जन तक पहुंचाया। यदि महर्षि व्यास न होते तो महाभारत केवल एक घटना होकर रह जाती और मानव को गीता ज्ञान से वंचित रहना पड़ता। उन्होंने कहा कि महाभारत में संजय ने स्वयं स्वीकार किया कि व्यास जी द्वारा दी गई दिव्य दृष्टि के कारण ही उन्होंने भगवान कृष्ण के विराट स्वरूप के दर्शन किए और महाभारत का सारा हाल धृतराष्ट्र को सुनाया। गीता मनीषी ने कहा कि वेदों की रचना करने के कारण ही कृष्ण रूपायण से व्यास जी का नाम महर्षि वेदव्यास पड़ा।

उन्होंने कहा कि सनातन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जो कि वैचारिक, वैज्ञानिक और व्यवहारिक है। सनातन धर्म के मूल में महर्षि वेदव्यास ही हैं। राज गद्दी और व्यास गद्दी ठीक रहें तभी भारत विश्व गुरु बनेगा। गीता मनीषी ने व्यास पूर्णिमा के दिन गुरु पूजा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सनातन परंपराओं और ज्ञान के मूल में श्री वेदव्यास जी ही हैं और इसी परंपरा को निभाते हुए गुरु जीव को इस अमूल्य ज्ञान से अवगत करवाता है। इसलिए यह पर्व अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का पर्व है।

उन्होंने कहा कि वेदों के एक लाख मंत्र, महाभारत के एक लाख श्लोक, उपनिषद एवं श्रीमद्भगवद्गीता जैसी भगवान श्री कृष्ण की दिव्य वाणी महर्षि वेदव्यास की ही देन है। ज्ञान परंपरा भी केवल महर्षि वेदव्यास जी की ही देन है और इसी परंपरा को निभाते हुए गुरु अपने शिष्य के प्रति अपना दायित्व निभाता है। गीता मनीषी ने कहा कि व्यासपीठ की परंपरा एवं गरिमा के को सदैव कायम रखा जाना चाहिए। इस अवसर पर हंसराज सिंगला, महेंद्र सिंगला, श्रीकृष्ण कृपा परिवार के मीडिया प्रभारी रामपाल शर्मा, रमाकांत शर्मा, गिरिवर शर्मा, सतपाल सिंगला, विजय नरूला, सुनील वत्स, दीपक आहूजा, विजय बवेजा, शाम आहूजा, पवन भारद्वाज, पवन शर्मा, हर्ष सलूजा, मलिक विजय आनंद, सुरेंद्र बजाज, रविकांत गोयल, गुलशन माटा, पवन गुप्ता, राजू भट्ट एवं सौरव आनंद सहित भारी संख्या में श्रद्धालु गण उपस्थित थे।

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