Monday, November 25, 2024
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भारतीय सनातन वैदिक संस्कृति  में गुरु शिष्य एक शाश्वत एवं अखंड परंपरा है: डा. श्रीप्रकाश मिश्र 

by Newz Dex
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मातृभूमि  सेवा मिशन आश्रम परिसर में गुरू पूर्णिमा पर संस्कृति संवाद कार्यक्रम सम्पन्न

मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने लिया गुरू का आशीर्वाद  

न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरूक्षेत्र। भारतीय संस्कृति में गुरु का बहुत ऊंचा और आदर का स्थान है। माता-पिता के समान गुरु का भी बहुत आदर रहा है और वे शुरू से ही पूज्य समझे जाते रहे हैं। गुरु को ब्रह्म, विष्णु, महेश के समान समझकर सम्मान करने की भरतीय संस्कृति में पुरातन परम्परा है। आचार्य देवो भवः का स्पष्ट अनुदेश भारत की आदि परंपरा है और वेद आदि ग्रंथों का अनुपम आदेश है। यह शब्द  मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने गुरू पूर्णिमा के अवसर पर आश्रम परिसर में आयोजित संस्कृति संवाद कार्यक्रम में व्यक्त किए। इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ गुरू पूजन, गुरू वंदना एवं जगतजननी मां पीताम्बरा, भारत के महान योगी महाअवतार बाबा, स्वामी जी महाराज के चित्र पर माल्यार्पण, पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्जवल से हुआ। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने गुरू पूर्णिमा के पावन पर्व पर अपने जीवन में गुरू शिष्या परम्परा को अक्षुण्ण रखने का संकल्प लिया।  

डा.श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि वेदों की रचना करने वाले गुरुओं के गुरु वेद व्यास जी धरती लोक में सभी गुरुओं में श्रेष्ठ माने गए हैं, उनके सम्मान में गुरु पूजा की परंपरा प्रारंभ की गई परंतु इससे पहले भी महागुरु हुए हैं जो रूद्र के रूप में संपूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त हैं। डा.श्रीप्रकाश मिश्र ने गुरु पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म भी हुआ था। इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। कहा जाता है कि इसी दिन व्यास जी ने शिष्यों एवं मुनियों को सर्वप्रथम श्री भागवतपुराण का ज्ञान दिया था।डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा हर सफल व्यक्ति के पीछे किसी न किसी गुरु का आशीर्वाद अवश्य होता है।

उन्होंने चाणक्य, चंद्रगुप्त, एकलव्य,द्रोणाचार्य, विवेकानंद, रामकृष्ण, परमहंस आदि महापुरुषों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन्होंने गुरुओं के आशीर्वाद से ही लक्ष्य प्राप्त किया। डा.श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि व्यक्ति सुख की सामग्रियों के अंबार पर भी क्यों न बैठा रहे पर गुरु की शरण में आए, बिना वह सुखी नहीं हो सकता। संस्कृति संवाद कार्यक्रम को ग्वालियर से अशोक शर्मा, रामहेत, ठेकेदार साहब सिंह खरींडवा, धर्मपाल सैनी ने बतौर विशिष्ठ अतिथि महत्वपूर्ण उदबोधन दिया। मातृभूमि मिशन के संस्थापक डा.श्रीप्रकाश मिश्र ने सभी के मंगलमय जीवन की कामना करते हुए अपना शुभाशीर्वाद प्रदान किया। कार्यक्रम में कुवि के पूर्व सहायक कुलसचिव यशपाल, सहारनपुर से पंकज कम्बोज, अरविंद कम्बोज, बाबू राम, हिमांशु सहित मिशन के अनेक सदस्य एवं गणमान्य उपस्थित रहे। 

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