गुरुकुल में गो आधारित प्राकृतिक कृषि केन्द्रित क्षेत्रीय आर्य सम्मेलन में उमड़ा जनसैलाब
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। देश के किसान को यदि स्वस्थ और समृद्ध बनाना है तो इसका एकमात्र उपाय प्राकृतिक खेती है। प्राकृतिक खेती से न केवल किसान आर्थिक रूप से मजबूत होगा बल्कि इससे देश को शुद्ध एवं जहरमुक्त आहार उपलब्ध होगा और लोग बीमारियों से बचेंगे। उक्त शब्द आज गुरुकुल कुरुक्षेत्र के जिन्मेजियम हॉल में ‘गो आधारित प्राकृतिक कृषि केन्द्रित क्षेत्रीय आर्य सम्मेलन’ में आए लोगों को सम्बोधित करते हुए गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहे। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती करके ही हम आने वाली पीढ़ियों को खेती की उपजाऊ भूमि दे सकते हैं क्योंकि रासानिक खेती और यूरिया, डीएपी के अत्यधिक प्रयोग से पहले ही देश की अधिकांश भूमि बंजर हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से देशी गाय का भी संरक्षण होगा क्योंकि प्राकृतिक खेती में एक देशी गाय से 30 एकड़ की खेती होती है। इस अवसर पर आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा के कार्यकारी प्रधान कन्हैया लाल आर्य, गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग, ओएसडी टू गर्वनर डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार, उप प्रधान मा. सत्यपाल, मुख्य अधिष्ठाता राधाकृष्ण आर्य, निदेशक कर्नल अरुण दत्ता, प्राचार्य सूबे प्रताप, पूर्व प्रधान कुलवन्त सिंह सैनी, आचार्य ऋषिपाल, एडवोकेट नरेन्द्र कटारिया, वीरेन्द्र आर्य, मुख्य संरक्षक संजीव आर्य सहित भारी संख्या में आर्य समाज से जुड़े प्रतिनिधि मौजूद रहे। मंच संचालन मुख्य संरक्षक संजीव आर्य एवं रवि आर्य द्वारा किया गया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ एक विशेष बैठक पर चर्चा करते हुए राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने बताया कि जब पहली बार वे प्रधानमंत्री मोदी से मिले थे तो उन्होंने पीएम साहब को अपनी प्राकृतिक खेती पर आधारित पुस्तक भेंट की। उस पुस्तक को प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ी गहनता से पढ़ा। आचार्य देवव्रत ने बताया कि जब दूसरी बार वे प्रधानमंत्री मोदी से मिलने गये तो मोदी ने लगभग एक घंटे तक प्राकृतिक कृषि के विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा की और प्राकृतिक खेती के विभिन्न लाभ और इससे होने वाले जल संरक्षण, गो संरक्षण को देखते हुए पूरे देश में किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लिए एक अभियान चलाने का आग्रह किया। आचार्य देवव्रत ने बताया कि इतना ही नहीं प्रधानमंत्री की पहल पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक विशेष गोष्ठी में देश के सभी राज्यपाल एवं मंत्रियों को भी प्राकृतिक खेती पर विस्तार से जानकारी दी और ज्यादा से ज्यादा किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने की बात कही।
आचार्य देवव्रत ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहते हुए उन्होंने लगभग 2 लाख किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जो आज खुशहाल जीवन यापन कर रहे हैं। वहीं गुजरात में भी 2 लाख से अधिक किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं, वहां देशी गाय पालने वाले प्रत्येक किसान को 900 रूपये महीना देशी गाय के रख-रखाव हेतु प्रदेश सरकार द्वारा दिये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के अन्य प्रदेशों में भी भारी संख्या में किसान प्राकृतिक खेती को अपना रहे हैं क्योंकि प्राकृतिक खेती से जहां देशी गाय का संरक्षण होता है, वहीं भूमि की उर्वरता बढ़ती है, जल-स्तर में सुधार होता है, पर्यावरण शुद्धि होगी और सबसे महत्वपूर्ण लोगों को बीमारियों से निजात मिलेगी।
आर्य समाज के विषय में चर्चा करते हुए राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि महर्षि दयानन्द सरस्वती के प्रयासों से ही नारियों को शिक्षा का अधिकार प्राप्त हुआ था। उन्होंने कहा कि आर्य समाज के गठन से पूर्व महर्षि दयानन्द ने भी गौकृष्यादि रक्षिणी सभा का गठन कर गोमाता के संरक्षण के लिए आवाज बुलंद की थी। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में देश में शिक्षा के स्तर में सुधार करने की जरूरत है, अधिक से अधिक गुरुकुलों का निर्माण होना चाहिए ताकि बच्चों को संस्कारवान बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि आर्य समाज ने हमेशा समाज को नई दिशा और दशा देने का काम किया है। समाज से अंधविश्वास, पाखण्ड, जात-पात, ऊंच-नीच के भेदभाव को यदि किसी संगठन ने समाप्त किया है तो वह आर्य समाज है। प्राचीन भारत में घर-घर में आर्य समाज की लौ जगती थी मगर समय के साथ और कुछ दुष्प्रभावों के कारण आज की युवा पीढ़ी ने अपनी वैदिक सनातन संस्कृति को भुला दिया है और पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण कर रही है। अब समय आ गया है कि हमे पुनः ऋषि दयानन्द के बताए वेदों के मार्ग पर चलना होगा तभी हम एक सभ्य समाज का निर्माण कर सकते है।
इससे पूर्व डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार ने गुरुकुल को फ़र्श से अर्श तक पहुंचाने के सफर पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से केवल 21 वर्ष की आयु में जर्जर हालत में पड़े गुरुकुल को आचार्य देवव्रत जी ने अपनी दूरदृष्टि सोच से देश का अग्रणी शिक्षण संस्थान बनाया। उन्होंने कहा कि ऋषि दयानन्द के मानस पुत्र स्वामी श्रद्धानन्द जी ने जिस उद्देश्य से गुरुकुलों की स्थापना की थी, उस उद्देश्य को सही मायनों में आचार्य देव्रवत ने पूरा किया है। आज गुरुकुल कुरुक्षेत्र में प्रवेश के लिए 26 प्रदेशों से हजारों की संख्या में छात्र आते हैं। यहां के छात्र एनडीए, आईआईटी, एमबीबीएस, पीआईएमटी सहित विभिन्न परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं और गुरुकुल कुरुक्षेत्र लगातार 5 वर्षों से हरियाणा का नंबर वन विद्यालय बना हुआ है।