जयराम विद्यापीठ में पूरे सावन महीने में निरंतर रुद्राभिषेक एवं अनुष्ठान
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। देश के विभिन्न राज्यों में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से पूरे सावन महीने में निरंतर रुद्राभिषेक एवं अनुष्ठान किए जा रहे हैं। सावन के अंतिम रविवार को भी श्री रामेश्वर महादेव मंदिर में यमुनानगर से यजमान प्रियंका त्यागी, बिट्टू त्यागी, उमरी से पूनम शर्मा, राजेंदर शर्मा, राज रानी, जसवंत सैनी, वेनी सैनी, अमित कुमार शांडिल्य, रूपा शर्मा, आद्या शर्मा इत्यादि ने रुद्राभिषेक किया। यह रुद्राभिषेक प. पंकज पुजारी एवं ब्रह्मचारियों ने विधिवत मंत्रोच्चरण के साथ सम्पन्न करवाया। जयराम संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य प. रणबीर भारद्वाज के अनुसार रुद्राभिषेक अर्थात भूतभावन शिव का अभिषेक है।
शिव को ही रुद्र कहा जाता है, क्योंकि रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: यानी भोले सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं। उन्होंने बताया कि हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दु:खों के कारण हैं। रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारी कुंडली से पातक कर्म एवं महापातक भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है। भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है। सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। प. भारद्वाज ने बताया कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है। रुद्रहृदयोपनिषद में शिव के बारे में कहा गया है कि सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका अर्थात सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रुद्र की आत्मा हैं।
हमारे शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के पूजन के निमित्त अनेक द्रव्यों तथा पूजन सामग्री को बताया गया है। साधक रुद्राभिषेक पूजन विभिन्न विधि से तथा विविध मनोरथ को लेकर करते हैं। किसी खास मनोरथ की पूर्ति के लिए तदनुसार पूजन सामग्री तथा विधि से रुद्राभिषेक किया जाता है। इस अवसर पर श्रवण गुप्ता, पवन गर्ग, के. के. कौशिक, टेक सिंह लौहार माजरा, कुलवंत सैनी, खरैती लाल सिंगला, राजेश सिंगला, सतबीर कौशिक एवं रोहित कौशिक इत्यादि भी मौजूद थे।