कुरुक्षेत्र के पूर्व सांसद एवं देश प्रमुख उद्योगपति नवीन जिंदल ने दिलाया हर नागरिक को तिरंगा फहराने का अधिकार
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। देश की 14वीं तथा 15वीं लोकसभा में कुरुक्षेत्र के सांसद रहे देश के प्रमुख उद्योगपति नवीन जिंदल ने भारत के हर नागरिक को तिरंगा फहराने का अधिकार दिलाया था। आज जब देश की आजादी के 75 साल के अवसर आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है तो कुरुक्षेत्र वासियों में तो विशेष जोश देखने को मिल रहा है। कुरुक्षेत्र में ही उस समय के नीलम थियेटर में हजारों की संख्या में लोगों की मौजूदगी में एक विशाल कार्यक्रम आयोजित किया गया था। सुप्रीम कोर्ट से तिरंगे का केस जीतने पर कुरुक्षेत्र नगर की 38 सामाजिक संस्थाओं द्वारा नवीन जिन्दल को सम्मानित किया गया था। यह जानकारी सांझा करते हुए नगर के प्रमुख व्यवसायी एवं फ्लेग फाउंडेशन ऑफ़ इण्डिया के कुरुक्षेत्र में प्रमुख पदाधिकारी रहे राजेश सिंगला के अनुसार उन्हीं दिनों सबसे ऊंचे झंडे स्थापित किए। कुरुक्षेत्र, कैथल, यमुनानगर इत्यादि में 208 फीट ऊंचे झंडे स्थापित किए गए। 48 फीट चौड़ा व 72 फीट लंबा झंडा फहराया।
बताया कि नवीन जिन्दल ने वर्ष 2002 में 1100 राष्ट्रीय ध्वज वितरित ‘हर घर तिरंगा अभियान’ कर शुरू किया था। कुरुक्षेत्र लोकसभा के प्रत्येक शहर में तिरंगा यात्रा निकाली गई थी। नवीन जिंदल के प्रयासों से ही कुरुक्षेत्र जिले में प्रत्येक अधिकारी की मेज पर रखने के लिए तिरंगे वितरित किए गए। प्रत्येक नागरिक को पॉकेट पर तिरंगा लगाने के लिए प्रेरित किया एवं जेब पर लगाने वाले राष्ट्रीय ध्वज वितरित किए। कुरुक्षेत्र लोकसभा के सभी शहरों में सड़क पर स्थित प्रतिष्ठानों पर सुबह राष्ट्रीय ध्वज फहराए जाते थे एवं शाम को सम्मान पूर्वक उतारे जाते थे। अब जब हर घर तिरंगा अभियान चल रहा है तो नवीन जिंदल का मानना है कि सिर्फ तीन दिन 13 से 15 अगस्त ही झंडा क्यों फहराया जाए, झंडा तो हर दिन पूरे साल फहराना चाहिए। प्रसिद्ध उद्योगपति और तिरंगा लगाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ने वाले नवीन जिंदल कहते हैं कि मैं तो कहूंगा हर घर तिरंगा, हर दिन तिरंगा फहराएं।
जिंदल के निकटवर्ती का कहना है कि पिछले तीस बरसों से अपनी शर्ट पर रोज़ लेपल फ्लैग और कलाई मे तिरंगा बैंड पहन कर घर से निकलने वाले नवीन जिंदल के लिए तिरंगा उनकी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। तीस बरस पहले जब वे अमेरिका से पढ़ कर लौटे थे, तो रायगढ़ की अपनी फैक्ट्री पर उन्होंने 26 जनवरी को झंडा फहरा लिया था। अगले दिन किसी स्थानीय अफसर ने आ कर वो झंडा ये कह कर उतरवा दिया कि ये साल में सिर्फ दो दिन ही आम आदमी लगा सकता है। नवीन को ये नागवार गुजरा कि अपने देश के तिरंगे को उन्होंने सालों अमेरिका के अपने कमरे और दफ्तर दोनों जगह लगा कर रखा। लेकिन अपने देश में नहीं लगा पा रहे। विस्तार में गए तो पता चला कि असल मुश्किल फ्लैग कोड यानी झंडा संहिता में है। उसमें लिखा था कि आम आदमी साल में सिर्फ दो दिन तिरंगा अपने घर या दफ्तर पर लगा सकता है।
झंडे का प्रेम और जुनून नवीन को इतना था कि उन्होंने इसके लिए दस साल लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी. पहले हाइकोर्ट में जीते, फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके हक में फैसला दिया और झंडा फहराना किसी भी नागरिक का मौलिक अधिकार माना। नवीन कहते हैं कि हक तो मिल गया लेकिन पहली बार लोग इसे अपनाने में डर रहे थे कि कहीं जाने अनजाने में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान न हो जाए। तब हमने एक फ्लैग फाउंडेशन का गठन किया। मैं और मेरी पत्नी ने लोगों के बीच झंडे को लोकप्रिय बनाने के लिए किताबें निकाली। पेंटिंग एग्ज़ीबिशन की। जगह जगह उंचे-उंचे झंडे लगाए। जैसे कनॉट प्लेस में आप देखते होंगे। देखा-देखी लगभग 600 झंडे और लोगों ने भी लगाए। आज दुनिया भर में सबसे ऊंचे झंडे सबसे ज़्यादा भारत में हैं।