विद्यापीठ में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने किया पूजन
भगवान श्री कृष्ण भजनों पर खूब झूमे श्रद्धालु
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। तीर्थों की संगम स्थली एवं धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर मंदिरों से लेकर घरों तक श्रद्धालुओं की खूब धूम रही। ब्रह्मसरोवर के तट पर स्थित श्री जयराम विद्यापीठ में भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भव्य आयोजन किए गए। शुक्रवार को श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने मुख्य मंदिर में भगवान श्री कृष्ण का विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ पूजन किया एवं झूला झुलाया। विद्यापीठ में पूरा दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।
भगवान श्री कृष्ण ने अपने मुखारविंद से गीता का संदेश ही कुरुक्षेत्र की धरती पर नहीं दिया बल्कि बाल काल में बलराम के साथ मुंडन संस्कार से लेकर सूर्यग्रहण के अवसर पर तक कई बार यहां आगमन हुआ है। ऐसे में यहां जन्माष्टमी के भव्य कार्यक्रम आयोजित हुए। संगीतमय भगवान श्री कृष्ण के भजनों का पूरा दिन गुणगान हुआ। भजनों पर श्रद्धालु खूब झूमते नजर आए। हर वर्ष भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के तौर पर मनाया जाने वाला जन्माष्टमी का पर्व जयराम विद्यापीठ में बेहद ही विशेष होता है।
जयराम संस्थाओं के मीडिया प्रभारी राजेश सिंगला के अनुसार श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी के सान्निध्य में मंदिरों के दर्शन करने व पूजन करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंधों का भी ध्यान रखा गया। विद्यापीठ के आचार्य प. राजेश प्रसाद लेखवार के अनुसार जन्माष्टमी हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के अवतार के रूप में धरती पर जन्म लिया था। पंचांग गणना के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। जन्माष्टमी के अवसर पर ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि बाल श्री कृष्ण कन्हैया जैसी लीला मनुष्य क्या कोई अन्य देव नहीं कर सकता है।
उन्होंने बताया कि गोकुल में भगवान श्री कृष्ण ने गोचरण किया तथा कुरुक्षेत्र में गीता का उपदेश देकर हमें कर्मयोग का ज्ञान सिखाया। प्रत्येक व्यक्ति को कर्म के माध्यम से जीवन में अग्रसर रहना चाहिए। ब्रह्मचारी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने का साधन गौ सेवा है। श्रीकृष्ण ने गौ को अपना आराध्य मानते हुए पूजा एवं सेवा की। कलयुग में केवल कृष्ण का नाम ही आधार है जो भवसागर से पार लगाते हैं। परमात्मा को केवल भक्ति और श्रद्धा से पाया जा सकता है। इस अवसर पर विद्यापीठ में के. के. कौशिक, टी. के. शर्मा, श्रवण गुप्ता, सुरेंद्र गुप्ता, ईश्वर गुप्ता, कुलवंत सैनी, टेक सिंह, खरैती लाल सिंगला, पवन गर्ग, राजेश सिंगला, सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक, यशपाल राणा सहित श्रद्धालुओं की जन्माष्टमी पर भारी भीड़ थी।