भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति एवं धर्म प्रधान है-आशुतोष तिवारी
मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा भारतीय सनातन जीवनमूल्यों को समर्पित मां पीताम्बरा धार्मिक सामाजिक एवं आध्यात्मिक शोध संस्थान का शुभारंभ कार्यक्रम संपन्न
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र।भारतीय संस्कृति व सभ्यता विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति व सभ्यता है। इसे विश्व की सभी संस्कृतियों की जननी माना जाता है। जीने की कला हो, विज्ञान हो या राजनीति का क्षेत्र भारतीय संस्कृति का सदैव विशेष स्थान रहा है। अन्य देशों की संस्कृतियाँ तो समय की धारा केसाथ.साथ नष्ट होती रही हैं किंतु भारत की संस्कृति व सभ्यता आदिकाल से ही अपने परंपरागत अस्तित्व के साथ अजर अमर बनी हुई है। यह विचारहरियाणा पुलिस हाऊसिंग कॉरपोरेशन, पंचकूला के प्रबंध निदेशक, डॉ. आर.सी. मिश्रा ने मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा भारतीय सनातन जीवनमूल्यों कोसमर्पित माँ पीताम्बरा धार्मिक सामाजिक एवं आध्यात्मिक शोध संस्थान के शुभारंभ अवसर पर मिशन के फतुहपुर स्थित आश्रम परिसर में आयोजितकार्यक्रम में व्यक्त किए।
कार्यक्रम का शुभारंभ श्री त्यागी बाबा आश्रम, श्री शनिचरा धाम ऐंती पर्वत, मुरैना के परमाधयक्ष, श्रीश्री 1008 महामंडलेश्वरशिवराम दास त्यागी जी महाराज, मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र, मध्यप्रदेश हाऊसिंग बोर्ड के चेयरमैन, आशुतोष तिवारी, अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक, पंडित डॉ. सुरेश शास्त्री, पुलिस महानिदेशक एवं हरियाणा पुलिस हाऊसिंग कॉरपोरेशन, पंचकूला के प्रबंध निदेशक, डॉ. आर.सी. मिश्रा, डॉ.भीमराव अंबेडकर केन्द्रीय विधि विश्वविद्यालय, सोनीपत, हरियाणा की कुलपति, डॉ. अर्चना मिश्रा एवं भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, गोहाना, सोनीपत की कुलपति, डॉ. सुदेश ने संयुक्त रूप से दीपप्रज्जवलन कर किया। वैदिक ब्रह्मचरियों ने सस्वर मंत्रेंच्चारण एवं शंख का उद्घोष कर सर्व मंगल कीप्रार्थना की। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों द्वारा राष्ट्र एवं राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत सांस्कृति कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
पुलिस महानिदेशक डॉ. आर.सी. मिश्रा ने कहा कि आज शिक्षा के साथ साथ संस्कार की आवश्यकता है। मातृभूमि सेवा मिशन समाज केजरूरतमंद बच्चों को शिक्षा के साथ साथ संस्कार और आत्मनिर्भर के कार्य में प्रयास कर रहा है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश हाऊसिंग बोर्ड के चेयरमैन, आशुतोष तिवारी ने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृतिएवं धर्म प्रधान है। धर्म भाव ही मनुष्यों को पशुओं से भिन्न करता है। जिन नियमों से समाज का धारण होता है और जिनसे इहलौकिक तथा पारलौकिक सुऽकी प्राप्ति होती है, उसे ही धर्म कहते हैं। मनु महाराज ने धृति, क्षमा, दम, अस्तेय, शौच, इन्द्रिय.निग्रह, धी, प्रज्ञा, विद्या और अक्रोध दश.लक्षणात्मक धर्ममाना है। उन्होंने कहा कि मातृभूमि सेवा मिशन के माध्यम से निश्चित रूप से राष्ट्र जागरण समाज में भारतीय जीवन मूल्यों की स्थापना के लिए महत्वपूर्णकार्य करेगा।
मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि मातृभूमि सेवा मिशन का लक्ष्य युवा पीढि़ में समाज एवं राष्ट्र के प्रति दायित्वबोध का जागृत करना है। मातृभूमि सेवा मिशन समाज के असहाय, निराश्रित और गरीब बच्चों के सर्वांगीण विकास के निःशुल्क सेवा प्रकल्प संचालित कररहा है। मिशन का उद्देश्य ऐसे बच्चों को देश का एक स्वावलंबी एवं स्वाभिमानी नागरिक बनाना है। माँ पीताम्बरा धार्मिक सामाजिक एवं आध्यात्मिक शोधसंस्थान के द्वारा भारतीय संस्कृति के पोषण और संवर्दधन का कार्य किया जाएगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महामंडलेश्वर शिवराम दास त्यागी जी महाराज ने कहा कि मातृभूमि सेवा मिशन वास्तविक रूप में लोकसेवाएवं लोककल्याण का कार्य कर रहा है। मातृभूमि सेवा मिशन के सेवा कार्य अपने आप में अद्भूत हैं और हर किसी के मन में सेवा भाव को प्रेरित करने वालेहैं।
कार्यक्रम को अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक, पंडित डॉ. सुरेश शास्त्री, डॉ. भीमराव अंबेडकर केन्द्रीय विधि विश्वविद्यालय, सोनीपत, हरियाणा कीकुलपति, डॉ. अर्चना मिश्रा एवं भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, गोहाना, सोनीपत की कुलपति, डॉ. सुदेश ने बतौर अति विशिष्ट अतिथि कार्यक्रम कोसंबोधित करते हुए मातृभूमि सेवा मिशन के सेवा कार्यों की भूरी.भूरी प्रशंसा की।
कार्यक्रम का संचालन मातृभूमि सेवा मिशन मध्यप्रदेश ईकाई के संयोजक अशोक शर्मा ने किया। आभार ज्ञापन राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानकुरुक्षेत्र के वरिष्ठ प्रो. एस.एम. गुप्ता ने किया। कार्यक्रम में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश सहित अनेक सामाजिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक संस्थाओंके प्रतिनिधि जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम में अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन शांति पाठ से हुआ।