न्यूज डेक्स इंडिया
दिल्ली,6 अक्तूबर। आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम-2014 (एपीआरए-2014) द्वारा गठित शीर्ष परिषद की आज हुई दूसरी बैठक में अध्यक्ष के रूप में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने और सदस्य़ों के रूप में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया, इस बैठक में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए।
पहले एजेंडे में, गोदावरी और कृष्णा प्रबंधन बोर्ड के अधिकार क्षेत्रों के बारे में निर्णय लिया गया था। छह वर्ष होने के बावजूद भी उनके अधिकार क्षेत्रों को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है क्योंकि दोनों राज्यों के इस विषय पर अलग-अलग विचार रहे हैं। दूसरे एजेंडे में, क्रमशः कृष्णा और गोदावरी नदियों पर दोनों राज्यों द्वारा शुरू की गई नई परियोजनाओं की डीपीआर प्रस्तुत करना शामिल है। अधिनियम के अनुसार, केआरएमबी और जीआरएमबी दोनों को तकनीकी रूप से मूल्यांकन करना और उन्हें स्पष्ट करना है। तीसरे एजेंडे में, जिस पर विचार-विमर्श किया गया, वह आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों के बीच कृष्णा और गोदावरी नदी के जल के हिस्से का निर्धारण करने के लिए एक तंत्र की स्थापना करना है।
इन एजेंडों और अन्य मुद्दों पर बैठक में चर्चा की गई और केंद्र का रुख यह है कि तेलंगाना राज्य का अनुरोध कि अंतर राज्य नदी जल विवाद अधिनियम-1956 (आईएसआरडब्ल्यूडीए) की धारा-3 के अंतर्गत जल आवंटन के मुद्दे को नए न्यायाधिकरण या केडब्ल्यूडीटी-2 (कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण) को संदर्भित किया जाए, यह मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है और विचाराधीन है। एपीआरए-2014 द्वारा अधिदेशित किए जाने के अनुसार, केआरएमबी का मुख्यालय आंध्र प्रदेश के उत्तराधिकारी राज्य में अवस्थित होगा।
केंद्र द्वारा केआरएमबी और जीआरएमबी दोनों के अधिकार क्षेत्र को अधिसूचित करने की घोषणा की गई है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने इस पर असहमति व्यक्त की है लेकिन एपीआरए-2014 के अनुसार, किसी भी प्रकार के आम सहमति की आवश्यकता नहीं है और इस विषय पर केंद्र ही अधिसूचित करेगा। दोनों मुख्यमंत्री ने अपने-अपने राज्यों द्वारा शुरू की गई सभी परियोजनाओं की डीपीआर प्रस्तुति प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने आश्वासन दिया है कि इन सभी परियोजनाओं का तकनीकी मूल्यांकन जल्द से जल्द कर लिया जाएगा।
दोनों राज्यों के बीच गोदावरी और कृष्णा नदियों के जल बंटवारे के संबंध में तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने सर्वोच्च न्यायालय में दायर किए गए मामले को वापस लेने पर सहमति व्यक्त की है जिससे केंद्र द्वारा उचित कानूनी राय लेने के पश्चात 1956 के आईएसआरडब्ल्यूडी अधिनियम की धारा-3 के अंतर्गत जल बंटवारे के मुद्दे को ट्रिब्यूनल में भेजा जा सके।
दोनों राज्यों को गोदावरी नदी के जल बंटवारे के संबंध में केंद्र को अनुरोध भेजने के लिए कहा गया था, जिससे केंद्र 1956 के आईएसआरडब्ल्यूडी अधिनियम की धारा-3 के अंतर्गत न्यायाधिकरण को संदर्भित करने के लिए आगे बढ़ा जा सके। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने कहा है कि वे एक दिन में केंद्र को अपन आग्रह भेजेंगे। केआरएमबी के मुख्यालय को आंध्र प्रदेश राज्य में स्थानांतरित करने पर सहमति बनी है।