जल्द वीसी के विरुद्ध हरियाणा के राज्यपाल से मिलेगा सभा और संस्थाओं का शिष्टमंडल
25 साल पहले वामन द्वादशी पर थी अर्धावकाश की व्यवस्था,अब लिखित मांग के बावजूद नहीं की पूरी
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। कर्मचारी की धार्मिक भावनाओं का सम्मान न रखने के आरोप लगाते हुए श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा ने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा के रवैए के प्रति मोर्चा खोल दिया है।इस अग्रणी शिक्षण संस्थान के कुलपति पर धर्मनगरी की अग्रणी संस्था की वक्रदृष्टि का कारण ढाई दशक पुरानी व्यवस्था में बहाल करने में नजरंदाजी है।बहरहाल कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा की कार्यप्रणाली को लेकर ब्राह्मण समाज में गहरा रोष है। इनके विरुद्ध श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा का एक शिष्टमंडल शीघ्र ही यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति एवं हरियाणा के राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय को मिलेगा। इस भेंट के दौरान राज्यपाल को को अवगत कराया जाएगा कि किस प्रकार से कुलपति सोमनाथ सचदेवा धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं को अनादर कर रहे हैं।
सभा के मुख्य सलाहाकार जयनारायण शर्मा का कहना है कि विश्वविद्यालय में प्रारंभ से ही सोमवती अमावस्या तथा वामन द्वादशी जैसे प्रमुख अवसरों पर आधा दिन का अवकाश करने की व्यवस्था थी। वामन द्वादशी का आयोजन किन्हीं कारणों से करीब 25 वर्षों से बंद पड़ा था,गत वर्ष श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा द्वारा इस मेले का पुनर्जागरण किया गया था,जिसका शुभारंभ राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय द्वारा किया गया था और वामन भगवान की शोभा यात्रा को शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर तथा कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सैनी ने हरी झंडी दिखा कर रवाना किया था। इस विषय को लेकर सभा ने विश्व विद्यालय के कुलपति लिखित में प्रार्थना की थी कि वामन द्वादशी के अवसर पर पुरानी व्यवस्था को बहाल करते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आधा दिन का अवकाश शुरु किया जाए।
गौरतलब है कि वामन द्वादशी का आयोजन धर्मनगरी की अग्रणी संस्था श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा सहित केडीबी और 32 से ज्यादा धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से साल 2022 में 6 और 7 सितंबर को किया गया था। सभा के तमाम प्रतिनिधियों ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति के इस मुख्य उत्सव के प्रति उदासीन रवैए पर गहरा रोष प्रकट किया है। सभा के मुख्य सलाहकार के मुताबिक सभा द्वारा भेजे गए पत्र के जवाब में कुलपति या केयू प्रशासन की ओर से आज तक कोई भी प्रतिक्रिया नहीं मिली है।कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व सचिव एवं पूर्व नप वाइस चेयरमैन तथा पूर्व केडीबी सदस्य जयनारायण शर्मा का कहना है कि इस मामले को लेकर अन्य संस्थाओं के संयुक्त प्रतिनिधियों का एक शिष्टमंडल शीघ्र ही हरियाणा राज्यपाल से मिलेगा।
प्रोफेसर सिन्हा ने केयू कुलपति के नाकारात्मक रवैए पर जताया अफसोस
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के दर्शन शास्त्र एवं भारतीय संस्कृति विभाग के पूर्व चेयरमैन प्रोफेसर डा. हिम्मत सिंह सिन्हा ने केयू कुलपति के इस नाकारात्मक रवैये पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा है कि पहले कुरुक्षेत्र की भूमि पर नियुक्त होकर आने वाले व्यक्ति धार्मिक प्रवृत्ति के होते थे और वह इस धरा के रीति रिवाज और धर्म परंपराओं को महत्व देते थे और इसलिए वामन द्वादशी तथा सोमवती अमवास्या जैसे मुख्य अवसरों पर आधा दिन के अवकाश की व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी,लेकिन पिछले कुछ समय से ऐसे व्यक्ति कुलपति नियुक्त हो कर आए हैं,जिनकी ना तो धर्म में आस्था है और ना ही उन्हें हमारी सांस्कृति पंरपराओं का ज्ञान है।इस विश्वविद्यालय के स्थापना सनातन परंपराओं और भारतीय संस्कृति में अटूट विश्वास रखने वाले तत्कालीन राष्ट्रपति डा.राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। उन्होंने कहा कि आजकल कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में ऐसे लोग काबिज हैं,जो कि सिर्फ धार्मिक होने का दिखावा मात्र भी इसलिए करते हैं, ताकि धर्म संस्कृति को बढ़ावा देने वाली सरकार में इसके जरिए व्यक्तिगत लाभ ले सकें।
डा. गुप्ता बोले कुंटिया ने शुरु कराई थी अर्धावकाश व्यवस्था
जिस दौर में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का गैर शिक्षक कर्मचारी संघ (कुंटिया) उत्तरी हरियाणा का सबसे प्रभावशाली कर्मचारी संगठन था,उस कालखंड मे 18 वर्षों तक गैर शिक्षक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रहे एवं केयू के पूर्व परीक्षा नियंत्रक डा.बाबूराम गुप्ता का कहना है कि वामन द्वादशी जैसे अवसरों पर कुंटिया की मांग पर केयू प्रशासन ने पहली बार आधा दिन के अवकाश की व्यवस्था सुनिश्चित की थी,ताकि कर्मचारी इन धार्मिक आयोजनों में भाग ले सकें।करीब 3 दशकों तक विश्वविद्यालय में सेवारत रहे डा.गुप्ता का कहना है कि उस समय के कुलपतियों में सनातन परंपराओं में आस्था थी,यह वो भी जहां लोगों ने सैकड़ों एकड़ जमीन कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी को दान में दी हुई है। उन्होंने मांग की कि केयू प्रशासन दुबारा से अर्धावकाश की की व्यवस्था करे। उन्होंने मांग की कि कुंटिया के वर्तमान पदाधिकारियों को भी यह मांग उठानी चाहिए।
केयू के दो पूर्व कुलसचिवों ने की पुष्टि
केयू के पूर्व कुलसचिव रजिस्ट्रार पद्मश्री डा.राघवेंद्र तंवर का कहना है कि वह इस विश्वविद्यालय में छात्र संघ के प्रधान भी रहे और उसके बाद इतिहास विभाग में प्रोफेसर भी रहे,उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की है कि केयू प्रशासन द्वारा वामन द्वादशी जैसे प्रमुख अवसरों पर अर्धावकाश की व्यवस्था रही है। वहीं केयू में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके पूर्व रजिस्ट्रार रमेश शर्मा ने माना कि श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा द्वारा जो मांग की थी,उसे केयू कुलपति को गंभीरता से लेते अर्धावकाश की घोषणा आयोजन से पहले करनी चाहिए थी,दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ,लेकिन भविष्य में इस गलती सुधार करना चाहिए। डा.तंवर और रमेश शर्मा का कहना है कि इस तरह के निर्णय केयू कुलपति के अधिकार क्षेत्र में हैं।