लघु सचिवालय पर करीब ३ घंटे तक प्रदर्शन कर जताया रोष
एसजीपीसी वरिष्ठ उपाध्यक्ष रघुजीत सिंह विर्क के नेतृत्व में किया रोष प्रदर्शन
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र।सजा पूरी होने के बावजूद देश की अलग-अलग जेलों में नजरबंद बंदी सिखों की रिहाई को लेकर एसजीपीसी के नेतृत्व में रोष मार्च निकाल कर संगत लघु सचिवालय पर खूब गरजी। संगत ने काले कपड़े पहन और हाथों में काली झंडिया लेकर रोष मार्च निकालते हुए लघु सचिवालय पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी सिखों ने एसजीपीसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रघुजीत सिंह विर्क के नेतृत्व में भारत सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। बता दें कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी श्री अमृतसर द्वारा बंदी सिखों की रिहाई की मांग को लेकर काले कपड़े पहन कर लघु सचिवालय पर रोष प्रदर्शन करने का आह्वान किया था। इससे पहले श्री अकाल तखत साहिब श्री अमृतसर द्वारा आदेश जारी होने के बाद १२ अगस्त को भी बंदी सिखों की रिहाई को जिला स्तर पर रोष प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपे गए थे।
एसजीपीसी के आह्वान पर सोमवार को कुरुक्षेत्र के ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब पातशाही छठी में सिख संगत एकत्रित हुई। यहां से एकत्रित होकर सिख संगत का काफिला काले कपड़ पहन एवं काली दस्तार सजा कर मोटरसाइकिल काफिले के रूप में लघु सचिवालय पहुंचा। यहां सिखों ने सजा भुगत चुके बंदी सिखों की रिहाई की मांग को लेकर केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपना रोष व्यकत किया।
एसजीपीसी वरिष्ठ उपाध्यक्ष रघुजीत सिंह विर्क ने कहा कि आजादी के ७५ साल बाद भी देश की आजादी के लिए ८० फीसदी से ज्यादा कुर्बानी देने वाले सिखों के साथ दूसरे दर्जे के शहरी वाला व्यवहार किया जा रहा है। इसका एक उदाहरण तीन दशकों से भारत की विभिन्न जेलों में नजरबंद सिख हैं, जिन्हें अपनी सजा पूरी करने के बाद भी रिहा नहीं किया जा रहा है। ये वह बंदी सिख हैं, जिन्होंने १९८४ में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा सिख धर्मस्थलों पर सैन्य हमलों के विरोध में संघर्ष का रास्ता चुना था। इन सिख बंदियों को रिहा न करके सरकारें लगातार सिखों के साथ भेदभाव कर रही हैं, जो मानवाधिकारों का एक बड़ा उल्लंघन है।
उन्होंने बताया कि जो बंदी सिख जेलों में बंद है, उनमें भाई गुरदीप सिंघ खैरा, प्रो. देविंदरपाल सिंह भुल्लर, भाई बलवंत सिंह राजोआना, भाई जगतार सिंह हवारा, भाई लखविंदर सिंह लकखा, भाई गुरमीत सिंह, भाई शमशेर सिंह, भाई परमजीत सिंह भियोरा, भाई जगतार सिंह तारा और कई अन्य सिख शामिल हैं। सवाल यह है कि जब देश का कानून और संविधान देश के हर नागरिक को समान अधिकार देता है, तो सिखों के साथ भेदभाव कयों है? यह सरकारों और कानून के लिए एक बड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, श्री अमृतसर पुरजोर मांग करती है कि बंदी सिंघों को तुरंत रिहा किया जाए ताकि सिखों में भेदभाव की भावना न पनपे।
एसजीपीसी मैंबर जत्थेदार हरभजन सिंह मसाना ने कहा कि आजादी के बाद भारत की सीमाओं की रक्षा करते सिख जरनैलों ने शहादत देकर देश के मान व अखंडता को बनाए रखा हैं। महान बलिदानों के बाद भी स्वतंत्र देश में सिख कौम के साथ हमेशा भेदभाव किया गया है और सिखों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। सजा पूरी कर चुके सिखों को रिहा न करना भी इसी भेदभाव की एक कड़ी है। जत्थेदार बलदेव सिंह कैमपुर ने कहा कि देश के संविधान ने हर नागरिक को एक समान अधिकार दिए हैं, लेकिन जब सिखों के अधिकारों की बात आती है, तो सभी कानून और नियम ताक पर रख दिए जाते हैं। हालांकि देश की आजादी में सिखों ने सर्वाेत्तम बलिदान किया है।
बावजूद इसके सिखों को न्याय देने के लिए आज तक कोई भी सरकार आगे नहीं है। सिख मिशन हरियाणा प्रभारी मंगप्रीत सिंह ने कहा कि प्रधान मंत्री जी ने श्री गुरु नानक देव जी के ५५०0वें प्रकाश पर्व अवसर पर सिख बंदी सिंघों को रिहा करने की घोषणा की थी, लेकिन यह घोषणा आज तक लागू नहीं हुई है। यह बहुत की दुखद है कि कई सिख कैदियों ने आजीवन कारावास से दोगुना समय जेलों में बिताया है। इस दौरान एसजीपीसी मैंबर अमरीक सिंह जनैतपुर, बीबी अमरजीत कौर बाडा, बलदेव सिंह खालसा, शिरोमणि अकाली दल (बादल) हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष शरणजीत सिंह सोथा, गुरमीत सिंह पूनिया, धर्म प्रचार मैंबर तजिंदरपाल सिंह लाडवा, सब आफिस उपसचिव सिमरजीत सिंह कंग, उप सचिव परमजीत सिंह दुनियामाजरा, इंर्टनल एडिटर बेअंत सिंह, लीगल सहायक राजपाल सिंह, मैनेजर अमरिंदर सिंह, जसवंत सिंह दुनियामाजरा, पटवारी तजिंदरपाल सिंह स्याहपोश, शिअद जिला प्रधान जरनैल सिंह बोढी, राजिंदर सिंह सोढी, सुखपाल सिंह बुट्टर, जोगा सिंह रोहटी, बलकार सिंह, प्रताप सिंह, हरदीप सिंह लागर, एसजीपीसी के पूर्व मैंबर गुरदीप सिंह भानोखेड़ी, मैनेजर सुखदेव सिंह, मैनेजर कुलदीप सिंह भानोखेड़ी, सुरेंद्र सिंह रामगढिय़ा, मंगल सिंह सलपानी सहित भारी तदाद में सिख संगत मौजूद रही।